('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
भारत में खर्च करने योग्य आय (Disposable Income in India):
पूर्व में भारतीयों की टॉप तीन वित्तीय गतिविधियां रही हैं- बचत, स्वास्थ्य बीमा और शेयर एवं स्टॉक में निवश। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समस्या से निपटने के लिए अगले 12 महीनों में शहरी भारतीय अपनी बचत बढ़ाएंगे। उनका प्रमुख खर्च स्वास्थ्य बीमा (आय का 26%), बचत (33%) और भविष्य के लिए निवेश (21%) खरीदना है। इनमें से ज्यादातर पेंशन से जुड़े शेयरों और योजनाओं में निवेश कर रहे हैं।
36 प्रतिशत शहरी भारतीयों ने कहा है कि उनके भविष्य के एजेंडे में बचत उच्च स्तर पर बनी हुई है। वे अगले 12 महीनों में नियमित रूप से अपनी बचत बढ़ाने का इरादा रखते हैं। शहरी भारतीय भविष्य में स्वास्थ्य बीमा पर आय का 28%, शेयर और स्टॉक्स खरीदने पर 24%, पेंशन और रिटायरमेंट फंड बनाने पर 16%, जीवन या गंभीर बीमारी के लिए आय का 16% निवेश करेंगें।
शहरी भारतीयों को भविष्य में खर्च करने योग्य आय में कमी की संभावना कम है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि हालांकि तूफान से बचने के लिए भारतीय कदम उठा रहे हैं, लेकिन अपने पैसे को कैसे मैनेज करना है, इस संबंध में शायद उन्हें मदद की जरूरत है।
करीब 5 में से 2 भारतीय (38%) का महसूस करते हैं कि अगर उन्हें अपने पैसों को कैसे मैनेज करना है, की जानकारी दी जाती है, तो उससे उन्हें काफी फायदा पहुंचेगा। करीब एक तिहाई (32 प्रतिशत) शहरी भारतीयों का मानना है कि उनके पैसों को निवेश के जरिये बढ़ाने के बारे में जानकारी दी जाए, तो काफी मदद मिल जाएगी। 32 प्रतिशत शहरी भारतीय अपनी भविष्य की पैसों से जुड़ी घटनाओं जैसे पेंशन या रिटायरमेंट फंड बनाने में मदद चाहते हैं।
27 प्रतिशत शहरी भारतीय बजट बनाए जाने और खर्चों पर नजर रखने के तरीकों के बारे में जानना चाहते हैं। 25 प्रतिशत अपनी वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन कैसे करें, ये जानना चाहते हैं, 24 प्रतिशत जानने चाहते हैं कि वे कर्ज का प्रबंधन कैसे करें, जबकि 23 प्रतिशत शहरी भारतीय रिटायरमेंट के लिए प्लानिंग के संबंध में मदद चाहते हैं। केवल 15 प्रतिशत का मानना है कि उन्हें अपने पैसों को मैनेज करने के लिए किसी मदद की जरूरत नहीं है।
>पैसों के मामले में क्या चाहते हैं शहरी भारतीय:
38%-अपने पैसों को कैसे मैनेज करना है, की जानकारी चाहते हैं।
32%-पैसों को निवेश के जरिये कैसे बढ़ाएं, की जानकारी।
32%- भविष्य की पैसों से जुड़ी घटनाओं जैसे पेंशन या रिटायरमेंट फंड बनाने में मदद चाहिए।
27%- घर का बजट बनाए जाने और खर्चों पर नजर रखने के तरीकों के बारे में जानकारी चाहिए।
25%-अपनी वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन कैसे करें, की जानकारी।
24%-कर्ज का प्रबंधन कैसे करें, की जानकारी।
23%-रिटायरमेंट के लिए प्लानिंग के संबंध में मदद चाहिए।
15%-अपने पैसों को मैनेज करने के लिए किसी मदद की जरूरत नहीं है।
खर्च करने योग्य आय में कमी के कारण:
खर्च करने योग्य आय में कमी के दो प्रमुख कारण कोविड संबंधित आर्थिक संकट और यूक्रेन-रूस युद्ध संबंधी आर्थिक संकट के प्रभाव हैं। नौकरी छूटना गिरावट में योगदान देने वाला एक अन्य प्रमुख कारक है। मंदी के दौरान, सरकार का राजस्व घटता है और घाटा पैदा होता है। स्थिति को संभालने के लिए सरकार करों में वृद्धि करती है। नतीजतन, प्रयोज्य आय कम हो जाती है।
('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!
('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं!