सरकार वित्त वर्ष बदलने को तैयार, जानें आपके निवेश पर क्या होगा असर
तो, मोदी सरकार आपके पैसों से जुड़े एक और बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है। मोदी सरकार आपके पैसों से जुड़ी नोटबंदी, जीएसटी लागू करने, वित्तीय लेन-देन में आधार का आधार बढ़ाने, आम बजट एक फरवरी को पेश किए जाने जैसे फैसले ले चुकी है और अगली बारी है वित्त वर्ष की अवधि में बदलाव का। अभी अपने यहां वित्त वर्ष की शुरुआत अप्रैल से होती है और मार्च में खत्म होती है। वित्त वर्ष को लेकर पिछले 150 साल से यही परंपरा चलती आ रही है। लेकिन, अब इस परंपरा में बदलाव की सुगबुगाहट हो रही है। दरअसल, मोदी सरकार नीति आयोग की सलाह पर वित्त वर्ष को भी कैलेंडर वर्ष के हिसाब से बदलने पर तेजी से काम कर रही है। आपको बता दें कि कैलेंडर वर्ष जनवरी में शुरू होता है और दिसंबर में खत्म होता है।

सरकार अपना सालाना बजट बनाने के लिए वित्त वर्ष का इस्तेमाल करती है। वित्त वर्ष 12 महीने की एक अवधि होती है जो कि किसी चुनी हुई तारीख से शुरू होकर बारह महीने के बाद खत्म होती है। आम तौर पर इस अवधि का इस्तेमाल सरकार द्वारा अपनी वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करने और अनुमान  लगाने के लिए किया जाता है। भारत सरकार आम बजट यानी यूनियन बजट के माध्यम से किसी दिए हुए साल के एक अप्रैल से अगले साल के 31 मार्च तक की अपनी वित्तीय स्थिति का विश्लेषण और अनुमान बताती है। बजट किसी भी सरकार के लिए आर्थिक और सामाजिक नीतियों को लागू करने का महत्वपूर्ण साधन होता है। मौजूदा वित्त वर्ष के साथ सरकार की आर्थिक और निवेश योजना को लागू करने को लेकर कई सारी रुकावटें हैं। यही वजह है कि सरकार मौजूदा वित्त वर्ष की व्यवस्था में बदलाव चाहती है।  

माना जा रहा है कि मोदी सरकार अगले साल यानी 2018 से इस परंपरा की शुरुआत कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो आम बजट फरवरी के बजाय नवंबर में पेश किया जाएगा। इससे पहले सरकार बजट को फरवरी के आखिरी हफ्ते में पेश करने की पुरानी परंपरा को बदल चुकी है।  इस साल बजट एक फरवरी को पेश किया गया। ऐसे में वित्त वर्ष को बदलने के जिस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया जा रहा है उसके मुताबिक संसद का बजट सत्र दिसंबर से पहले हो सकता है. ताकि बजट को साल के अंत से पहले पूरा किया जा सके। आमतौर पर बजट प्रक्रिया को पूरा होने में दो महिने का समय लगता है।ऐसे में बजट सत्र नवंबर के पहले सप्ताह हो सकता है। 

आपको बता दें कि  भारत में एक अप्रैल से 31 मार्च तक के मौजूदा वित्त वर्ष की व्यवस्था 1867 में शुरू हुई थी और इससे भारतीय वित्त वर्ष का ब्रिटिश सरकार के वित्त वर्ष से तालमेल बैठाया गया था। इससे पहले तक भारत में वित्त वर्ष 1 मई को शुरू होकर 30 अप्रैल तक रहता था। 

> वित्त वर्ष में बदलाव से आपके निवेश पर संभावित असर: 
-वित्त वर्ष कैलेंडर साल जैसा ही जनवरी-दिसंबर का मतलब है कि आपको अपने घर के सालाना बजट, खर्च, आमदनी, निवेश का खाका बदलना होगा। 
-खर्च, आमदनी की गणना जनवरी-दिसंबर माह के हिसाब से करना होगा
-मार्च-अप्रैल के बजाय जनवरी-दिसंबर के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा
-कर बचत निवेश की योजना भी आपको कैलेंडर साल के हिसाब से बनानी होगी
-एक बात ध्यान रहे, अगर सरकार वित्त वर्ष को लेकर नई व्यवस्था अपनाती है, तो पहला 
वित्त वर्ष या तो 12 महीने से कम होगा या ज्यादा। ऐसा होने पर कई सवाल उठते हैं। 
मसलन, पहला नए वित्त वर्ष की अवधि क्या होगी, अवधि छोटी हो या बड़ी दोनों मामलों 
में टैक्स स्लैब क्या होगा, टैक्स से जुड़े निवेश पर डिडक्शन की गणना कैसे होगी, अगर 
आपने टैक्स डिडक्शन के लिए निवेश नहीं किया है, तो उसके लिए सरकार क्या इंतजाम
करती है, जैसे मुद्दों पर आपको नजर रखने की जरूरत होगी। फिर सरकार इन मामलों में 
जो फैसला लेगी, उसके हिसाब से आपको हर काम करने होंगे।   

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Rajanish Kant बुधवार, 28 जून 2017
AU स्मॉल फाइनेंस बैंक को RBI का झटका, आप इसके IPO में निवेश तो नहीं करने जा रहे हैं


देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपना आईपीओ जारी करने जा रहे स्मॉल फाइनेंस बैंक AU स्मॉल फाइनेंस बैंक को झटका दिया है। आरबीआई ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि बिना उसकी पूर्व अनुमति इस बैंक का शेयर ना खरीदें। आप भी पढ़िये आरबीआई का इस बैंक के बारे में अधिसूचना...

