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वित्त वर्ष 2020-21 के मध्य तक मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत से नीचे आने का अनुमान: रिजर्व बैंक
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख है और केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति दर घटकर उसके चार प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे आ जायेगी।

उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अपने जनवरी 2020 के शीर्ष स्तर से 1.70 प्रतिशत तक नीचे आ गई है।


दास ने शुक्रवार सुबह एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘‘आने वाले समय में आपूर्ति पक्ष के अवरोधों के बावजूद मुद्रास्फीति और भी घट सकती है और 2020-21 की दूसरी छमाही तक यह चार प्रतिशत के उसके लक्ष्य से भी नीचे जा सकती है।’’


उन्होंने कहा कि ऐसे परिदृश्य में कोविड-19 द्वारा वृद्धि और वित्तीय स्थिरता के सामने पेश किए गए जोखिमों का मुकाबला करने के लिए नीतिगत गुंजाइश बनी रहेगी।


खाद्य पदार्थों के दाम में गिरावट के चलते खुदरा महंगाई दर मार्च में घटकर चार महीने के निचले स्तर 5.91 प्रतिशत पर आ गई।


(साभार-पीटीआई भाषा)
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'



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Rajanish Kant शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020
RBI की नजर में आगे इन कारणों से महंगाई बढ़ सकती है
मौद्रिक पॉलिसी समिति की 5,6 अप्रैल की बैठक में रिजर्व बैंक ने 2017-18 के लिए, पहली छमाही में मुद्रास्‍फीति का औसत 4.5 प्रतिशत रहने और दूसरी छमाही में 5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है (चार्ट 1)। रिजर्व बैंक ने इसकी वजह बताई है कि आखिर क्यों महंगाई बढ़ सकती है...

- पहला जोखिम, जुलाई-अगस्‍त के आसपास अल-नीनो के आने की बढ़ती संभावना और खाद्य स्‍फीति पर इसके प्रभावों को देखते हुए, दक्षिण-पश्चिम मानसून के परिणामों से जुड़ी अनिश्चितताओं से उत्‍पन्‍न होता है। मुख्‍य मुद्रास्‍फीति पर पड़ने वाले दबाव का निवारण करने में अग्रसक्रिय आपूर्ति प्रबंध की भूमिका महत्‍वपूर्ण होगी। 
- प्रमुख जोखिम 7वें केंद्रीय वेतन आयोग द्वारा यथा अनुशंसित भत्‍तों के लागू किए जाने के प्रबंध करने से उत्‍पन्‍न हो सकता है। 7वें वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुसार मकान किराया भत्‍ता (एचआरए) में वृद्धि होने पर, 12 से 18 महीनों की अवधि के दौरान बेसलाइन पथ (ट्रेजेक्‍टरी) के अनुमानत: 100-150 आधार अंक उठ सकता है। उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सीपीआई) पर इस प्रारंभिक सांख्यिकीय प्रभाव के बाद दूसरी श्रेणी के प्रभाव पड़ सकते हैं। 
-जोखिम वृद्धि की एक अन्‍य संभावना वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के एकबारगी पड़ने वाले प्रभाव से उत्‍पन्‍न होती है। सामान्‍य सरकारी घाटा, जो अंतरराष्‍ट्रीय तुलना के अनुसार अधिक है, के कारण मुद्रास्‍फीति के पथ पर एक अन्‍य जोखिम उत्‍पन्‍न होता है, जिसकी स्थिति कृषि ऋण माफी से और खराब होने की संभावना है। 
-हाल के वैश्विक घटनाक्रम से पुनर्मुद्रास्‍फीति का जोखिम बढ़ सकता है, जिसके कारण पण्‍यों के मूल्‍य और अधिक बढ़ सकते हैं। इसका असर घरेलू मुद्रास्‍फीति पर पड़ सकता है। इसके अलावा, भू-राजनैतिक जोखिमों के कारण वैश्विक वित्‍तीय बाजार की अनिश्चितता बढ़ सकती है, जिसके अनुगामी अन्‍य प्रभाव भी देखे जा सकते हैं। कमी होने की दृष्टि से, हाल के समय में तेल के अंतरराष्‍ट्रीय मूल्‍यों में कमी देखी गई है और पेट्रोलियम उत्‍पादों के घरेलू मूल्‍यों पर उनके प्रभाव को अंतरित करने से मुख्‍य मुद्रास्‍फीति पर दबाव और बढ़ सकता है। 
-हालांकि, खाद्यान्‍न के रिकॉर्ड उत्‍पादन को देखते हुए, सरकारी खरीद में वृद्धि होने से बफर स्‍टॉक की पुन:स्‍थापना होगी, और यदि ऐसा सचमुच होता है तो खाद्य मूल्‍यों पर पड़ने वाला दबाव कम होगा।

