कमोडिटी में ट्रेडिंग करना चाहते हैं, पहले जान लीजिए कुछ खास बातें
अगर सोना या कच्चे तेल की खबरों को लेकर आप गंभीर रहते हैं, तो अक्सर सुनते होंगे कि वायदा बाजार में सोना उछला या फिसला या फिर कच्चा तेल वायदा की कीमतों में तेजी आई या मंदी आई। दरअसल, जिस वायदा की बात हो रही है, उसकी ट्रेडिंग कमोडिटी एक्सचेंजों में होती है। कमोडिटी में ट्रेडिंग आप भी कर सकते हैं। अगर आप निवेश साधनों में विविधता चाहते हैं,तो कमोडिटी में ट्रे़डिंग भी एक विकल्प है। हेजिंग और  संपत्ति निर्माण यानी वेल्थ क्रिएशन के लिए इक्विटी, रियल इस्टेट, बांड्स जैसे पारंपरिक निवेश साधनों के साथ-साथ कमोडिटी में आप ट्रेडिंग कर सकते हैं। लेकिन, कमोडिटी में ट्रेडिंग करने से पहले इसके  बारे में कुछ खास बातें जान लीजिए।  साथ ही अगर इसमें सक्रिय होकर ट्रेडिंग करना चाहते हैं, इसके बारे में अच्छी जगह से प्रोफेशनल ट्रेंनिंग ले लें।  बिना ट्रेनिंग के ट्रेडिंग खतरनाक हो सकता है। हो सकता है कि आपको एक बार में ही इतना नुकसान उठाना पड़ जाए कि दोबारा ट्रेडिंग करना ही भूल जाएंगे।   

-सबसे पहले कमोडिटी का मतलब:
कमोडिटी का सीधा सा मतलब हुआ रोजाना इस्तेमाल में आने वाली वस्तुएं या उत्पाद और उनके व्युत्पन्न (डेरिवेटिव्ज) वस्तु। इसमें कृषि के साथ-साथ गैर-कृषि वस्तुएं भी शामिल हैं। कृषि उपज को जिंस या अनाज भी कहते हैं। गैर-कृषि वस्तुओं में धातु (मेटल), बेस मेटल, प्रीसियस मेटल,  एनर्जी जैसी वस्तुएं शामिल है। ऐसी वस्तुएं या उत्पाद जिनका एक व्यावसायिक मूल्य हो, साथ ही जिसे बनाया, खरीदा, बेचा, और जिसका उपभोग किया जा सके, उसे कमोडिटी में ट्रेडिंग के नाम से जानते हैं। इसमें शामिल है- बहुमूल्य धातुयें(सोना,चांदी), कोयला, प्राकृतिक गैस, कच्चा तेल, और दैनिक जरूरत वाली वस्तुएं मसलन, मसाले, दाल, चीनी और अन्य कमोडिटी |

-कमोडिटी में ट्रेडिंग कमोडिटी एक्सचेंज के जरिये होती है। देश में तीन प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज हैं- एमसीएक्स यानी मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया, एनसीडीईएक्स यानी नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज और एनएमसीई यानी नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज।  आपको बता दें कि एक्सचेंज में हर कमोडिटीका कारोबार नहीं होता है। जिन कमोडिटी में कारोबार होता है, उनमे कुछ विशेषताओं का होना जरूरी है जैसे – मांग और आपूर्ति का लम्बा चक्र, कमोडिटी का लम्बा जीवनकाल जिसमें उसकी क्वालिटी पर कोई विपरीत असर न पड़े, मूल्य का उसकी मांग और आपूर्ति से तय होना आदि। 

-कमोडिटी- एग्री प्रोडक्ट (इसको जिंस या अनाज भी कहते हैं। )और नॉन एग्री प्रोडक्ट (गैर कृषि उत्पाद)

-एग्री प्रोडक्ट्स: 

MCX के प्रोडक्ट:
Cardamom, Castor seed, Cotton, Crude Palm oil, Kapas, Mentha Oil, RBD Palmolein
इलायची, एरंड (अरंडी) बीज, कॉटन, क्रूड पाम तेल, कपास, मेंथा तेल, आरबीडी पामोलीन

