भारतीय रिज़र्व बैंक ने क्रेज़ीबी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, बैंगलोर पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 1 फरवरी 2023 के आदेश द्वारा, क्रेज़ीबी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, बैंगलोर (कंपनी) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी "गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी– प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमा स्वीकार न करने वाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016" में निहित "एनबीएफसी द्वारा वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता" तथा "संबंधित एनबीएफसी के लिए उचित व्यवहार संहिता" संबंधी निदेशों के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹42.48 लाख (बयालीस लाख अड़तालीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58 बी की उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58 जी की उप-धारा (1) के खंड (बी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
31 मार्च 2021 तक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी का सांविधिक निरीक्षण किया गया तथा जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट, पर्यवेक्षी पत्र और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह भी पता चला कि कंपनी यह सुनिश्चित करने में विफल रही कि उसके वसूली एजेंटों ने अपने ऋण की वसूली के लिए किए गए प्रयासों के दौरान ग्राहकों के उत्पीड़न या डराने-धमकाने का सहारा नहीं लिया और इस तरह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों के अनुपालन में विफल रही। कंपनी द्वारा अपनाई गई वसूली और संग्रहण के तरीकों के कारण ग्राहकों के उत्पीड़न के बारे में लगातार/ बार-बार शिकायतें मिल रही थीं। उक्त के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर कंपनी के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और इन निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(साभार: www.rbi.org.in)
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