रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह उम्मीद जतायी है कि सरकार ‘मोटे तौर पर’ राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर आगे बढ़ती रहेगी।
उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मेदी के पहले कार्यकाल में भी ‘ मोटे तौर पर’ राजकोषीय घाटा लक्ष्य के अनुसार रहा । उल्लेखनीय है कि सरकार ने आर्थिक वृद्धि में कमी को देखते हुए सरकार को खासकर पहले पांच साल के अंतिम हिस्से में राजकोषीय लक्ष्यों को फिर से निर्धारित करना पड़ा।
दास ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार ने मोटे तौर पर राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के अनुसार बनाये रखा है और हम आने वाले समय में भी इस सूझबूझ की उम्मीद करते हैं।’’
रिजर्व बैंक राजकोषीय घाटे को लेकर काफी सतर्क हैं क्यों कि इसका मूल मुद्रास्फीति (कोर इनफ्लेशन) तथा वृहत आर्थिक स्थिरता पर प्रभाव पड़ता है।
दास ने कहा कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में राजकोषीय घाटा 4.5 प्रतिशत से 3.4 प्रतिशत पर आ गया।
उल्लेखनीय है कि मौद्रिक नीति समीक्षा में राजकोषीय मजबूती के बारे में कोई जिक्र नहीं है। समीक्षा में कहा गया है कि राजनीतिक स्थिरता सकारात्मक कारकों में से एक है जो आर्थिक वृद्धि को गति देने में मदद करेंगे।
आर्थिक वृद्धि दर मार्च तिमाही में 5.8 प्रतिशत रही जो पांच साल के निम्न स्तर पर है। वहीं पूरे वित्त वर्ष 2018-19 में यह 6.8 प्रतिशत रही।
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
कोई टिप्पणी नहीं