भारतीय शेयर बाजार आज मिले-जुले रहे, सेंसेक्स-निफ्टी फ्लैट बंद, जापान के शेयर बाजार गिरे

क्या सस्ता कर्ज ही इकोनॉमी को बढ़ाने का एकमात्र मर्ज है? सरकार सिर्फ RBI के भरोसे क्यों ? 3-4 अक्टूबर को क्या ब्याज घटेगा?
((अमेरिकी शेयर बाजार सोमवार को गिरकर बंद, डाओ जोंस 54 अंक तो नैस्डेक 56 अंक कमजोर


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Rajanish Kant मंगलवार, 26 सितंबर 2017
US डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत (26 सितंबर)($1=₹ 65.3371)
अमेरिकी डॉलर के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की संदर्भ दर
भारतीय रिज़र्व बैंक की दिनांक 26 सितंबर 2017 को अमेरिकी डॉलर के लिए संदर्भ दर  65.3371 है।
पिछले दिन (25 सितंबर 2017) के लिए समतुल्‍य दर  64.8357 थी।
अमेरिकी डॉलर के लिए संदर्भ दर और पारस्‍परिक मुद्रा-दरों की मध्‍य दरों के आधार पर रुपये के लिए यूरो, ग्रेट ब्रिटेन पाउंड और जापानी येन की विनिमय दरें इस प्रकार हैं :
मुद्रातारीख
25 सितंबर 201726 सितंबर 2017
1 यूरो77.303677.4310
1 ग्रेट ब्रिटेन पाउंड87.936788.0744
100 जापानी येन57.7558.58
टिप्‍पणी : एसडीआर- रुपया दर संदर्भ दर पर आधारित होगी।

Source: rbi.org.in
क्या सस्ता कर्ज ही इकोनॉमी को बढ़ाने का एकमात्र मर्ज है? सरकार सिर्फ RBI के भरोसे क्यों ? 3-4 अक्टूबर को क्या ब्याज घटेगा?

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Rajanish Kant
क्या सस्ता कर्ज ही इकोनॉमी को बढ़ाने का एकमात्र मर्ज है? सरकार सिर्फ RBI के भरोसे क्यों ? 3-4 अक्टूबर को क्या ब्याज घटेगा?
देश में इकोनॉमी की रफ्तार मोदी जी के 2014 में सत्ता संभालने के बाद सबसे कम दर्ज की गई है, महंगाई दर पांच महीने की उंचाई पर पहुंच गई है, कर्ज की प्रमुख दरें सात साल में सबसे कम है, इन सब तथ्यों के बीच 3 और 4 अक्टूबर को  RBI मौद्रिक नीति समिति की बैठक होने वाली है। 

सरकार ने रिजर्व बैंक से प्रमुख दरों में कटौती की मांग की है। सरकार का कहना है कि अभी भी प्रमुख दरों में कटौती की गुंजाइश है। लेकिन, सवाल है कि क्या एकमात्र कर्ज की दरों में कटौती से ही इकोनॉमी में जान फूंकी जा सकती है या फिर सरकार को भी इसके लिए कुछ करना होगा। 

इकोनॉमी और सस्ते कर्ज को लेकर एक बात और अगर सस्ते कर्ज से इकोनॉमी को सरपट दौड़ाई जा सकती थी तो आज जापान के अलावा कई यूरोपीय देशों में नकारात्मक ब्याज दर की व्यवस्था है, लेकिन वो देश इकोनॉमी में सुस्ती के दर्द से गुजर रहे हैं। 

तो, सरकार को इस बात भी गौर करना चाहिए कि इकोनॉमी के लिए सरकार की कोशिशें भी काफी मायने रखती है। 

> अब बात करते हैं कि 3.4 अक्टूबर की बैठक में क्या ब्याज घटेगा...आइये देखते हैं इस मामले में देश की इकोनॉमी से जुड़े महत्वपूर्ण आंकड़े क्या संकेत देते हैं...। 

इससे पहले कि हम अपने देश के आंकड़ों की बात करें, आपको बता दूं कि आरबीआई मौद्रिक पॉलिसी की समीक्षा करते समय अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों की संभावित कदमों पर भी  विचार करेगा। अभी हाल ही में फेडरल रिजर्व ने बैठक की थी, जिसमें ब्याज दर तो स्थिर रखने पर सहमति बनी, लेकिन इस साल ब्याज दर में एक बढ़ोतरी की संभावना जताई गई है। तो, अमेरिका में ब्याज बढ़ना और अपने यहां ब्याज घटने का मतलब होगा कि विदेशी निवेशक भारत से पैसा निकालकर अमेरिका में लगाएंगे। जो कि आरबीआई कभी नहीं चाहेगा। चलिए, अब बात करते हैं अपने यहां के प्रमुख आर्थिक आंकड़ों की....