Rajanish Kant शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017
दिसंबर, 2016 में थोक मूल्‍य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर 3.39% रही
दिसंबर, 2016 के लिए थोक मूल्‍य सूचकांक (आधार वर्ष : 2004-05 = 100) की समीक्षा 

दिसंबर, 2016 के दौरान ‘सभी जिंसों’ के लिए आधि‍कारिक थोक मूल्‍य सूचकांक (आधार वर्ष : 2004-05=100) इससे पिछले महीने के 183.1 (अनंतिम) से 0.2 प्रतिशत घटकर 182.8 अंक (अनंतिम) हो गया। 

मुद्रास्‍फीति :
मासिक थोक मूल्‍य सूचकांक (डब्‍ल्‍यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्‍फीति की वार्षिक दर दिसंबर, 2016 के दौरान (दिसंबर, 2015 की तुलना में) 3.39 प्रतिशत (अनंतिम) रही, जबकि इससे पिछले महीने यह 3.15 प्रतिशत (अनंतिम) थी। पिछले वर्ष के इसी महीने में यह -1.06 प्रतिशत रही थी। वित्‍त वर्ष में अब तक क्रमिक वृद्धि के साथ मुद्रास्‍फीति दर 4.28 प्रतिशत आंकी गई है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में क्रमिक वृद्धि के साथ मुद्रास्‍फीति दर 0.40 प्रतिशत थी। 

विभिन्‍न जिंस समूहों के सूचकांक में उतार-चढ़ाव कुछ इस प्रकार रहे :- 
प्राथमिक वस्तुएं (भारांक 20.12 प्रतिशत) 
इस प्रमुख समूह का सूचकांक पिछले महीने के 259.4 अंक (अनंतिम) से 1.2 प्रतिशत घटकर 256.3 अंक (अनंतिम) रह गया। 

महीने के  दौरान जिन समूहों और वस्‍तुओं के सूचकांक में उतार-चढ़ाव देखे गए, वे इस प्रकार हैं : 
-‘खाद्य उत्‍पाद’ समूह का सूचकांक पिछले महीने के 276.1 अंक (अनंतिम) से 2.2 प्रतिशत घटकर 270.1 अंक (अनंतिम) रह गया। ऐसा फलों एवं सब्जियों (9 प्रतिशत), अरहर (6 प्रतिशत),  मसूर व उड़द (प्रत्‍येक 5 प्रतिशत), मूंग (4 प्रतिशत), चना (2 प्रतिशत) व पोल्ट्री चिकन  (1 प्रतिशत) की कीमतों में कमी के परिणामस्‍वरूप संभव हुआ। हालांकि, रागी (4 प्रतिशत),  ज्वार एवं गेहूं ( प्रत्येक 3 प्रतिशत),  
बाजरा (2 प्रतिशत) और अंडे, जौ, मसाले, चाय  एवं अंतर्देशीय मछली (प्रत्येक 1 प्रतिशत) की कीमतें बढ़ गईं। 
-‘गैर-खाद्य पदार्थ’ समूह का सूचकांक पिछले महीने के 221.4 अंक (अनंतिम) से 1.9 प्रतिशत बढ़कर 225.6 अंक (अनंतिम) हो गया। ऐसा फूलों (10%), कच्चे रबर (9%), खोपरा (नारियल) और मूंगफली बीज (प्रत्येक 6%), कच्चे रेशम (5%), तिल के बीज एवं कच्ची कपास (प्रत्येक 2%) और सोयाबीन, गन्ना व कुसुम (प्रत्येक 1%) की कीमतें बढ़ने के परिणामस्वरूप संभव हुआ। हालांकि, कच्चे जूट (4%), सूरजमुखी (3%), राई व सरसों के बीज (2%) और कॉयर फाइबर, नाइजर बीज, अलसी एवं कच्चे ऊन (प्रत्येक 1%) के दाम घट गए। 
-‘खनिज’ समूह का सूचकांक पिछले महीने के 207.4 अंक (अनंतिम) से 2.8 प्रतिशत बढ़कर 213.3 अंक (अनंतिम) हो गया। ऐसा मैग्नेसाइट एवं सिलिमेनाइट (प्रत्येक 15%), मैंगनीज अयस्क (11%), लौह अयस्क (7%), फास्फोराइट एवं कच्चे पेट्रोलियम  (प्रत्येक 4%) और क्रोमाइट (1%) की कीमतों में वृद्धि के फलस्वरूप संभव हुआ। हालांकि, तांबा अयस्क (8%) की कीमत घट गई। 
(Source: pib.nic.in)
((CPI से कैसे अलग है WPI महंगाई दर

