सेवाकर और केन्द्रीय उत्पाद शुल्क से जुड़े पुराने लंबित विवादित मामलों के समाधान के लिये पेश की गई ‘सबका विश्वास योजना’ 31 दिसंबर 2019 को समाप्त हो रही है। योजना को इससे आगे विस्तार दिये जाने की संभावना नहीं है।
(साभार- पीटीआई भाषा)
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सेवाकर और केन्द्रीय उत्पाद शुल्क से जुड़े विरासत में मिले पुराने विवादों के समाधान के लिये चालू वित्त वर्ष के बजट में इस योजना की घोषणा की थी। इस योजना को ‘सबका विश्वास (विरासती विवाद समाधान) योजना 2019, नाम दिया गया था।
एक सितंबर से लागू इस योजना के तहत पात्र व्यक्तियों को पुराने विवादित मामले में स्वयं कर बकाये की घोषणा करते हुये उसका भुगतान करने का प्रावधान रखा गया है।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यदि कोई भी इस योजना का लाभ उठाना चाहता है तो उसे 31 दिसंबर से पहले इसके लिये आवेदन कर देना चाहिये क्योंकि अंतिम तिथि को आगे विस्तार नहीं दिया जायेगा।
अधिकारी ने बताया कि अब तक योजना को लेकर प्रतिक्रिया काफी अच्छी रही है। अधिकारी ने कहा कि योजना के तहत 29,557.3 करोड़ रुपये के कर विवाद से जुड़े कुल 55,693 आवेदन प्राप्त हुये हैं।
योजना की शुरुआत के समय यह देखा गया था कि 1.83 लाख मामलों के तहत 3.60 लाख करोड़ रुपये का कर फंसा हुआ है। यह राशि विभिन्न अर्धन्यायिक, अपीलीय और न्यायिक मंचों में चल रहे विवादों में फंसी है।
सेवा कर और केन्द्रीय उत्पाद शुल्क से जुड़े इन मामलों के त्वरित समाधान के लिये केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने अपने प्रधान मुख्य आयुक्तों से कहा था कि वह सबका विश्वास योजना का लाभ उठाने के लिये पात्र करदाताओं के साथ सक्रियता के साथ काम करें।
योजना के तहत स्वैच्छिक तौर पर खुलासा किये गये मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में 40 से 70 प्रतिाश्त तक राहत उपलब्ध है। यह राहत बकाये कर की राशि पर निर्भर करती है। योजना में बकाये कर पर ब्याज और जुर्माने के भुगतान से भी राहत उपलब्ध कराई जा रही है।
स्वैच्छिक तौर पर कर का खुलासा किये जाने के मामले में बताये गये कुल कर का भुगतान कर दिये जाने पर ब्याज और जुर्माने से छूट दी गई है। योजना के तहत भुगतान करने वाले व्यक्ति पर मुकद्दमा भी नहीं होगा।
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