आरबीआई की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (RBI MPC) की बैठक आज से, ब्याज दर स्थिर रखे जाने की संभावना


रिजर्व बैंक की मौद्रिक पॉलिसी कमिटी (RBI MPC) की प्रमुख दरों पर आज से बैठक शुरू हो रही है। कमिटी प्रमुख दरों पर क्या फैसला लेती है, इसकी जानकारी कल दी जाएगी। ज्यादातर जानकारों का मानना है कि बैठक में प्रमुख दरों को स्थिर रखा जाएगा। यह कमिटी की मौद्रिक नीति पर वित्त वर्ष 2018-19 की पहली बैठक होगी।
इससे पहले कमिटी ने 6,7 फरवरी की बैठक में प्रमुख दरों को ज्यों का त्यों का रखा था।
RBI मौद्रिक पॉलिसी कमिटी ने 6,7 फरवरी की बैठक में प्रमुख दरों को ज्यों का त्यों रखा
((RBI मौद्रिक पॉलिसी कमिटी की 2018-19 में प्रमुख दरों पर बैठक की तारीखें
मौजूदा प्रमुख दरें:
मौजूदा प्रमुख दरें:
-रेपो रेट                                  : 6.00%
-रिवर्स रेपो रेट                          : 5.75%
-मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSF) : 6.25%
-बैंक रेट                             : 6.25%
-कैश रिजर्व रेश्यो (CRR)   : 4%
-एसएलआर                         :   19.5%
-बेस रेट                              :   8.95 - 9.45%
-MCLR (Overnight) : 7.80% -7.95%
-Savings Deposit Rate : 3.50% - 4.00%
-Term Deposit Rate > 1 Year: 6.25% - 6.75% 
UBS सिक्योरिटीज का मानना है  कि फरवरी की खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों को देखते हुए अगले महीने की बैठक में प्रमुख दरों को स्थिर रखे जाने की संभावना है, लेकिन तीन कारकों-अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर संभावित लोकलुभावन खर्च- का असर अगर इकोनॉमी पर हुआ तो फिर प्रमुख दरों में आधे परसेंट तक की बढ़ोतरी मुमकिन है। 

इस साल फरवरी में खुदरा महंगाई दर 4.4 प्रतिशत दर्ज की गई जो कि जनवरी के मुकाबले कम हुई है। इस  साल जनवरी में खुदरा महंगाई दर 5.07 प्रतिशत थी जबकि पिछले साल फरवरी में 3.65 प्रतिशत थी।  इसको देखते हुए इंडस्ट्री को उम्मीद है कि अगली बैठक में प्रमुख दरों में कटौती की जा सकती है। उधर,  UBS सिक्योरिटीज का मानना है कि अगली बैठक में प्रमुख दरों में कटौती शायद ही हो, क्योंकि महंगाई बढ़ने का जोखिम कम नहीं हुआ है और आने वाले समय में महंगाई बढ़ सकती है। 
सिक्योरिटीज फर्म के मुताबिक,  वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान खुदरा महंगाई दर औसतन 4.47 प्रतिशत रह सकती है जो कि वित्त वर्ष 2017-18 की पूर्वअनुमानित दर 3.6 प्रतिशत से ज्यादा है। फर्म का मानना है कि रिजर्व बैंक 2018-19 में ब्याज दर स्थिर रख सकता है। हालांकि, फर्म ने कुछ कारकों का जिक्र किया है, जिनकी वजह से महंगाई पर दबाव बढ़ सकता है और ऐसे में मैक्रो इकोनॉमी को स्थिर रखने के लिए रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान प्रमुख दरों में आधे प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर सकता है। 

UBS सिक्योरिटीज के मुताबिक, अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर संभावित लोकलुभावन खर्च- का असर अगर इकोनॉमी पर हुआ तो फिर महंगाई और बढ़ सकती है। 

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