RBI ने Repo Rate को 6.50% पर स्थिर रखा, कहा- महंगाई अभी भी लक्ष्य के ऊपर, जानिये महंगाई और ग्रोथ पर अनुमान

 


देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (MPC) ने उम्मीद के मुताबिक रेपो रेट को  6.50 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने 6 जून से 8 जून तक चली इस बैठक के बाद कहा कि महंगाई दर में हाल के दिनों में कमी आई है, लेकिन अभी भी लक्ष्य के ऊपर बनी हुई है, इसलिये उस पर चौकसी जरूरी है। दास ने कहा कि सख्त मौद्रिक नीति और आपूर्ति में सुधार की वजह से महंगाई दर में कमी आई है। 

>RBI की मौजूदा प्रमुख दर: ((साभार: www.rbi.org.in)
नीति रिपो दर: 6.50%
स्थायी जमा सुविधा दर: 6.25%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर: 6.75%
बैंक दर: 6.75%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर: 3.35%

सीआरआर: 4.50%

एसएलआर: 18.00%


सीपीआई महंगाई दर 2023-24 में 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इस दौरान पहली तिमाही में महंगाई दर 4.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत रहेगी।

जहां तक वास्तविक जीडीपी ग्रोथ की बात है, तो 2023-24 में इसे 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है। इस दौरान पहली तिमाही यह 8 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहेगी।

आरबीआई की इस बैठक का मिनट्स 22 जून को प्रकाशित किया जाएगा। आरबीआई मौद्रिक पॉलिसी कमिटी की प्रमुख दरों पर फैसला लेने के लिए अगली बैठक 8 से 10 अगस्त को होगी। आपको बता दूं कि जून से पहले अप्रैल में हुई बैठक के दौरान भी प्रमुख दरों को जस का तस रखा गया था। हालांकि, पिछले साल मई से लेकर इस साल फरवरी तक की बैठक के दौरान रेपो रेट में महंगाई पर काबू रखने के लिए कुल मिलाकर 2.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा चुकी है। 

मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2023-24
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प
6-8 जून 2023

वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक परिस्थिति का आकलन करने के आधार पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (8 जून 2023) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा जाए।

स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनी हुई है।

  • एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

ये निर्णय, संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य हासिल करने के अनुरूप है।

इस निर्णय में अंतर्निहित मुख्य विचार नीचे दिए गए विवरण में व्यक्त किए गए हैं।

आकलन

वैश्विक अर्थव्यवस्था

2. 2023 की दूसरी तिमाही में, मुद्रास्फीति में कमी लेकिन फिर भी बढ़ी हुई, सख्त वित्तीय स्थिति, बैंकिंग क्षेत्र में तनाव, और दीर्घकालिक भू-राजनीतिक संघर्षों के बावजूद वैश्विक अर्थव्यवस्था पिछली तिमाही में प्राप्त गति को बनाए रख रही है। मौद्रिक नीति के सख्त चक्र के आसन्न बढ़ोत्तरी की प्रत्याशाओं पर सॉवरेन बॉन्ड प्रतिफल एक तरफ से (साइडवेज) कारोबार कर रही है, जबकि अमेरिकी डॉलर की मूल्यवृद्धि हुई है। एमपीसी की पिछली बैठक के बाद से इक्विटी बाजार सीमित दायरे में बने हुए हैं। कई उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) के लिए कमजोर बाहरी मांग, उच्च ऋण स्तर और सख्त बाहरी वित्तीय स्थितियों के बीच भू-आर्थिक विघटन, संवृद्धि की संभावनाओं के लिए जोखिम उत्पन्न करते हैं, हालांकि नवीन जोखिम वहन क्षमता पर पूंजी प्रवाह सावधानीपूर्वक उनके पास लौट रहे हैं।

घरेलू अर्थव्यवस्था

3. 31 मई 2023 को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी अनंतिम अनुमानों के अनुसार, भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) संवृद्धि 2022-23 की तीसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष, वाई-ओ-वाई) से बढ़कर चौथी तिमाही में 6.1 प्रतिशत हो गई, जोकि नियत निवेश और उच्च निवल निर्यात द्वारा समर्थित है। 2022-23 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 7.2 प्रतिशत रही, जो 7.0 प्रतिशत के दूसरे अग्रिम अनुमान से अधिक है।

