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> खास बातें: रिपोर्ट के मुताबिक,
-नोटबंदी के दौरान बैन किए गए ₹ 1000 के पुराने
नोटों में से करीब 99 प्रतिशत बैंकिंग सिस्टम में वापस लौट आए हैं। ₹ 1000
के 8.9 करोड़ नोट (1.3 प्रतिशत) नहीं लौटे हैं।
-2017-18 में वैश्विक वृद्धि में सुधार हो रहा है
-नोटबंदी के बाद, नीतिगत दरों में कटौती तो की गई, लेकिन
बैंक इस कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं
-बैंकों ने कर्ज की दरों में कमी की है लेकिन ऋण वृद्धि
(क्रेडिट ग्रोथ) में सुधार नहीं हुआ है। ऐसा इसलिए कि बैंक
जोखिम न लेने पर अड़े हुए हैं।
-निजी निवेश गतिविधियां मंद रही हैं
-कृषि और सहयोगी क्रियाकलापों में 2016-17 के
दौरान तेज उछाल देखा गया।
-2016-17 के दौरान बहुत सी इंफ्रा परियोजनाएं रुक गईं हैं।
ऐसा पर्यावरण अनापत्तियों, भूमि अधिग्रहण मामलों और
संरचनात्मक बाधाओं के कारण हुआ है।
-जीएसटी लागू होने से आने वाले समय में हेडलाइन महंगाई
दर पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा
-2017-18 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 2.0-3.5 प्रतिशत
और दूसरी छमाही में 3.5-4.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का
अनुमान है।
-2017-18 में संतुलित जोखिम समेत वास्तविक जीवीए वृद्धि
2016-17 के 6.6 प्रतिशत के मुकाबले 7.3 प्रतिशत रहने
का अनुमान
-2017-18 में आर्थिक क्रियाकलापों को फिर से बल
मिलने की वजह: दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रहने
की उम्मीद, पुनर्मुद्रीकरण की बढ़ती गति, 7 वें वेतन
आयोग के बाद बढ़ी सैलरी से उपभोक्ता मांग में बढ़ोतरी की
संभावना, यूनियन बजट में पूंजीगत व्यय पर जोर, आवासन
एमएसएमई, जीएसटी और रेरा का लागू होना....
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