NCDEX के प्रोडक्ट:
1)Cereals and Pulses: Bajra, Barley, Chana, Maize Kharifm Maize Rabi, Wheat
2)Fibres: V-797 kapas, Shankar kapas, 29 mm Cotton
3)Guar Complex: Guar Seed, Guar Gum
4)Plantation Products:Rubber
5)Others:Potato
6)Oil and Oil seeds:Castor Seed, Cotton seed oilcake, Soy Bean, Degummed Soy oil,
Refined soy oil, Mustard Seed, Rapeseed Mustard Seed OilCake, Crude Palm Oil, Soymeal
7)Soft:Sugar M, Sugar S, Gur
8) Spices: Pepper, Turmeric, JEERA, Chilli, Coriander

>नॉन एग्री प्रोडक्ट में मेटल (धातु) और नॉन मेटल प्रोडक्ट (गैर-धात्विक उत्पाद):
-मेटल में प्रीसियस (मूल्यवान धातु) और बेस मेटल:
-बेस मेटल (Base Metals): Steel long Commercial,Steel, Copper,Aluminium, Aluminium Mini, 
Copper, Copper Mini, Lead, Lead Mini, Nickel, Nickel Mini, Zinc, Zinc Mini

अल्युमीनियम, अल्युमीनियम मिनी, कॉपर (तांबा), कॉपर मिनी, लेड (सीसा), लेड मिनी, निकल, निकल मिनी, जस्ता, जस्ता मिनी
-बुलियन या बहुमूल्य धातुएं (Bullion or Precious Metals) : Gold, Gold (100 gms), Gold Hedge, 
Gold Hedge (100 gms), Silver,Silver Hedge, Silver Hedge 5 Kgs, Gold Mini, Gold Guinea, 
Gold Petal, Silver Mini, Silver Micro, Silver 1000 सोना,  सोना मिनी, सोना गिन्नी, सोना पेटल, चांदी, चांदी मिनी,चांदी माइक्रो, चांदी 1000,

-नॉन मेटल या एनर्जी: Crude Oil, Crude Oil Mini, Brent Crude Oil, Natural Gas
क्रूड तेल, क्रूड तेल मिनी, ब्रेंट क्रूड तेल, नेचुरल गैस


-MCX पर मुख्य तौर पर मेटल्स और एनर्जी जबकि NCDEX पर एग्री कमोडिटीज की ट्रेडिंग होती है।
-कमोडिटीज में ट्रेडिंग का समय: सुबह 10.30 बजे से रात के 11.30 बजे/ (11.55 PM) (US डे लाइट सेविंग टाइम पर निर्भर)
>कमोडिटी मार्केट के प्रकार- 1) हाजिर या स्पॉट (Spot) मार्केट, 2)डेरिवेटिव्ज (फ्यूचर एंड ऑप्शन)

1) हाजिर या स्पॉट (Spot) मार्केट- राज्य सरकारों के अधीन, कमोडिटी की नकदी खरीद-बिक्री, मतलब 
पैसा दीजिए, हाथों-हाथ सामान लीजिए। जैसा मंडियों में जाकर हम करते हैं। अपनी जरूरत का सामान देखते हैं,पसंद आता है तो भुगतान करके उसे तुरंत के तुरंत खरीद लेते हैं।  मतलब, स्‍पॉट ट्रेडिंग एक ऐसी खरीद-फरोख्त है जिसमें उत्‍पाद की तुरंत पूर्ति की जाती है।

2)डेरिवेटिव्ज (फ्यूचर, फॉरवर्ड एंड ऑप्शन): पहले यह बाजार फॉरवर्ड मार्केट कमिशन (FMC-Forward Market Commission) के अधीन काम करता था, लेकिन अब यह शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी के अधीन है। यानी सेबी अब कमोडिटी और शेयर बाजार दोनों का रेगुलेटर है। इसके तहत किसी दो पार्टियों के बीच तय की गई तारीख पर उत्‍पादों का आदान-प्रदान करना होता है। यह स्पॉट से बिल्कुल उलटा है। दरअसल, कमोडिटी में ट्रेडिंग का संबंध हाजिर या स्पॉट बाजार से नहीं है, बल्कि कमोडिटी डेरिवेटिव्ज से है। 

एक बात और, अगर आप कमोडिटी डेरिवेटिव्ज में कारोबार करना चाहते हैं, तो कमोडिटी ब्रोकर्स या कमोडिटी सब-ब्रोकर्स के पास डीमैट खाता खुलवाना होगा। लेकिन ध्यान रहे इनका कमोडिटी एक्सचेंजों से पंजीकृत होना जरूरी है। 

