भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज, 2024-25 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। यह रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की एक सांविधिक रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट में अप्रैल 2024 - मार्च 2025 की अवधि के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के कामकाज और गतिविधियों को शामिल किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2025-26 के दौरान सबसे तेजी से प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनी रहेगी। इसे निजी खपत मेें वृद्धि, बैंकों और कॉर्पोरेट के स्वस्थ तुलनापत्रों, सुगम वित्तीय स्थितियों और पूंजीगत व्यय पर सरकार के निरंतर जोर द्वारा समर्थन प्राप्त है। रिपोर्ट आगे कहती है कि आपूर्ति श्रृंखला के दबावों में कमी, वस्तुओं के वैश्विक कीमतों में नरमी और सामान्य से अधिक दक्षिण पश्चिम मॉनसून की संभावना के आधार पर उच्च कृषि उत्पादन 2025-26 में मुद्रास्फीति दृष्टिकोण के लिए अच्छा संकेत है।
रिपोर्ट में हालांकि कुछ संभावित चुनौतियों का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, अन्य बातों के अलावा, व्यापाार शुल्क नीतियोंं के निर्धारणों मेें बढ़ती अनिश्चितता के मद्देनजर, वैश्विक वित्तीय बाजारों की अति अस्थिर स्थिति के कारण वित्तीय बाजार उतार-चढ़ाव के छिटपुट दौर से गुजर सकता है।
निर्यात क्षेत्र को बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, स्वावलंबी बनने वाली नीतियों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच संभावित टैरिफ युद्ध के जोखिम के चलते कुछ प्रतिकुल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
हालांकि, सुदृढ़ सेवा निर्यात और आवक विप्रषण के कारण सीएडी स्थिति अनुकूल बने रहने की संभावना है, जो 2025-26 में प्रमुख रूप से नियंत्रण में होगी।
यह रिपोर्ट 318 पन्नों की है।
रिपोर्ट को विस्तार से हिन्दी में पढ़ने के लिए इस लिंंक पर क्लिक करें
(साभार: www.rbi.org.in)
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