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गढ़ा कोऑपरेटिव बैंक के ग्राहकों को झटका, क्या है अपडेट
Bad News For one more Bank Customer देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI की पाबंदी झेल रहे गढ़ा को-ऑपरेटिव बैंक के ग्राहकों के लिए बुरी खबर है। पूरी खबर को जानने के लिए इस एपिसोड को शुरू से लेकर अंत तक देखें।


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Rajanish Kant गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023
Bank License Cancel: मध्य प्रदेश के इस बैंक के ग्राहकों के लिए बहुत बुरी खबर


भारतीय रिज़र्व बैंक ने गढ़ा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गुना, मध्य प्रदेश के लाइसेंस को रद्द किया

आज, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 16 फरवरी 2023 के आदेश द्वारा “गढ़ा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गुना, मध्य प्रदेश” का लाइसेंस रद्द कर दिया है। परिणामस्वरूप, बैंक 20 फरवरी 2023 को कारोबार की समाप्ति से बैंकिंग कारोबार नहीं कर सकता है। सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, मध्य प्रदेश से भी अनुरोध किया गया है कि वे बैंक का समापन करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने हेतु आदेश जारी करें।

रिज़र्व बैंक ने निम्न कारणों से बैंक का लाइसेंस रद्द किया:

  1. बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और आय की संभावनाएं नहीं हैं। इस प्रकार, यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11(1) और धारा 22 (3)(डी) के प्रावधानों का पालन नहीं करता है;

  2. बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 22(3)(ए), 22 (3)(बी), 22 (3)(सी), 22 (3)(डी) और 22 (3)(ई) की अपेक्षाओं का पालन करने में विफल रहा है;

  3. बैंक का बने रहना उसके जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल है;

  4. बैंक अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के कारण अपने वर्तमान जमाकर्ताओं को पूर्ण भुगतान करने में असमर्थ होगा; और

  5. यदि बैंक को अपने बैंकिंग कारोबार को जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो जनहित प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा।

2. लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप, “गढ़ा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गुना, मध्य प्रदेश” को तत्काल प्रभाव से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 5(बी) में परिभाषित 'बैंकिंग' कारोबार, जिसमें अन्य बातों के अलावा जमाराशियों को स्वीकार करना और जमाराशियों की चुकौती करना शामिल हैं, करने से प्रतिबंधित किया जाता है।

3. परिसमापन के बाद, प्रत्येक जमाकर्ता, डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अंतर्गत, नि‍क्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी नि‍गम (डीआईसीजीसी) से 5,00,000/- (पांच लाख रुपये मात्र) की मौद्रिक सीमा तक अपने जमाराशि के संबंध में जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा। बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, लगभग 98.4 प्रतिशत जमाकर्ता डीआईसीजीसी से उनकी पूरी जमाराशि प्राप्त करने के हकदार हैं। 19 दिसंबर 2022 तक, डीआईसीजीसी ने बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं से प्राप्त सहमति के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 की धारा 18ए के प्रावधानों के अंतर्गत कुल बीमाकृत जमाराशि में से 12.37 करोड़ का भुगतान कर दिया है।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant बुधवार, 22 फ़रवरी 2023