-कमोडिटी में ट्रेडिंग करने वालों के लिए जरूरी बेवसाइट
-सेबी: www.sebi.gov.in
-एमसीएक्स की वेबसाइट: www.mcxindia.com
-एनसीडीईएक्स की वेबसाइट: www.ncdex.com
-एनएमसीई की वेबसाइट: www.nmce.com

((सेबी ने कमोडिटी फ्यूचर्स में ऑप्शंस ट्रेडिंग के संबंध में गाइडलाइंस जारी की, जानिए इसके फायदे  
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेशक कहां जल्दी से कैश (तरलता) की उम्मीद करते हैं-म्युचुअल फंड्स, इक्विटीज, डिबेंचर्स, कमोडिटी फ्यूचर्स, डेरिवेटिव्स?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेशक कहां ज्यादा रिटर्न की उम्मीद करते हैं-कमोडिटी फ्यूचर्स, डेरिवेटिव्स, डिबेंचर्स, इक्विटीज या  म्युचुअल फंड्स ?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: बॉन्ड्स, इक्विटीज, म्युचुअल फंड्स में से किसको सबसे ज्यादा सुरक्षित मानते हैं निवेशक ?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: रिस्क, रिटर्न के बारे में क्या सोचते हैं निवेशक ?
((आप अगर कमोडिटीज डेरिवेटिव्ज ट्रेनर्स बनना चाहते हैं, तो सेबी के इन नियमों का पालन करें  
((बेस मेटल: 2017 में भी बेहतर प्रदर्शन जारी रहेगा ! 
( कमोडिटीज वायदा कारोबार सभी वर्गों के लिए उपयोगी: कृषि और कल्याण मंत्री
((2017 में एग्री कमोडिटीज का कैसा रहेगा प्रदर्शन; क्या कहते हैं फंडामेंटल के सितारे 






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((निवेश: 5 गलतियों से बचें, मालामाल बनें Investment: Save from doing 5 mistakes 

Rajanish Kant सोमवार, 26 जून 2017
सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस से नई बीमा पॉलिसी खरीदने जा रहे हैं, तो ये खबर जरूर पढ़ लीजिएगा
अगर आप सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस के मौजूदा पॉलिसीधारक हैं या फिर इस कंपनी से कोई नई पॉलिसी लेने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए जरूरी खबर है। दरअसल, बीमा रेगुलेटर भीरतीय बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई), जो कि बीमा कंपनियों की गतिविधियों पर नजर रखता है,  ने इस कंपनी पर नई पॉलिसी लांच करने पर रोक लगा दी है। रेगुलेटर का यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। 

अपने आदेश में रेगुलेटर ने बीमा अधिनियम 1938 की धारा 52 (बी) 2 के तहत कंपनी से कहा है कि वह जमा के नए प्रस्ताव, नए कारोबार की अंडरराइटिंग तत्काल प्रभाव से बंद कर दे। इसके अतिरिक्त कंपनी से कहा गया है कि वह अपने सभी एजेंटों,दूसरे डिस्ट्रिब्यूटर चैनल  और इंटरमीडियरीज को इस फैसले की जानकारी दे ताकि वे नए बीमा कारोबार के तहत जमा के नए प्रस्ताव स्वीकार न करें।

हालांकि आईआरडीएआई ने जीवन बीमा कंपनी को अब तक के अपने कारोबार को जारी रखने की अनुमति दी है ताकि मौजूदा पॉलिसीधारकों को सेवाओं मेंं किसी तरह का व्यवधान न हो। मौजूदा पॉलिसीधारकों से वह नवीनीकरण का प्रीमियम भी स्वीकार करना जारी रखे। बीमा अधिनियम की धारा 52 (बी) 2 के तहत जारी आदेश सभी संबंधित व्यक्तियों पर लागू होंगे।

आपको बता दें कि इससे पहले 12 जून को आईआरडीएआई ने सहारा लाइफ इंश्योरेंस को झटका देते हुए इसके वित्तीय लेखाजोखा में अनियमितता के चलते प्रशासक नियुक्त किया था।


Rajanish Kant रविवार, 25 जून 2017
RBI ने भारतीय राज्यों पर सांख्यिकी हैंडबुक जारी किया, जानिए राज्यों की इकोनॉमी 1951 से लेकर अब तक कितनी बदली है



आरबीआई ने भारतीय राज्यों पर सांख्यिकी हैंडबुक 2016-17 को जारी किया

आरबीआई ने भारतीय राज्यों पर सांख्यिकी
हैंडबुक 2016-17 को जारी किया
भारतीय रिजर्व बैंक ने आज अपने सांख्यिकीय प्रकाशन "भारतीय राज्यों पर सांख्यिकी की हैंडबुक" शीर्षक के दूसरे संस्करण को जारी किया। इस प्रकाशन के माध्यम से, रिज़र्व बैंक भारत की क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक आंकड़ों का प्रसार कर रहा है।
यह प्रकाशन 'एक संकेतक-एक सारणी' दृष्टिकोण का अनुसरण करता है और 129 सारणी में 1951 से 2016-17 तक की समय अवधि के सामाजिक-जनसांख्यिकी पर उप-राष्ट्रीय आंकड़े, राज्य घरेलू उत्पाद, कृषि, उद्योग, बुनियादी ढांचा, भारतीय राज्यों में बैंकिंग और राजकोषीय संकेतक को शामिल किया गया है। जबकि हैंडबुक को नवीनतम उपलब्ध डेटा के आधार पर अद्यतन किया गया है, इसके विषयवस्तु में बुनियादी सुविधाओं पर अतिरिक्त तालिकाओं को शामिल कर सुधार किया गया है। इस प्रकार, राज्यवार बिजली की उपलब्धता, बिजली की प्रति व्यक्ति उपलब्धता, बिजली की स्थापित क्षमता, और बिजली की आवश्यकता पर मौजूदा डेटा श्रृंखला के अलावा, इस संस्करण में राष्ट्रीय राजमार्गों की राज्य वार लंबाई, रेलवे मार्गों, सड़कों की लंबाई, और राज्य राजमार्गों की लंबाई पर आंकड़े जोड़े गए है जो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय,और रेल मंत्रालय; भारत सरकार जैसे प्राधिकरणों से प्राप्त सूचना पर आधारित है।
हैंडबुक के इलेक्ट्रॉनिक रूप को भी www.rbi.org.in पर एक्सेस किया जा सकता है।
हैंडबुक पर टिप्पणियाँ और सुझावों का स्वागत है और इसे कृपया निदेशक, क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था निगरानी विभाग, आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, 7वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, मुंबई 400 001 को भेजें या कृपया ई-मेल भेजने के लिए यहां क्लिक करें। 

Rajanish Kant शनिवार, 24 जून 2017
बैंकिंग लोकपाल योजना का दायरा बढ़ा, बीमा/म्यूच्युअल फंड/अन्य थर्ड पार्टी निवेश उत्पादों की मिस-सेलिंग की शिकायत करें
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग लोकपाल योजना में संशोधन कियाः दुर्विक्रय और मोबाइल/इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग से संबंधित शिकायतें शामिल

