भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि राजकोट कमर्शियल को-ओपरेटिव बैंक लि., राजकोट (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 21 फरवरी 2023 के आदेश द्वारा, दि राजकोट कमर्शियल को-ओपरेटिव बैंक लि., राजकोट (गुजरात) (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड’, ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा जमाराशियों को अन्य बैंकों में रखना’ और ‘बैंकों द्वारा निवेश के वर्गीकरण और मूल्यन के लिए दिशानिर्देश’ संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹4.00 लाख (चार लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
31 मार्च 2022 तक की बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण और उससे संबंधित निरीक्षण रिपोर्ट और जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट व सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह भी पता चला कि बैंक ने (i) निरंतर आधार पर एनपीए की पहचान नहीं की, (ii) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक (सकल) जोखिम मानदंड का उल्लंघन किया, (iii) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक काउंटर-पार्टी सीमा का उल्लंघन किया और (iv) एचटीएम श्रेणी के अंतर्गत शामिल अपने निवेश की निर्धारित सीमा का उल्लंघन किया, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन हुआ है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का उल्लंघन करने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन का उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(साभार: www.rbi.org.in)
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