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भारतीय रिज़र्व बैंक ने सीआरआईएफ हाई मार्क क्रेडिट इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 26 जून 2023 के आदेश द्वारा सीआरआईएफ हाई मार्क क्रेडिट इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई (कंपनी) पर प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी नियम, 2006 [सीआईसी नियम] के साथ पठित प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 [सीआईसी (आर) अधिनियम] के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन हेतु ₹25.75 लाख (पच्चीस लाख पचहत्तर हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड सीआईसी (आर) अधिनियम की धारा 23 की उप-धारा (4) के साथ पठित धारा 25 की उप-धारा (1) के खंड (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
31 मार्च 2021 तक कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी का सांविधिक निरीक्षण किया गया था तथा निरीक्षण रिपोर्ट, पर्यवेक्षी पत्र और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि (i) कंपनी द्वारा रखी गई क्रेडिट जानकारी से संबंधित कुछ डेटा सटीक और पूर्ण नहीं थे, और (ii) कुछ उधारकर्ताओं से शिकायतें प्राप्त होने पर, कंपनी ने न तो उनसे संबंधित क्रेडिट जानकारी अपडेट की थी और न ही ऐसी शिकायतों की प्राप्ति के 30 दिनों के भीतर विसंगतियों के सुधार के लिए उठाए गए कदम और सही जानकारी प्रदान करने के लिए समय-सीमा का पालन करने में असमर्थता के कारणों के बारे उन्हें सूचित किया था। परिणामस्वरूप, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि सीआईसी नियम के साथ पठित सीआईसी (आर) अधिनियम, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के प्रावधानों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर कंपनी के उत्तर, इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि सीआईसी (आर) अधिनियम और सीआईसी नियम के प्रावधानों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(साभार: www.rbi.org.in)
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((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
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भारतीय रिज़र्व बैंक ने इक्विफैक्स क्रेडिट इंफॉर्मेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 26 जून 2023 के आदेश द्वारा इक्विफैक्स क्रेडिट इंफॉर्मेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई (कंपनी) पर 'प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी नियम, 2006 [सीआईसी नियम]' के साथ पठित 'प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005' [सीआईसी (आर) अधिनियम] के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹24.25 लाख (चौबीस लाख पच्चीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड सीआईसी (आर) अधिनियम की धारा 23 की उप-धारा (4) के साथ पठित धारा 25 की उप-धारा (1) के खंड (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
31 मार्च 2021 तक कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी का सांविधिक निरीक्षण किया गया था तथा निरीक्षण रिपोर्ट, पर्यवेक्षी पत्र और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि (i) कंपनी द्वारा रखी गई क्रेडिट जानकारी से संबंधित कुछ डेटा सटीक और पूर्ण नहीं थे, और (ii) कुछ उधारकर्ताओं से शिकायतें प्राप्त होने पर, कंपनी ने न तो उनसे संबंधित क्रेडिट जानकारी अपडेट की थी और न ही ऐसी शिकायतों की प्राप्ति के 30 दिनों के भीतर विसंगतियों के सुधार के लिए उठाए गए कदम और सही जानकारी प्रदान करने के लिए समय-सीमा का पालन करने में असमर्थता के कारणों के बारे उन्हें सूचित किया था। परिणामस्वरूप, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि सीआईसी नियम के साथ पठित सीआईसी (आर) अधिनियम, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के प्रावधानों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर कंपनी के उत्तर, इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि सीआईसी (आर) अधिनियम और सीआईसी नियम के प्रावधानों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(साभार: www.rbi.org.in)
('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
-Videos on IPO, share market: -Videos on Mutual Fund -Insurance हर किसी के लिए क्यों जरूरी पर Video -Videos on FD/RD,Bank,Post office -Videos on Home Loan, Home -Videos on PF, Pension Scheme, Retirement Fund -Videos on Children & Women's Fin. Planning -Videos on Savings, Investment, Fin.Literacy, Fin.Planning -Income Tax & How to save Tax पर Video -Video on Gold & Silver Investment; सोना और चांदी में निवेश पर वीडियो -Videos on Bitcoin, Cryptocurrency investment -Video on Commodities - Money, investment, savings in Marathi (beyourmoneymanagerMarathi)