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग लोकपाल योजना में संशोधन कियाः
दुर्विक्रय (Mis-selling) और मोबाइल/इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग से संबंधित शिकायतें शामिल
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 के दायरे को व्यापक बनाया जिससे कि अन्य बातों के साथ-साथ बैंकों द्वारा बीमा/म्यूच्युअल फंड/अन्य थर्ड पार्टी निवेश उत्पादों की बिक्री से उत्पन्न होने वाली कमियों शामिल किया जा सके। संशोधित योजना के अंतर्गत ग्राहक भारत में मोबाइल बैंकिंग/इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग सेवाओं के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुदेशों का पालन नहीं करने पर बैंकों के विरूद्ध शिकायत दर्ज कर सकेगा।
अवार्ड पास करने के लिए बैंकिंग लोकपाल के धन-संबंधी अधिकारक्षेत्र को मौजूदा एक मिलियन रुपए से बढ़ाकर दो मिलियन रुपए किया गया है। समय की हानि, वहन किए गए खर्च, उत्पीड़न और शिकायतकर्ता द्वारा झेली गई मानसिक पीड़ा के लिए बैंकिंग लोकपाल द्वारा शिकायतकर्ता को  1,00000 तक की क्षतिपूर्ति भी की जा सकता है।
इस योजना के अंतर्गत करार द्वारा निपटान की गई शिकायतों की प्रक्रिया को भी संशोधित योजना में संशोधित किया गया है। अस्वीकरण के मामले में मौजूदा योजना में संबंधित खंड 13(सी) के अंतर्गत बंद की गई शिकायतों के लिए अब अपील की अनुमति दी गई है जो पहले उपलब्ध नहीं थी।
रिज़र्व बैंक ने 16 जून 2017 को एक अधिसूचना जारी की है जिसमें बैंकिंग लोकपाल योजना को संशोधित किया गया है। संशोधित योजना 1 जुलाई 2017 से प्रभावी होगी। संशोधित रिज़र्व बैंक की वेबसाइट https://www.rbi.org.in/commonman/Hindi/scripts/againstbank.aspx पर उपलब्ध है।
RBI amends Banking Ombudsman Scheme: Includes Complaints relating to Misselling and Mobile/ Electronic Banking
The Reserve Bank of India has widened the scope of its Banking Ombudsman Scheme 2006, to include, inter alia, deficiencies arising out of sale of insurance/ mutual fund/ other third party investment products by banks. Under the amended Scheme, a customer would also be able to lodge a complaint against the bank for its non-adherence to RBI instructions with regard to Mobile Banking/ Electronic Banking services in India.
The pecuniary jurisdiction of the Banking Ombudsman to pass an Award has been increased from existing rupees one million to rupees two million. Compensation not exceeding rupees hundred thousand can also be awarded by the Banking Ombudsman to the complainant for loss of time, expenses incurred as also, harassment and mental anguish suffered by the complainant.
The procedure for complaints settled by agreement under the Scheme has also been revised. Appeal has now been allowed for the complaints closed under Clause 13 (c) of the existing Scheme relating to rejection which was not available earlier.
The Reserve Bank has released a Notification dated June 16, 2017 amending the Banking Ombudsman Scheme 2006. The amended Scheme shall come into force from July 1, 2017. The amended Scheme is available on the Reserve Bank's website at https://www.rbi.org.in/commonman/English/Scripts/AgainstBank.aspx

Source: rbi.org.in

Rajanish Kant
23 जून तक 130.74 लाख हेक्टेयर में खरीफ बुआई
खरीफ फसलों की बुआई में 23 जून तक पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले तेजी देखी गई। कृषि मंत्रालय के मुताबिक, राज्यों से मिली रिपोर्टों की मानें तो 23 जून, 2017 तक खरीफ फसलों का कुल बुआई रकबा 130.74 लाख हेक्टेयर तक हो गया है, जबकि पिछले वर्ष इस समय तक यह रकबा 119.28 लाख हेक्टेयर था।

इस दौरान 16.70 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई/रोपाई हुई है, जबकि 5.97 लाख हेक्टेयर में दलहन, 17.71 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाज,  47.52 लाख हेक्टेयर में गन्ना और 24.70 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई है।
अब तक हुई बुआई का रकबा और पिछले साल इसी समय के दौरान हुई बुआई के रकबे का ब्यौरा:-GFX......
((16 जून तक खरीफ फसलों की 92.85 लाख हेक्‍टेयर में बुआई
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'




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Rajanish Kant
डाओ जोंस शुक्रवार को सपाट बंद, सोना और कच्चे तेल में तेजी
अमेरिकी शेयर बाजार शुक्रवार को मिले-जुले जबकि यूरोपीय शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुए। विदेशी बाजार में कच्चे तेल और सोने की बात करें, तो दोनों कमोडिटीज में सुधार देखा गया। 
23 जून तक 130.74 लाख हेक्टेयर में खरीफ बुआई
अमेरिका के डाओ जोंस ने 2.53 अंक की नरमी जबकि S&P 500 ने 3.80 अंक और नैस्डेक ने 28.57 अंक की बढ़त दर्ज की। वहीं, ब्रिटेन के FTSE 100 ने 15.16 अंक, जर्मनी के डैक्स ने 60.59 अंक और फ्रांस के कैक 40 ने 15.81 अंकों की कमोजरी के साथ कारोबार किया।  
((डाओ जोंस गुरुवार को 13 अंक गिरकर बंद, सोना और कच्चा तेल सुधरा 
(अमेरिकी-यूरोपीय बाजारों का प्रदर्शन-(शुक्रवार)

(एशियाई बाजारों का प्रदर्शन-(शुक्रवार)


अगर शुक्रवार को विदेशी बाजारों में सोना और कच्चे तेल की बात करें तो अमेरिकी कच्चा तेल वायदा 0.27 डॉलर यानी 0.63 प्रतिशत बढ़कर $43.01/बैरल पर बंद हुआ। सोना अगस्त वायदा 7  डॉलर बढ़कर  $1, 256.40/औंस पर निपटा।




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