4. जैसा कि उच्च आवृत्ति संकेतकों में परिलक्षित होता है, 2023-24 की पहली तिमाही में घरेलू आर्थिक गतिविधि आघात-सहनीय बनी हुई है। विनिर्माण और सेवाओं के लिए क्रय प्रबंधकों के सूचकांक (पीएमआई) ने निरंतर विस्तार का संकेत दिया, साथ ही, मई में विनिर्माण पीएमआई 31 महीने के उच्च स्तर पर और सेवा पीएमआई अप्रैल-मई में 13-वर्ष के उच्च स्तर पर रहा। सेवा क्षेत्र में, घरेलू हवाई यात्री यातायात, ई-वे बिल, टोल संग्रह और डीजल की खपत में अप्रैल-मई में उछाल देखा गया, जबकि रेलवे माल भाड़ा और बंदरगाह यातायात में मामूली संवृद्धि दर्ज की गई।

5. जैसा कि यात्री वाहनों की बिक्री और घरेलू हवाई यात्री यातायात जैसे संकेतकों में परिलक्षित होता है, मांग पक्ष पर शहरी खर्च मजबूत बना हुआ है, जिसमें अप्रैल में दोहरे अंकों की संवृद्धि दर्ज की गई। ग्रामीण मांग में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, हालांकि असमान रूप से - अप्रैल में मोटरसाइकिल की बिक्री बढ़ी, जबकि बेमौसम बारिश के कारण ट्रैक्टर की बिक्री में आंशिक कमी आई। अप्रैल में इस्पात की खपत और सीमेंट उत्पादन में बेहतर विस्तार से परिलक्षित निवेश गतिविधि बढ़ रही है। पण्य निर्यात और तेल से इतर स्वर्ण से इतर आयात में अप्रैल में कमी देखी गई, जबकि सेवा निर्यात में एक मजबूत विस्तार बरकरार रहा।

6. बृहद अनुकूल आधार प्रभावों के कारण सीपीआई मुद्रास्फीति, फरवरी में 6.4 प्रतिशत से तेजी से गिरकर अप्रैल 2023 में 4.7 प्रतिशत हो गई, जिसमें सभी तीन प्रमुख समूहों में नरमी देखी गई थी। अनाज, अंडे, दूध, फल, मांस और मछली, मसालों और तैयार खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी और खाद्य तेलों में अपस्फीति के गहन होने से खाद्य समूह मुद्रास्फीति में कमी आई। ईंधन समूह में, एलपीजी तथा जलाऊ लकड़ी में मुद्रास्फीति और चिप्स की कीमतों में गिरावट आई तथा मिट्टी के तेल की कीमतें अवस्फीति में चली गईं। मूल मुद्रास्फीति (अर्थात्, खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति) कम हो गई, जोकि कपड़े और जूते, घरेलू सामान और सेवाएं, स्वास्थ्य, परिवहन और संचार, व्यक्तिगत देखभाल और प्रभाव तथा मनोरंजन और मनोरंजन के उप-समूहों द्वारा संचालित है।

7. एलएएफ के अंतर्गत औसत दैनिक अवशोषण, फरवरी-मार्च में 1.4 लाख करोड़ से बढ़कर अप्रैल-मई के दौरान 1.7 लाख करोड़ हो गया। 19 मई 2023 तक मुद्रा आपूर्ति (एम3) में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 10.1 प्रतिशत और खाद्य से इतर बैंक ऋण में 15.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2 जून 2023 को भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 595.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।