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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 26 जून 2023 के आदेश द्वारा एक्सपीरियन क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई (कंपनी) पर 'प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी नियम, 2006 [सीआईसी नियम]' के साथ पठित 'प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005' [सीआईसी (आर) अधिनियम] के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹24.75 लाख (चौबीस लाख पचहत्तर हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड सीआईसी (आर) अधिनियम की धारा 23 की उप-धारा (4) के साथ पठित धारा 25 की उप-धारा (1) के खंड (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
31 मार्च 2021 तक कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी का सांविधिक निरीक्षण किया गया तथा निरीक्षण रिपोर्ट, पर्यवेक्षी पत्र और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि कंपनी द्वारा रखी गई क्रेडिट जानकारी से संबंधित कुछ डेटा सटीक और पूर्ण नहीं थे। परिणामस्वरूप, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि सीआईसी नियम के साथ पठित सीआईसी (आर) अधिनियम, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के प्रावधानों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर कंपनी के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि सीआईसी (आर) अधिनियम और सीआईसी नियम के प्रावधानों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(साभार: www.rbi.org.in)
('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
-Videos on IPO, share market: -Videos on Mutual Fund -Insurance हर किसी के लिए क्यों जरूरी पर Video -Videos on FD/RD,Bank,Post office -Videos on Home Loan, Home -Videos on PF, Pension Scheme, Retirement Fund -Videos on Children & Women's Fin. Planning -Videos on Savings, Investment, Fin.Literacy, Fin.Planning -Income Tax & How to save Tax पर Video -Video on Gold & Silver Investment; सोना और चांदी में निवेश पर वीडियो -Videos on Bitcoin, Cryptocurrency investment -Video on Commodities - Money, investment, savings in Marathi (beyourmoneymanagerMarathi)
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भारतीय रिज़र्व बैंक ने ट्रांसयूनियन सिबिल लिमिटेड, मुंबई पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 26 जून 2023 के आदेश द्वारा ट्रांसयूनियन सिबिल लिमिटेड, मुंबई (कंपनी) पर प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी नियम, 2006 [सीआईसी नियम] के साथ पठित प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 [सीआईसी (आर) अधिनियम] के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹26 लाख (छब्बीस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड सीआईसी (आर) अधिनियम की धारा 23 की उप-धारा (4) के साथ पठित धारा 25 की उप-धारा (1) के खंड (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
31 मार्च 2021 तक कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी का सांविधिक निरीक्षण किया गया था तथा निरीक्षण रिपोर्ट, पर्यवेक्षी पत्र और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि (i) कंपनी द्वारा रखी गई क्रेडिट जानकारी से संबंधित कुछ डेटा सटीक और पूर्ण नहीं थे, और (ii) कुछ उधारकर्ताओं से शिकायतें प्राप्त होने पर, कंपनी ने न तो उनसे संबंधित क्रेडिट जानकारी अपडेट की थी और न ही ऐसी शिकायतों की प्राप्ति के 30 दिनों के भीतर विसंगतियों के सुधार के लिए उठाए गए कदम और सही जानकारी प्रदान करने के लिए समय-सीमा का पालन करने में असमर्थता के कारणों के बारे उन्हें सूचित किया था। परिणामस्वरूप, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि सीआईसी नियम के साथ पठित सीआईसी (आर) अधिनियम, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के प्रावधानों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर कंपनी के उत्तर, इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों तथा व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि सीआईसी (आर) अधिनियम और सीआईसी नियम के प्रावधानों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(साभार: www.rbi.org.in)
('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
-Videos on IPO, share market: -Videos on Mutual Fund -Insurance हर किसी के लिए क्यों जरूरी पर Video -Videos on FD/RD,Bank,Post office -Videos on Home Loan, Home -Videos on PF, Pension Scheme, Retirement Fund -Videos on Children & Women's Fin. Planning -Videos on Savings, Investment, Fin.Literacy, Fin.Planning -Income Tax & How to save Tax पर Video -Video on Gold & Silver Investment; सोना और चांदी में निवेश पर वीडियो -Videos on Bitcoin, Cryptocurrency investment -Video on Commodities - Money, investment, savings in Marathi (beyourmoneymanagerMarathi)