RBI ने दि जामनगर डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक पर जुर्माना लगाया, जानें कितना और क्यों


भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि जामनगर डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 27 अप्रैल 2023 के आदेश द्वारा, दि जामनगर डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (गुजरात) (बैंक) पर दिनांक 27 मई 2014 के परिपत्र ‘जमाकर्ता शिक्षण और जागरुकता निधि योजना, 2014 – बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26 ए - परिचालन संबंधी दिशानिर्देश’ के साथ संलग्न जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता निधि योजना, 2014 (योजना) के पैरा 3 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 26ए (2), भारतीय रिज़र्व बैंक - (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016 और प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 (सीआईसी अधिनियम) के प्रावधानों तथा ‘सहकारी बैंकों द्वारा साख सूचना कंपनियों की सदस्यता’ पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के उल्लंघनों / अननुपालनों के लिए 4.10 लाख (चार लाख और दस हज़ार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) और सीआईसी अधिनियम की धारा 23 (4) के साथ पठित धारा 25 (1) (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 तक के बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में नाबार्ड द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण और निरीक्षण रिपोर्ट और उससे सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने पात्र राशि को डीईए फंड में अंतरित नहीं किया, बैंक में ग्राहकों के जोखिम वर्गीकरण की समीक्षा करने के लिए कोई सिस्टम नहीं था, बैंक ने मौजूदा ग्राहकों के केवाईसी दस्तावेजों का आवधिक अद्यतन नहीं किया, बैंक में संदिग्ध लेनदेन की पहचान करने के लिए सिस्टम/ सॉफ्टवेयर, यदि कोई हो, नहीं था और बैंक ने तीन सीआईसी, जिनके वे सदस्य थे, को डेटा (ऐतिहासिक डेटा सहित) रिपोर्ट नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप अधिनियम के उपरोक्त प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों का उल्लंघन हुआ है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि अधिनियम के उपरोक्त प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के उल्लंघन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। 

(साभार: www.rbi.org.in)

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