इस वित्त वर्ष में अगस्त की बैठक में आरबीआई ने प्रमुख दरों में चौथाई परसेंट की कटौती की थी। इस कटौती के बाद देश में प्रमुख दर सात साल में सबसे कम हो गई है। 

अगस्त में खुदरा मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महंगाई दर बढ़कर 3.36 परसेंट पर पहुंच गई,जो कि पांच महीने में सबसे अधिक है। जुलाई में यह 2.36 परसेंट थी। खाने के सामान खासकर सब्जियों के महंगे होने से महंगाई को हवा मिली।  

देश की ताजा जीडीपी ग्रोथ की बात करें, तो यह उम्मीद से काफी खराब रही है। इस वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.7 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह 7.9 प्रतिशत थी। नरेंद्र मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद अप्रैल-जून तिमाही की जीडीपी ग्रोथ सबसे कम है। इस मामले में हम लगातार दो तिमाहियों से चीन से पिछड़ गए हैं। 

जानकार इसके लिए नोटबंदी और इसी साल एक जुलाई से लागू जीएसटी यानी वस्तु और सेवा कर को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। हालांकि, सरकार इकोनॉमी में जान फूंकने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी इकोनॉमी में तेजी लाने, एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने, निवेश में गति लाने और नौकरियों के सृजन के लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं। 


देखते हैं, सरकार की कोशिशें इकोनॉमी में तेजी लाने के लिए क्या रंग लाती है...? 

Rajanish Kant
अमेरिकी शेयर बाजार सोमवार को गिरकर बंद, डाओ जोंस 54 अंक तो नैस्डेक 56 अंक कमजोर
अमेरिकी  और ज्यादातर यूरोपीय शेयर बाजार सोमवार को गिरावट के साथ बंद हुए। 

अमेरिका के डाओ जोंस ने 53.50 अंक, S&P 500 ने 5.56 अंक और नैस्डेक ने 56.33 अंकों की कमजोरी दर्ज की। उधर, ब्रिटेन के FTSE 100 इंडेक्स ने 9.35 अंक और फ्रांस के कैक 40 ने 14.16 अंकों की गिरावट जबकि जर्मनी के डैक्स ने 2.46 अंकों की मामूली बढ़त  के साथ कारोबार किया।  
((अमेरिकी शेयर बाजार शुक्रवार को मिले-जुले रहे, डाओ जोंस गिरा, नैस्डेक चढ़ा
(अमेरिकी-यूरोपीय बाजारों का प्रदर्शन-(सोमवार)

(एशियाई बाजारों का प्रदर्शन-(सोमवार)

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Rajanish Kant
स्टेट बैंक: मिनिमम बैलेंस नियमों में संशोधन. SBI Monthly Average Balance...

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Rajanish Kant सोमवार, 25 सितंबर 2017
Beyourmoneymanager Audio News; पैसों से जुड़ी आज (25-09-2017) की बड़ी खबर



Beyourmoneymanager Audio News; पैसों से जुड़ी आज (25-09-2017) की बड़ी खबर

Rajanish Kant
इस साल खरीफ अनाज का उत्पादन कम होगा: सरकार
खरीफ खाद्यान्‍नों का कुल उत्‍पादन वर्ष 2017-18 के लिए 134.67 मिलियन टन अनुमानित है 

खरीफ चावल का कुल उत्‍पादन 94.48 मिलियन टन तक अनुमानित है।

खरीफ दलहनों का कुल उत्‍पादन 8.71 मिलियन टन तक अनुमानित है

गन्‍ने का उत्‍पादन 337.69 मिलियन टन तक अनुमानित है

2017-18 के लिए मुख्‍य फसलों के उत्‍पादन के प्रथम अग्रिम अनुमान जारी

 


      कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्‍याण विभाग द्वारा 2017-18 के लिए मुख्‍य फसलों के उत्‍पादन के प्रथम अग्रिम अनुमान आज यहाँ जारी किए गए। विभिन्‍न फसलों के उत्‍पादन के अनुमान राज्‍यों से प्राप्‍त निर्विष्‍टियों पर आधारित हैं और अन्‍य स्रोतों से उपलब्‍ध सूचना से उसका सत्‍यापन किया गया है। वर्ष 2003-04 से आगे के वर्षों के तुलनात्‍मक अनुमानों की तुलना में 2017-18 के लिए प्रथम अग्रिम अनुमानों के अनुसार विभिन्‍न फसलों के अनुमानित उत्‍पादन का ब्‍यौरा संलग्‍न है।


      प्रथम अग्रिम अनुमानों के अनुसारखरीफ 2017-18 के दौरान मुख्‍य फसलों के अनुमानित उत्‍पादन का ब्‍यौरा इस प्रकार है:


Ø  खाद्यान्‍न – 134.67 मिलियन टन
·         चावल – 94.48 मिलियन टन
·         मोटे अनाज – 31.49 मिलियन टन
·         मक्‍का – 18.73 मिलियन टन
·         दलहन – 8.71 मिलियन टन
·         तूर – 3.99 मिलियन टन
·         उड़द – 2.53 मिलियन टन (रिकार्ड)
Ø  तिलहन – 20.68 मिलियन टन
·         सोयाबीन – 12.22 मिलियन टन
·         मूंगफली – 6.21 मिलियन टन
·         अरंडी बीज – 1.40 मिलियन टन
Ø  कपास – 32.27 मिलियन गांठे (प्रति 170 कि०ग्रा० की)
Ø  पटसन एवं मेस्‍टा - 10.33 मिलियन गांठे (प्रति 180 कि०ग्रा० की)
Ø  गन्‍ना – 337.69 मिलियन टन

      मानसून मौसम अर्थात् 1 जून से 6 सितंबर, 2017 के दौरान देश में संचयी वर्षा लंबी अवधि औसत (एलपीए) की तुलना में 05 प्रतिशत कम हुई है। अत: देश में मानसून वर्षा की स्‍थिति सामान्‍य रही है। मौजूदा खरीफ मौसम के दौरान अधिकांश फसलों का अनुमानित उत्‍पादन विगत पांच वर्षों के उनके सामान्‍य उत्‍पादन की तुलना में अधिक होने का अनुमान है। तथापि, ये प्रारंभिक अनुमान हैं तथा राज्‍यों से प्राप्‍त फीडबैक के आधार पर इसमें संशोधन हो सकता है।

      प्रथम अग्रिम अनुमानों के अनुसार 2017-18 के दौरान खरीफ खाद्यान्‍नों का कुल उत्‍पादन 134.67 मिलियन टन तक अनुमानित है। यह विगत वर्ष के खरीफ खाद्यान्‍नों के 138.52 मिलियन टन (चौथे अग्रिम अनुमान) रिकार्ड उत्‍पादन की तुलना में 3.86 मिलियन टन कम है । तथापि, खरीफ खाद्यान्‍न उत्‍पादन पॉंच वर्षों (2011-12 से 2015-16) के 128.24 मिलियन टन औसत खाद्यान्‍न उत्‍पादन की तुलना में 6.43 मिलियन टन अधिक है।
                                                                 
      खरीफ चावल का कुल उत्‍पादन 94.48 मिलियन टन तक अनुमानित है। यह विगत वर्ष के 96.39 मिलियन टन रिकार्ड उत्‍पादन की तुलना में 1.91 मिलियन टन कम है। तथापियह विगत पांच वर्षों के दौरान खरीफ चावल के औसत उत्‍पादन की तुलना में 2.59 मिलियन टन अधिक है।

      देश में मोटे अनाजों का कुल उत्‍पादन 2016-17 के दौरान 32.71 मिलियन टन (चौथे अग्रिम अनुमान) की तुलना में घटकर 31.49 मिलियन टन रह गया है। मक्‍के का उत्‍पादन 18.73 मिलियन टन तक होने की संभावना है जो विगत वर्ष के रिकार्ड उत्‍पादन की तुलना में 0.52 मिलियन टन मामूली सा कम है। इसके अलावा, यह विगत पांच वर्षों के दौरान मक्‍के के औसत उत्‍पादन की तुलना में 2.15 मिलियन टन अधिक है। 

      खरीफ दलहनों का कुल उत्‍पादन 8.71 मिलियन टन तक अनुमानित है जो विगत वर्ष के 9.42 मिलियन टन रिकार्ड उत्‍पादन की तुलना में 0.72 मिलियन टन कम है। तथापि, खरीफ दलहनों का अनुमानित उत्‍पादन विगत पांच वर्षों के औसत उत्‍पादन की तुलना में 2.86 मिलियन टन अधिक है।

      देश में खरीफ तिलहनों का कुल उत्‍पादन 2016-17 के दौरान 22.40 मिलियन टन की तुलना में 20.68 मिलियन टन तक अनुमानित है अर्थात् 1.72 मिलियन टन की गिरावट हुई है। तथापि, यह विगत पांच वर्षों के औसत उत्‍पादन की तुलना में 0.69 मिलियन टन अधिक है।

      गन्‍ने का उत्‍पादन 337.69 मिलियन टन तक अनुमानित है जो विगत वर्ष के 306.72 मिलियन टन उत्‍पादन की तुलना में 30.97 मिलियन टन अधिक है। उच्‍चतर क्षेत्रीय कवरेज के बावजूदकपास की कम उत्‍पादकता के परिणामस्‍वरूप, 2016-17 के दौरान 33.09 मिलियन गांठों की तुलना में 32.27 मिलियन गांठों (प्रति 170 कि०ग्रा० की) के अनुमानित उत्‍पादन में कमी आई है। पटसन एवं मेस्‍टा का अनुमानित उत्‍पादन 10.33 मिलियन गांठें (प्रति 180 कि.ग्रा. की) तक है जो विगत वर्ष की 10.60 मिलियन गांठों के उत्‍पादन की तुलना में मामूली सा कम है।


(source: pib.nic.in)

Rajanish Kant