भारतीय रिज़र्व बैंक ने इण्डियन ओवरसीज़ बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 29 मई 2023 के आदेश द्वारा इण्डियन ओवरसीज़ बैंक (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 17 की उप-धारा (1) के प्रावधानों के उल्लंघन तथा ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और अग्रिम संबंधी प्रावधानीकरण - एनपीए खातों में अंतर से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड', 'भारतीय रिज़र्व बैंक (जमाराशियों पर ब्याज दर) निदेश, 2016' और 'एटीएम में मैन इन द मिडल (एमआईटीएम) अटैक’ संबंधी परामर्शी पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹2.20 करोड़ (दो करोड़ बीस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, अधिनियम की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
31 मार्च 2021 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन के लिए सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2021) किया गया था। आईएसई 2021 से संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट / निरीक्षण रिपोर्ट, परामर्शी पर बैंक की अनुपालन स्थिति, और सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि (i) बैंक, वर्ष 2020-21 के लिए अपने घोषित लाभ के 25 प्रतिशत के बराबर राशि का न्यूनतम अनिवार्य अंतरण अपने आरक्षित निधि में करने में विफल रहा, (ii) बैंक द्वारा रिपोर्ट किए गए और निरीक्षण के दौरान मूल्यांकन के पश्चात पाए गए एनपीए के बीच काफी अंतर था (iii) बैंक ने कुछ मामलों में वरिष्ठ/ अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए लागू दरों पर गैर-व्यक्तिगत ग्राहकों की जमाराशियों पर ब्याज प्रदान किया, और (iv) बैंक निर्धारित समय-सीमा के भीतर एटीएम टर्मिनल/ पीसी और एटीएम स्विच के बीच संचार के एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन से संबंधित एटीएम के लिए नियंत्रण उपायों को लागू करने में विफल रहा, और इस सीमा तक अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधानों के उल्लंघन और बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का पता चला। उक्त के आधार पर, बैंक को दो नोटिस जारी की गईं जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि अधिनियम के प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के उल्लंघन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिसों पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने और इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों की जाँच के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उल्लंघन/ अननुपालन का उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(साभार: www.rbi.org.in)
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