संभावना

8. आगे चलकर, हेडलाइन मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र को खाद्य मूल्य गतिकी द्वारा आकार दिए जाने की संभावना है। मंडी में बेहतर आवक और खरीद से गेहूं की कीमतों में कुछ सुधार देखने को मिल सकता है। दूसरी ओर, आपूर्ति में कमी और उच्च चारा लागत के कारण दूध की कीमतों पर दबाव बने रहने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा सामान्य दक्षिण-पश्चिम मानसून का पूर्वानुमान खरीफ फसलों के लिए शुभ संकेत देता है; तथापि, कृषि उत्पादन की संभावनाओं का आकलन करने के लिए मानसून के स्थानिक और अस्थायी वितरण की बारीकी से निगरानी करने की आवश्यकता होगी। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है लेकिन संभावना अनिश्चित बना हुआ है। रिज़र्व बैंक के सर्वेक्षणों के शुरुआती परिणामों के अनुसार, विनिर्माण, सेवाओं और अवसंरचना फर्मों ने इनपुट लागत और आउटपुट कीमतों के सख्त होने की उम्मीद की। अंतिम सर्वेक्षण के परिणाम आने पर एक स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए और एक सामान्य मानसून अनुमान करते हुए, सीपीआई मुद्रास्फीति 2023-24 के लिए 5.1 प्रतिशत अनुमानित है, जिसका कि पहली तिमाही में 4.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत रहने की संभावना है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं (चार्ट 1)।

9. 2022-23 में उच्च रबी फसल उत्पादन, अपेक्षित सामान्य मानसून, और सेवाओं में निरंतर उछाल से चालू वर्ष में निजी खपत और समग्र आर्थिक गतिविधि को समर्थन मिलना चाहिए। पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर, पण्य की कीमतों में नरमी और मजबूत ऋण वृद्धि से निवेश गतिविधियों में बेहतरी आने की उम्मीद है। हालांकि, कमजोर बाहरी मांग, भू-आर्थिक विखंडन, और दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव, संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करते हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि 6.5 प्रतिशत अनुमानित है, जिसका कि पहली तिमाही में 8.0 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.0 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, साथ ही, जोखिम समान रूप से संतुलित है (चार्ट 2)।

Chart 1 and 2

10. एमपीसी ने मार्च-अप्रैल में सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति में आई नरमी को संज्ञान में लिया है, जो अनुमानों के अनुरूप सहन-सीमा बैंड में आ गई है, तथा यह मौद्रिक सख्ती और आपूर्ति बढ़ाने के उपायों के संयुक्त प्रभाव को दर्शाता है। हेडलाइन मुद्रास्फीति के 2022-23 के स्तर से 2023-24 में कम होने का अनुमान है, लेकिन यह अभी भी लक्ष्य से ऊपर रहेगी, जिसके लिए निरंतर सतर्क रहने की आवश्यकता है। इस संबंध में दक्षिण पश्चिम मानसून की प्रगति महत्वपूर्ण है। घरेलू आर्थिक गतिविधियां बेहतर बनी हुई हैं। उपभोक्ता विश्वास में सुधार हो रहा है और व्यवसाय भविष्य को लेकर आशावादी बने हुए हैं। एमपीसी द्वारा की गई 250 आधार अंकों की संचयी दर वृद्धि अर्थव्यवस्था में प्रसारित हो रही है और इसके पूर्ण प्रभाव से आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति के दबावों को नियंत्रित रहना चाहिए। लक्ष्य के साथ मुद्रास्फीति के संरेखण के लिए मौद्रिक नीति को सावधानीपूर्वक कैलिब्रेट करने की आवश्यकता होगी। इस पृष्ठभूमि पर, एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। एमपीसी ने उभरती हुई मुद्रास्फीति और संवृद्धि की संभावना पर कड़ी निगरानी जारी रखने का संकल्प लिया। मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं को पुख्ता ढंग से नियंत्रित रखने और मुद्रास्फीति को लक्ष्य तक कम करने के लिए यह त्वरित और उचित रूप से आवश्यक मौद्रिक कार्रवाई करेगा। एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

11. एमपीसी के सभी सदस्य - डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, प्रो. जयंत आर. वर्मा, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने के लिए वोट किया।

12. डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो। प्रो. जयंत आर. वर्मा ने संकल्प के इस हिस्से पर आपत्ति जताई।

13. एमपीसी की बैठक का कार्यवृत्त 22 जून 2023 को प्रकाशित किया जाएगा।

14. एमपीसी की अगली बैठक 8-10 अगस्त 2023 के दौरान निर्धारित है।

(साभार- www.rbi.org.in)
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