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RBI ने Nutan Nagarik Sahakari Bank Ltd., Ahmedabad पर भारी भरकम जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने नूतन नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 17 जनवरी 2023 के आदेश द्वारा, नूतन नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘सहकारी बैंक - जमाराशियों पर ब्याज दर’ और ‘शहरी सहकारी बैंकों द्वारा एटीएम-सह-डेबिट कार्ड जारी करने के लिए दिशानिर्देश’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए 26.00 लाख (छब्बीस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

दिनांक 31 मार्च 2020 तक की बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण और जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक (i) कतिपय अतिदेय आवर्ती और सावधि जमा खातों की बचत जमाराशियों पर उनके चुकौती के समय लागू दर से ब्याज का भुगतान करने में विफल रहा और (ii) कतिपय नकद क्रेडिट खाता धारकों को एटीएम-सह-डेबिट कार्ड जारी किए थे। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, का अननुपालन करने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, उसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और ऐसे निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 

(साभार: www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant सोमवार, 23 जनवरी 2023
RBI ने अहमदाबाद के The Gujarat Rajya Karmachari Cooperative Bank पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कैसे


भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि गुजरात राज्य कर्मचारी को-ऑपरेटिव बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात)
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 15 दिसंबर 2022 के आदेश द्वारा, दि गुजरात राज्य कर्मचारी को-ऑपरेटिव बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात) (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा सांविधिक आरक्षित निधि - आरक्षित नकदी निधि अनुपात(सीआरआर) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखने‘ संबंधी निदेशों तथा दिनांक 27 मई 2014 के ‘जमाकर्ता शिक्षण और जागरुकता निधि योजना, 2014 – बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए - परिचालन संबंधी दिशानिर्देश’ संबंधी परिपत्र के साथ संलग्न जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता निधि योजना, 2014 (योजना) के पैरा 3 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 26 ए की उप-धारा (2) के उल्लंघन के लिए 3.00 लाख (तीन लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने न्यूनतम आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) को बनाए नहीं रखा और कतिपय खातों में पड़ी शेष राशियों, जो कि दस से अधिक वर्षों से अदावी थीं, को जमाकर्ता शिक्षण और जागरुकता निधि में अंतरित नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन हुआ है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant बुधवार, 21 दिसंबर 2022
RBI ने अहमदाबाद के The Bhuj Mercantile Cooperative Bank पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कैसे


भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि भुज मर्कंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 14 दिसंबर 2022 के आदेश द्वारा, दि भुज मर्कंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात) (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘निदेशकों आदि को ऋण एवं अग्रिम- प्रतिभू/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक - स्पष्टीकरण’ संबंधी निदेशों और ‘मास्टर परिपत्र - अग्रिमों का प्रबंधन - शहरी सहकारी बैंक’, के उल्लंघन के लिए 7.00 लाख (सात लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है । यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2021 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण, निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट तथा सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि बैंक ने पैंतीस ऐसे ऋण स्वीकृत किये थे जिनमें उसके निदेशकों के रिश्तेदार प्रतिभू / गारंटीकर्ता थे एवं कतिपय स्वीकृत ऋणों के अंतिम उपयोग की निगरानी नहीं की, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन हुआ। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अननुपालन करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन का उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(साभार- www.rbi.org.in)

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((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 





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Rajanish Kant
RBI ने अहमदाबाद के Saraspur Nagrik Cooperative Bank पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना


भारतीय रिज़र्व बैंक ने सरसपुर नागरिक को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद (गुजरात)
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 16 दिसंबर 2022 के आदेश द्वारा, सरसपुर नागरिक को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद (गुजरात) (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा सांविधिक आरक्षित निधि - आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखने‘ संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए 2.00 लाख (रुपये दो लाख मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण तथा निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने न्यूनतम आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) को बनाए नहीं रखा, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन हुआ। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का उल्लंघन करने के लिए दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन का उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(साभार- www.rbi.org.in)

('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'

((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 





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