Rajanish Kant सोमवार, 16 जनवरी 2017
बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में महंगाई विलेन बने, तो क्या करें
म्युचुअल फंड में पैसे लगाएं, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के तनाव से बचें   


हर महीने खुदरा और थोक महंगाई दर के आंकड़े जारी होते हैं लेकिन उसमें में ना तो पढ़ाई-लिखाई और ना ही शादी-विवाह की महंगाई दर शामिल रहती है। अगर पढ़ाई-लिखाई और शादी-विवाह की महंगाई दर की बात करें तो जानकारों के मुताबिक, ये आमतौर पर हर महीने  जारी होने वाली खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों के मुकाबले 2-4% अधिक रहती है। जाहिर है, ऐसे में हर मां-बाप को अपने बच्चों के बेहतर कैरियर के लिए रोजमर्रा की चीजों के मुकाबले अधिक से अधिक पैसों की जरूरत पड़ेगी। हर मां-बाप का ख्वाब होता है कि उसके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में कोई कमी ना रहे। साथ ही वो ये भी चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बने। ऐसे में महंगाई अगर विलेन बन जाए, तो क्या करना चाहिए। 

ऐसा माना जाता है कि भारत में शिक्षा की महंगाई दर सालाना 8-10% की दर से बढ़ रही है, जबकि शादी-विवाह की महंगाई दर सालाना 10-12% की दर से। 

महंगाई की मार से तो कोई बच नहीं सकता है, लेकिन अपनी बचत का सही जगह निवेश करके उसके असर को जरूर कम कर सकता है। इसके लिए ऐसे निवेश साधन में पैसे लगाने होंगे जो रियल रिटर्न (% रिटर्न-% खुदरा महंगाई दर) देने में महंगाई दर को मात दे। जानकारों की मानें तो लंबी अवधि के लिए इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश इसके लिए बेहतर और फायदेमंद विकल्प साबित हो सकता है। खासकर, जब आप कोई अच्छा सिस्टैमिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) चुनते हैं। 

>बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और शादी-विवाह के खर्चों से निपटने के लिए क्या तैयारी करें 
-सबसे पहले ऑनलाइन कंपाउड इंटरेस्ट कैलकुलेटर से अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और शादी-विवाह की संभावित लागत का पता लगायें। आप पता कर सकते हैं कि कितने साल के बाद, पढ़ाई-लिखाई और शादी-विवाह की अनुमानित महंगाई दर के हिसाब से आपको कितने पैसों की जरूरत पड़ सकती है। इससे आपको उस समय की लागत का एक अनुमान मिल जाएगा। इसको आधार बनाकर आप हर महीने एसआईपी में थोड़ी-थोड़ी रकम डाल सकते हैं। इससे आप पर एक ही बार में जो बोझ आने की आशंका रहेगी, वो नहीं रहेगी। कहने का मतलब है कि आपके खर्च का बोझ कई महीनों में बंट जाएगा। तो, आपके लिए पैसे जुटाना आसान हो जाएगा। 

-किसी अच्छे फंड हाउस की  पिछले कुछ सालों से बेहतर प्रदर्शन करने वाली दो इक्विटी म्युचुअल फंड स्कीम चुनें 

-अपने परिवार के सदस्यों से पूछकर अनुमान लगाएं कि आपका बच्चा कितने साल बाद उच्चतर शिक्षा के योग्य हो पाएगा और कितने साल बाद उसकी शादी होगी

