आयकर अधिनियम, 1961 से कितना अलग है आयकर विधेयक, 2025

आयकर अधिनियम, 1961 के व्यापक सरलीकरण की दिशा में आयकर विधेयक, 2025 संसद में पेश, दोनों में क्या अंतर है-


13 फरवरी को संसद में आयकर विधेयक, 2025 प्रस्तुत किया गया, जो आयकर अधिनियम, 1961 की भाषा और संरचना के सरलीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


सरलीकरण की प्रक्रिया तीन मुख्य सिद्धांतों पर आधारित थी:बेहतर स्पष्टता और संबद्धता के लिए पठनीय और संरचनात्मक सरलीकरण।
निरंतरता और निश्चितता सुनिश्चित करने के लिए कर नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं।
करदाताओं के लिए पूर्वानुमान बरकरार रखते हुए कर दरों में कोई संशोधन नहीं।

तीन-आयामी दृष्टिकोण को अपनाया गया:पठनीयता के बेहतर करने के लिए जटिल भाषा को हटाना।
बेहतर नेविगेशन के लिए गैर-जरूरी और दोहराव वाले प्रावधानों को हटाना।
संदर्भ में आसानी के लिए अनुच्छेदों को तार्किक रूप से पुनर्गठित करना।

परामर्शात्मक और अनुसंधान-आधारित दृष्टिकोण

सरकार ने करदाताओं, व्यवसायों, उद्योग संघों और पेशेवर निकायों से परामर्श लेते हुए व्यापक हितधारक जुड़ाव सुनिश्चित किया। मिले 20,976 ऑनलाइन सुझावों में से, जहां संभव हो, प्रासंगिक सुझावों की जांच की गई और उन्हें शामिल किया गया। उद्योग विशेषज्ञों और कर पेशेवरों के साथ परामर्श किया गया और सर्वोत्तम प्रथाओं के लिए ऑस्ट्रेलिया और यूके के सरलीकरण मॉडल का अध्ययन किया गया।

सरलीकरण अभ्यास के परिणाम

असर

समीक्षा से अधिनियम के आकार में काफी कमी आई है, जिससे यह अधिक सुव्यवस्थित और संक्षिप्त बन गया है। प्रमुख न्यूनीकरण का सारांश नीचे दिया गया है:

विषय

मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961

प्रस्तावित आयकर विधेयक, 2025

बदलाव (कमीबढ़ोतरी)

शब्द

512,535

259,676

252,859 शब्दों की कमी

अध्याय

47

23

24 अध्यायों की कमी

अनुच्छेद

819

536

283 अनुच्छेदों की कमी

तालिकाएं

18

57

39 तालिकाओं की  बढ़ोतरी

फॉर्मूले

6

46

40 फॉर्मूलों की बढ़ोतरी

 

गुणवत्ता संबंधी सुधारसरल भाषा, कानून को और अधिक सुलभ बनाना।
संशोधनों का समेकन, हिस्सों में विभाजित करने को कम करना।
अधिक स्पष्टता के लिए अप्रचलित और अनावश्यक प्रावधानों को हटाना।
बेहतर पठनीयता के लिए तालिकाओं और फॉर्मूले के जरिए संरचनात्मक आधार पर सुव्यवस्थित करना।
मौजूदा कराधान सिद्धांतों का संरक्षण, उपयोगिता बढ़ाते हुए निरंतरता सुनिश्चित करना।

आयकर विधेयक, 2025 एक सरल और स्पष्ट कर ढांचा प्रदान करके ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

(साभार: पीआईबी)

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