भारतीय कंपनियों में संविभाग निवेश योजना के अंतर्गत विदेशी निवेश की निगरानी – सतर्कता सूची में
नाम शामिल करना – मेसर्स एयू स्माल फाइनैंस बैंक लिमिटेड
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अधिसूचित किया है कि मेसर्स एयू स्माल बैंक लिमिटेड (पहले मेसर्स एयू फाइनैंसर्स के नाम से जानी जाती थी) प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) के माध्यम से अपने इक्विटी शेयरों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया में है। रिज़र्व बैंक ने आगे निम्नानुसार अधिसूचित किया है:
  1. उक्त कंपनी ने निदेशक बोर्ड स्तर पर आवश्यक संकल्प तथा इसके सामान्य निकाय द्वारा विशेष संकल्प पारित किया गया है जिसमें विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई)/विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआई) के लिए संविभाग निवेश योजना के अंतर्गत निवेश सीमा को इस कंपनी की चुकता पूंजी के 49 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है।
  2. इस कंपनी में संविभाग निवेश योजना के अंतर्गत सभी स्रोतों अर्थात वैश्विक निक्षेपागार प्राप्तियों (जीडीआर)/अमेरिकन निक्षेपागार प्राप्ति (एडीआई)/प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)/ विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई)/विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआई)/अनिवासी भारतीय (एनआरआई)/भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) के माध्यम से कुल विदेशी निवेश 49 प्रतिशत किया जा सकेगा।
  3. इस कंपनी में सभी स्रोतों अर्थात अर्थात जीडीआर/एडीआई/एफडीआई/एफआईआई/एफपीआई/एनआरआई/पीआईओ के माध्यम से कुल विदेशी शेयरधारिता ट्रिगर सीमा पर पहुंच गई है, इसलिए इस कंपनी के इक्विटी शेयरों को खरीद की अनुमति भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन प्राप्त किए बिना नहीं दी जाएगी।
रिज़र्व बैंक ने इसे विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर रहने वाले व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गम) विनियमावली, 2000 के अंतर्गत अधिसूचित किया है।
(स्रोत-आरबीआई)

आपको बता दें कि इस बैंक का IPO (Initial Public Offering-आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) 28 जून यानी आज खुल रहा है और 30 जून को बंद होगा। इसका प्राइस बैंड ₹ 355-358/शेयर है। इसके लिए निवेशकों को कम से कम 41 शेयरों और उसके बाद 41 के मल्टीपल शेयरों के लिए बोलियां लगानी होगी। 

इस आईपीओ के तहत इसके प्रोमोटर्स  संजय अग्रवाल, ज्योति अग्रवाल, चिरंजी लाल अग्रवाल, MYS Holdings; Redwood Investment; International Finance Corporation; Labh Investments; Ourea Holdings; और Kedaara Capital Alternative Investment Fund के ₹ 10 फेसवैल्यू वाले 5.34 करोड़ शेयर्स ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के जरिये बेचे जाएंगे। 

AU स्मॉल फाइनेंस बैंक के IPO में निवेश करने वालों को एक बात ध्यान रखनी चाहिए। एंकर इन्वेस्टर्स को छोड़कर सारे निवेशकों को इस आईपीओ में एएसबीए (एस्बा) यानी Application Supported by Blocked Amount प्रक्रिया के जरिये निवेश करना होगा। साथ ही उनको इससे संबंधित बैंक खाते की भी डीटेल देनी होगी। 
((IPO में कैसे निवेश करें 
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: IPO के जरिये खरीदे गए शेयर कितने दिनों तक अपने पास रखते हैं निवेशक?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेशक IPO के प्रोस्पेक्टस का कौन सा हिस्सा सबसे ज्यादा पढ़ते हैं?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: IPO का आवेदन फॉर्म ज्यादातर निवेशक कहां से खरीदते हैं?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: IPO के बारे में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत क्या है ?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: IPO में निवेश के दौरान किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: IPO में निवेश पर निवेशकों की क्या राय है?

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((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
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((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
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Rajanish Kant
अमेरिकी बाजार में मंगलवार को 'अमंगल', नैस्डेक 100 अंक फिसला, सोना और कच्चा तेल चमका
अमेरिकी और यूरोपीय शेयर बाजार में मंगलवार को जमकर बिकवाली हुई। अमेरिकी इंडेक्स नैस्डेक तो डेढ़ प्रतिशत फिसला। वहीं, विदेशी बाजार में कच्चे तेल और सोने की बात करें, दोनों कमोडिटीज में सुधार देखा गया। 

अमेरिका के डाओ जोंस ने 89.89 अंक,  S&P 500 ने 19.69 अंक और नैस्डेक ने 100.53 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की। वहीं, ब्रिटेन के FTSE 100 ने 12.44 अंक, जर्मनी के डैक्स ने 99.81अंक और फ्रांस के कैक 40 ने 37.17 अंकों की कमजोरी के साथ कारोबार किया।  
(अमेरिकी-यूरोपीय बाजारों का प्रदर्शन-(मंगलवार)

(एशियाई बाजारों का प्रदर्शन-(मंगलवार)

अगर मंगलवार को विदेशी बाजारों में सोना और कच्चे तेल की बात करें तो अमेरिकी कच्चा तेल वायदा 0.86 डॉलर यानी 2 प्रतिशत बढ़कर $44.24/बैरल पर बंद हुआ। सोना अगस्त वायदा 0.50 डॉलर बढ़कर  1, 246.90 अमेरिकी डॉलर/औंस पर निपटा। 





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