-आपने जो भी स्कीम चुना है, उससे संबंधित आवेदन फॉर्म ठीक से भर कर फंड हाउस में जमा कर दीजिए

-इसके बाद ECS Mandatory फॉर्म भी भर दीजिए, ताकि हर महीने की खास तारीख (जो आपको उपलब्ध कराना है) को आपने जो फंड स्कीम चुनें हैं, उसका ऑटोमैटिक ऑनलाइन भुगतान आपके बैंक  अकाउंट से हो जाए।    

-आपने जो फंड चुना है, उससे संबंधित एसआईपी Mandatory फॉर्म भी भरें। आपको बता दें कि फंड में एकमुश्त रकम जमा करने की भी सुविधा होती है। इसलिए आपको बताना होता है कि आप एसआईपी करना चाहते हैं या फिर एक बार में एकमुश्त रकम का निवेश करना चाहते हैं।

-ध्यान रहे अपने इस  निवेश को किसी भी हालत में मत निकालें। आप जिस वित्तीय लक्ष्य को पूरे करने के लिए निवेश कर रहे हैं, उसी काम के लिए पैसे निकालें। 

-आप अपने इस निवेश की लगातर समीक्षा कीजिए। इस दौरान देखिए कि आपका निवेश सही ट्रैक पर तो है। अगर कुछ पैसे कम पड़ने की आशंका दिख रही है तो आप एसआईपी अमाउंट बढ़ा सकते हैं। 

-हां, सबसे जरूरी बात, आप इस काम के लिए अपने फाइनेंशियल एडवाइजर या प्लानर की मदद लेना ना भूलें। 
-किसी चाइल्ड प्लान के नाम से मिल रहे प्रोडक्ट को लेकर भ्रम में ना रहे हैं। आप हमेशा अपने वित्तीय लक्ष्य को
ध्यान में रखकर ही प्लान बनाएं और पैसे लगाएं। अगर कोई चाइल्ड प्लान आपके फाइनेंशियल प्लान में हर तरह से फिट बैठ रहा हो, तभी उसमें निवेश के बारे में विचार कीजिए।  कई बार प्रोडक्ट बेचने के लिए और ग्राहक को भ्रम में डालने के लिए नामकरण चाइल्ड प्लान के नाम से करते हैं।   

डिस्क्लेमर: Mutual Fund Investments are subject to market risks, read all scheme related documents carefully.

> म्युचुअल फंड से जुड़ी और जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं............
((म्युचुअल फंड की महफिल: भाग-3: म्युचुअल फंड में निवेश के फायदे
((म्युचुअल फंड में पैसे लगाइए, टैक्स बचाइए; जानें क्यों और कैसे होगा फायदा 
((म्युचुअल फंड में पैसे लगाइए, टैक्स बचाइए; जानें क्यों और कैसे होगा फायदा 
((म्युचुअल फंड के जरिए फाइनेंशियल प्लानिंग पूरी करें
((म्युचुअल फंड: क्यों है निवेश का सबसे बेहतर जरिया: भाग-1
((म्युचुअल फंड: क्यों है निवेश का सबसे बेहतर जरिया: भाग-2
(म्युचुअल फंड के जरिए महिलाओं को कैसे मिलेगी आर्थिक आजादी? 
((रिटायरमेंट फंड बनाएं, म्युचुअल फंड की मदद से  
(एफएमपी (फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स) क्या है
((म्युचुअल फंड कंपनियों की सूची
((टीचर हैं तो क्या हुआ, फाइनेंशियल प्लानिंग करना तो, बनता है बॉस
((डॉक्टर कैसे ठीक रखें फाइनेंशियल सेहत 
((शादी की खुशी में फाइनेंशियल प्लानिंग करना कहीं भूल तो नहीं गए
((म्युचुअल फंड के जरिए महिलाओं को कैसे मिलेगी आर्थिक आजादी? 
((रिटायरमेंट फंड बनाएं, म्युचुअल फंड की मदद से  
((चाइल्ड के लिए अभी से करें प्लान, तभी बनी रहेगी उसकी मुस्कान
((बच्चों से है प्यार, तो उनके लिए रखें फाइनेंशियल प्लान तैयार
(('Money मित्र' बनकर दें बच्चों को लाड़-प्यार  

('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 
(ब्लॉग एक, फायदे अनेक

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Rajanish Kant सोमवार, 28 नवंबर 2016