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RBI ने दि डिंडीगुल अर्बन कोऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि डिंडीगुल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, डिंडीगुल, तमिलनाडु
पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 28 फरवरी 2024 के आदेश द्वारा दि डिंडीगुल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, डिंडीगुल, तमिलनाडु (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक के 'एक्सपोज़र मानदंड और सांविधिक/ अन्य प्रतिबंध - यूसीबी' संबंधी निदेशों के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए 25,000/- (पच्चीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1) (सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ पाया कि नाममात्र के सदस्यों को निर्धारित सीमा से अधिक ऋण स्वीकृत करने का आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant बुधवार, 27 मार्च 2024
RBI से सांगली सहकारी बैंक के ग्राहकों को राहत नहीं

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए के अंतर्गत निदेश – सांगली सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र - अवधि बढ़ाना



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 7 जुलाई 2022 के निदेश CO.DOS.DSD.No.S2322/12-07-005/2022-23 के माध्‍यम से सांगली सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र को 8 जुलाई 2022 को कारोबार की समाप्ति से छह माह की अवधि के लिए निदेशाधीन रखा था। उक्त निदेशों की वैधता अवधि को समय-समय पर बढ़ाया गया, तथा इसे पिछली बार 8 अप्रैल 2024 तक बढ़ाया गया था।

2. जन साधारण के सूचनार्थ एतद्द्वारा अधिसूचित किया जाता है कि बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्द्वारा उक्त निदेशों की वैधता अवधि को दिनांक 20 मार्च 2024 के निदेश ‘‘DOR.MON.D-142/12.22.225/2023-24 के अनुसार 8 अप्रैल 2024 को कारोबार की समाप्ति से 8 अक्तूबर 2024 को कारोबार की समाप्ति तक छह माह की अवधि के लिए बढ़ाता है तथा ये निदेश समीक्षाधीन होंगे।

3. संदर्भाधीन निदेश के अन्य सभी नियम और शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी। उपरोक्त वैधता अवधि को बढ़ाए जाने के संबंध में सूचित करने वाले दिनांक 20 मार्च 2024 के निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर में जनता के अवलोकनार्थ लगाई गई है।

4. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपरोक्त वैधता बढ़ाने और/ या संशोधित करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति से संतुष्ट है।

(साभार- www.rbi.org.in)

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Rajanish Kant
RBI ने दि जनलक्ष्मी कोऑपरेटिव बैंक पर ₹59.90 लाख का जुर्माना लगाया, जानें क्यों

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि जनलक्ष्मी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नाशिक पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 12 मार्च 2024 के आदेश द्वारा दि जनलक्ष्मी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नाशिक (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) में प्रबंधन बोर्ड (बीओएम) के गठन', 'एक्सपोज़र मानदंड और सांविधिक/ अन्य प्रतिबंध – शहरी सहकारी बैंक’ संबंधी कतिपय निदेशों और 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे' के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विशिष्ट आदेश के अननुपालन के लिए 59.90 लाख (उनसठ लाख नब्बे हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47ए(1) (सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2021 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2021) किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों/ आदेश के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने और इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों के परीक्षण के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाना आवश्यक है। बैंक (i) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दी गई अतिरिक्त समय-सीमा के भीतर प्रबंधन बोर्ड का गठन करने में विफल रहा; (ii) अपने नाममात्र सदस्यों को निर्धारित सीमा से अधिक के लिए ऋण सुविधाएं स्वीकृत की गईं; और (iii) एक ही अवधि के लिए भारतीय स्टेट बैंक द्वारा दी जाने वाली ब्याज दरों से अधिक ब्याज दरों पर मियादी जमा खोली/ नवीनीकृत की।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(साभार- www.rbi.org.in)

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RBI ने सोलापुर जनता सहकारी बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने सोलापुर जनता सहकारी बैंक लिमिटेड, सोलापुर पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 13 मार्च 2024 के आदेश द्वारा सोलापुर जनता सहकारी बैंक लिमिटेड, सोलापुर (बैंक) पर 'प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों में प्रबंधन बोर्ड के गठन' संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के कतिपय प्रावधानों और पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे (एसएएफ) के अंतर्गत जारी निषेधात्मक आदेश/ निदेश के अननुपालन के लिए 28.30 लाख (अट्ठाईस लाख तीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1) (सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक का सांविधिक निरीक्षण भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किया गया। अन्य बातों के साथ-साथ भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों/ निषेधात्मक आदेश के अननुपालन और इससे संबंधित पत्राचार के पर्यवेक्षी निष्कर्षों के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार और इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों की जांच के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

(i) बैंक ने अपने प्रबंधन बोर्ड (बीओएम) में एक सदस्य नियुक्त किया, जो 'योग्य और उचित' मानदंडों को पूरा नहीं करता था और बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विशिष्ट निदेश के बावजूद निर्दिष्ट समय के भीतर बीओएम का पुनर्गठन नहीं किया।

(ii) बैंक ने एसएएफ के अंतर्गत जारी निषेधात्मक आदेश/ निदेश का उल्लंघन किया, जब उसने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 100% से अधिक जोखिम भार वाले नए ऋण स्वीकृत किए।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(साभार- www.rbi.org.in)

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RBI ने मथुरा जिला सहकारी बैंक पर जुर्माना लगाया,जानें क्यों और कितना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मथुरा जिला सहकारी बैंक लिमिटेड, उत्तर प्रदेश पर मौद्रिक दंड लगाया



भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 23 फरवरी 2024 के आदेश द्वारा मथुरा जिला सहकारी बैंक लिमिटेड, उत्तर प्रदेश (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 56 के साथ पठित धारा 9 के प्रावधानों के अननुपालन के लिए 1.00 लाख (एक लाख रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बीआर अधिनियम की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1) (सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2021 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। सांविधिक प्रावधानों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि बीआर अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ यह पाया कि बीआर अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित अधिकतम अवधि के भीतर एक अचल संपत्ति, जिसका उपयोग अपने स्वयं के उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा रहा था, का निपटान न करने से संबंधित आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाना आवश्यक है।

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