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125 करोड़ आबादी में से बस इतने ही करोड़ लोग आयकर रिटर्न भरते हैं...
सीबीडीटी ने प्रत्यक्ष कर के आंकड़े जारी किए 


पिछले तीन वर्षों से प्रत्यक्ष कर-जीडीपी अनुपात में निरंतर वृद्धि पिछले चार वित्त वर्षों के दौरान दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या में 80 प्रतिशत से भी अधिक की बढ़ोतरी आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों की संख्या भी 65 प्रतिशत बढ़कर 5.44 करोड़ के आंकड़े को छू गई

प्रत्यक्ष करों के संग्रह और प्रशासन से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़ों को सार्वजनिक तौर पर प्रस्तुत करने की परंपरा को जारी रखते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने टाइम-सीरीज डेटा जारी किया है जिसे वित्त वर्ष 2017-18 तक अद्यतन किया गया है। इसके साथ ही सीबीडीटी ने कर निर्धारण वर्ष 2016-17 और कर निर्धारण वर्ष 2017-18 के लिए आय-वितरण डेटा भी जारी किया है। इन आंकड़ों की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं-
  1. पिछले तीन वर्षों से प्रत्यक्ष कर- जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) अनुपात में निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है और वित्त वर्ष 2017-18 में आंका गया 5.98 प्रतिशत का प्रत्यक्ष कर- जीडीपी अनुपात पिछले 10 वर्षों में सर्वश्रेष्ठ रहा है।
  2. पिछले चार वित्त वर्षों के दौरान दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या में 80 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान दाखिल किए गए रिटर्न की संख्या वित्त वर्ष 2013-14 (आधार वर्ष) के 3.79 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2017-18 में 6.85 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई।
  3. इस अवधि के दौरान आयकर रिटर्न भरने वाले लोगों की संख्या भी लगभग 65 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2017-18 में 5.44 करोड़ के आंकड़े को छू गई। वित्त वर्ष 2013-14 में कुल मिलाकर 3.31 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किए थे।
पिछले तीन कर निर्धारण वर्षों के दौरान सभी श्रेणियों के करदाताओं द्वारा दाखिल किए गए आयकर रिटर्न में घोषित आमदनी की राशि में भी निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2013-14 (आधार वर्ष) से जुड़े कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के दौरान आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों ने कुल मिलाकर 26.92 लाख करोड़ रुपये की सकल आय घोषित की थी, जो कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 67 प्रतिशत बढ़कर 44.88 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई है। यह कर अनुपालन के बढ़ते स्तर को दर्शाता है जो सरकार द्वारा लागू किए गए विभिन्न विधायी एवं प्रशासनिक कदमों की बदौलत संभव हो पाया है। कर चोरी के खिलाफ कारगर ढंग से प्रवर्तन उपायों को लागू करना भी इन कदमों में शामिल है।
पिछले तीन वर्षों के दौरान 1 करोड़ रुपये से भी अधिक की आमदनी को दर्शाने वाले करदाताओं (कंपनियों, फर्मों, हिंदू अविभाजित परिवारों यानी एचयूएफ, इत्यादि सहित) की कुल संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के दौरान 88,649 करदाताओं ने 1 करोड़ रुपये से भी अधिक की आमदनी दर्शाई थी। यह आंकड़ा कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में लगभग 60 प्रतिशत बढ़कर 1,40,139 के स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह 1 करोड़ रुपये से भी अधिक की आमदनी घोषित करने वाले व्यक्तिगत आयकरदाताओं की संख्या भी इस दौरान 48,416 से 68 प्रतिशत बढ़कर 81,344 के आंकड़े को छू गई।
कॉरपोरेट करदाताओं द्वारा अदा किया गया औसत टैक्स भी कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 32.28 लाख रुपये से 55 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 49.95 लाख रुपये हो गया। इसी तरह व्यक्तिगत करदाताओं द्वारा अदा किया गया औसत टैक्स भी कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 46,377 लाख रुपये से 26 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 58,576 रुपये हो गया।
पिछले तीन वर्षों की इस अवधि के दौरान वेतनभोगी करदाताओं की संख्या कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 1.70 करोड़ से 37 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 2.33 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई। वेतनभोगी करदाताओं द्वारा घोषित की गई औसत आमदनी भी इस दौरान 5.76 लाख रुपये से 19 प्रतिशत बढ़कर 6.84 लाख रुपये हो गई।
इसी अवधि के दौरान गैर-वेतनभोगी व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या 1.95 करोड़ से 19 प्रतिशत बढ़कर 2.33 करोड़ के आंकड़े को छू गई। इसी तरह घोषित औसत गैर-वेतन आमदनी भी कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 4.11 लाख रुपये से 27 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 5.23 लाख रुपये हो गई।
अन्य प्रकाशनों के साथ-साथ नई विज्ञप्तियां भी www.incometaxindia.gov.in पर उपलब्ध हैं।
(सौ.पीआईबी)

Rajanish Kant मंगलवार, 23 अक्तूबर 2018
आयकर रिटर्न भरनेवालों के लिए खुशखबरी
अगर अभी तक आपने वित्त वर्ष 2017-18 इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा है और ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं किया है तो आपके जरूरी खबर है। दरअसल, आयकर विभाग कुछ खास कैटेगरी के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने और ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की आखिरी तारीख बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2018 कर दिया है। इससे पहले आखिरी तारीख को बढ़ाकर 15 अक्टूबर 2018 किया गया था। 

इसका मतलब ये हुआ कि अगर आप 31 अक्टूबर 2018 तक आईटी रिटर्न भरते हैं तो आपको जुर्माना नहीं देना पड़ेगा, लेकिन इसके बाद भरते हैं तो आपसे जुर्माना वसूला जाएगा। 

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Rajanish Kant सोमवार, 8 अक्तूबर 2018
आयकर रिटर्न दाखिल करने में 31 अगस्त, 2018 तक 71 प्रतिशत की उछाल दर्ज
वित्त वर्ष 2018 के दौरान (दाखिल करने के लिए 31 अगस्‍त, 2018 तक बढ़ाई गई नियत तिथि) दाखिल किए गए आयकर रिटर्न (आईटीआर) की संख्या में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 31 अगस्‍त, 2018 तक ‘ई-फाइल’ आईटीआर की कुल संख्या 31 अगस्‍त, 2017 तक के 3.17 करोड़ की तुलना में 5.42 करोड़ आंकी गई, जो 70.86 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय वृद्धि को दर्शाती है। 31 अगस्‍त 2018, जो आईटीआर दाखिल करने के लिए बढ़ाई गई अंतिम तिथि थी, को लगभग 34.95 लाख रिटर्न अपलोड किए गए।
दो श्रेणियों में आईटीआर की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। इन श्रेणियों के तहत वेतनभोगी व्यक्तियों (आईटीआर-1 एवं 2) द्वारा दाखिल किए गए आईटीआर की संख्‍या के साथ-साथ अनुमानित कराधान योजना (आईटीआर-4) का लाभ उठाने वाले लोगों द्वारा दाखिल किए गए आईटीआर की संख्‍या में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है।
31 अगस्‍त, 2018 तक वेतनभोगी व्यक्तिगत करदाताओं द्वारा दाखिल किए गए ई-रिटर्न की कुल संख्या वित्‍त वर्ष 2017 की इसी अवधि के दौरान दाखिल किए गए 2.19 करोड़ रिटर्न की तुलना में 3.37 करोड़ आंकी गई, जो रिटर्न की कुल संख्‍या में 1.18 करोड़ अथवा 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
‘अनुमानित कर योजना’ का लाभ उठाने वाले व्यक्तियों द्वारा 31 अगस्‍त, 2018 तक दाखिल किए गए ई-रिटर्न की कुल संख्या 31 अगस्‍त, 2017 तक दाखिल किए गए 14.93 लाख रिटर्न की तुलना में 1.17 करोड़ आंकी गई, जो रिटर्न की कुल संख्‍या में 681.69 प्रतिशत की दमदार वृद्धि दर्शाती है।

(स्रोत-पीआईबी)
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Rajanish Kant शनिवार, 1 सितंबर 2018
केरल के टैक्सपेयर्स के लिए IT रिटर्न भरने की आखिरी तारीख बढ़ी
केरल के आयकर दाताओं के लिए आयकर रिटर्न भरने की तारीख बढ़ी 

केरल में गम्भीर बाढ़ के चलते उत्पन्न व्यवधान को देखते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने केरल के आयकर दाताओं के लिए एक बार फिर आयकर रिटर्न की देय तिथि बढा दी है ताकि केरल के लोग 31 अगस्त, 2018 से 15 सितंबर, 2018 तक आयकर रिटर्न भर सकें।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने इससे पहले आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 2018 को बढ़ाकर 31 अगस्त, 2018 कर दिया है।
(Source: pib)

Rajanish Kant मंगलवार, 28 अगस्त 2018
Income Tax Return Filing: ताजा अपडेट से अनजान मत रहें

Income Tax Return Filing: ताजा अपडेट से अनजान मत रहें

Rajanish Kant शुक्रवार, 27 जुलाई 2018
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की जरूरी खबर...
वित्त वर्ष 2017-18 और आकलन वर्ष (एसेसमेंट ईयर) 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि एक महीने बढ़ा दी गई है। पहले अंतिम तिथि 31 जुलाई 2018 थी जिसे अब बढ़ाकर 31 अगस्त 2018 कर दी गयी है। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है। 

सीबीडीटी के इस फैसले से उनलोगों को राहत मिलेगी, जिन लोगों ने अब तक वित्त वर्ष 2017-18 इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है। 

आपको बता दूं कि इस साल से सरकार ने आखिरी तारीख के बाद रिटर्न भरने पर जुर्माना लगाने का फैसला किया है। ये जुर्माना ₹10 हजार तक हो सकता है।  अगर कोई 31 अगस्त के बाद टैक्स रिटर्न फाइल करता है तो उसे ₹5 हजार जुर्माना देना होगा। 31 दिसंबर के बाद रिटर्न फाइल करने पर ये पेनल्टी ₹10 हजार होगा। अगर आपकी आय ₹ 5 लाख से कम है तो आपको सिर्फ ₹ 1 हजार रुपए ही जुर्माना देना होगा। 

Rajanish Kant गुरुवार, 26 जुलाई 2018
IT रिटर्न भरने वालों के लिए जरूरी खबर

IT रिटर्न भरने वालों के लिए जरूरी खबर

Rajanish Kant सोमवार, 28 मई 2018
अब आईटी रिटर्न फाइल कर सकते हैं, क्योंकि...
आयकर दाता आकलन वर्ष (एसेसमेंट ईयर) 2018-19 यानी वित्त वर्ष (फाइनेंशियल ईयर ) 2017-18 के लिए      इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट यानी आयकर विभाग ने  सभी 7  IT रिटर्न फॉर्म ई-फाइलिंग के लिए जारी कर दिया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ई-फाइलिंग वेबसाइट www.incometaxindiaefiling.gov.in पर जाकर आप आईटी रिटर्न ऑनलाइन भर सकते हैं। विभाग ने इस बारे में जानकारी दी।  

सीबीडीटी ने कहा है कि सभी सात आईटीआर फार्म अब उसकी वेबसाइट पर ऑनलाइन दाखिल करवाए जा सकते हैं हालांकि, कुछ श्रेणी के करदाताओं को यह सुविधा उपलब्ध नहीं होगी
>महत्वपूर्ण तारीख याद रखें:
-31 जुलाई 2018 तक रिटर्न फाइल
कर देना है, जरूरत पड़ने पर तारीख 
बढ़ भी सकती है, लेकिन आप देरी 
मत करें, अंतिम तारीख बढ़ने का भी 
इंतजार मत करें
-31 जुलाई या कोई नई डेडलाइन) के 
बाद रिटर्न भरने पर ₹10,000 तक 
का जुर्माना देना पड़ सकता है

-डेडलाइन के बाद 31 दिसंबर 2018
 तक रिटर्न भरने पर जुर्माना ₹5,000
और 31 दिसंबर के बाद जुर्माना बढ़कर 
₹10,000 हो जाएगा
-अगर किसी टैक्सपेयर की सालाना 
आय ₹5 लाख रुपए तक है तो उसके 
लिए अधिकतम जुर्माना ₹1,000 होगा

-आईटी रिटर्न में रिवीजन की अवधि घटा 
दी गई
-अगर 31 जुलाई 2018 तक रिटर्न फाइल 
करने के दौरान उसमें किसी तरह की गलती 
होती है, तो टैक्सपेयर के पास रिवाइज्ड रिटर्न
फाइल करने के लिए 31 मार्च 2019 तक का 
समय होगा। लेकिन अभी तक टैक्सपेयर को 
इसके लिए दो साल तक का समय मिलता था, 
जिसे अब एक साल कर दिया गया है


आपको बता दूं कि आयकर विभाग ने नियमों में कुछ बदलाव किये हैं। इन बदलावों की वजह से आईटी रिटर्न फाइल  करने में खास सावधानी बरतने की जरूरत है। 

>IT रिटर्न फॉर्म में बदलाव:
-नौकरीपेशा लोगों के लिए जारी ITR फॉर्म 1 
यानी सहज में अब ज्यादा जानकारी देनी होगी
-सहज में अपनी सैलरी का ब्रेकअप बताना होगा
-कुल सैलरी, सारे अलाउंसेस, पर्क्स, इनकम टैक्स
छूट के लिए क्लेम किए गए डिडक्शंस सबकी 
जानकारी देनी होगी 

-कंपनी से मिलने वाले फॉर्म 16 में ये सब जानकारी 
दी जाती है और पहले आईटी रिटर्न फॉर्म में इसकी
जानकारी नहीं देनी होती थी, लेकिन अब फॉर्म 16 
रहने पर भी आईटी रिटर्न में इसकी जानकारी देनी
होगी। 
-घर से होने वाली आय का पूरा ब्यौरा देना जरूरी;
जैसे कुल किराया, किराएदार का पैन नंबर, लोकल 
अथॉरिटी को चुकाए गए टैक्स (प्रॉपर्टी टैक्स),  होम 
लोन लेने पर उस पर चुकाए गए ब्याज, हाउस प्रॉपर्टी 
से होने वाली कमाई की जानकारी 

-छोटे बिजनेसमैन जो ITR-4 फॉर्म भरते हैं, उन्हें 
अब अपना GST आइडेंटिफिकेशन नंबर, GST
के तहत घोषित टर्नओवर का खुलासा करना होगा
-जो लोग किसी फर्म में पार्टनर हैं, अब उन्हें ITR-2 
की बजाय ITR-3 में अपना रिटर्न भरना होगा

>IT रिटर्न -1 यानी सहज किसके लिए:
-जिनकी सालाना इनकम ₹50 लाख 
से अधिक नहीं हो, जिनके आय का 
स्रोत- सैलरी या पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी,
अन्य स्रोत (लॉटरी या घुड़दौड़ की 
आय छोड़कर) हो
-NRI अब ITR-1 में रिटर्न नहीं 
भरेंगे, उन्हें ITR-2 भरना होगा

>अगर आप IT रिटर्न फॉर्म में 
-इनकम कम बताते हैं या
-कटौती बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं या
-इनकम टैक्स कानूनों का उल्लंघन करते हैं,तो
आपके खिलाफ कार्रवाई होगी। साथ ही आपके
Employer को भी इसकी सूचना दी जाएगी। 
-टैक्स सलाहकार या सीए के गलत फायदे की 
सलाह मत मानें:  इनकम टैक्स
-किसी के बहकावे में आकर गलत जानकारी ना दें-इनकम टैक्स
-गलत जानकारी देना कर चोरी मानी जाएगी-इनकम टैक्स 


>किस तरह की कार्रवाई?

-गलत जानकारी पकड़े जाने पर ना
 सिर्फ जुर्माना लगेगा बल्कि जेल भी 
हो सकती है
-इनकम टैक्स के कानून के तहत मुकदमा
दर्ज किया जा सकता है
-अदालती कार्रवाई का सामना करना 
पड़ सकता है
-कोई रिफंड बनता है तो टैक्सपेयर्स को लंबा 
इंतजार करना पड़ सकता है

-विभिन्न जांच एजेंसियों जैसे ईडी बगैरह को 
भी जांच का जिम्मा सौंपा जा सकता है
-जहां आप काम करते हैं, वहां भी आपके 
खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है
-सरकारी कर्मचारी हैं तो सतर्कता विभाग
को जांच सौंपी जा सकती है
-रिटर्न भरने में गलत सलाह देने वालों के 
खिलाफ भी कार्रवाई मुमकिम

>कार्रवाई से कैसे बचें?
-रिवाइज्ड यानी संशोधित रिटर्न फाइल करें,
लेकिन निश्चित समयसीमा के भीतर 

आप पूछेंगे कि अगर किसी ने जानबूझकर नहीं, बल्कि गलती से गलत जानकारी दी है, तो कार्रवाई से बचने के क्या उपाय हैं। अगर आपको पता चल जाए कि आपसे आईटी रिटर्न फाइल करने में गलती हुई है, तो आप रिवाइज्ड यानी संशोधित आईटी रिटर्न फाइल कर सकते हैं, ये काम आपको निश्चित समय सीमा के  भीतर ही कर लेना होगा... 

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Rajanish Kant रविवार, 27 मई 2018
इस बार IT रिटर्नमें गलत जानकारी मत दीजिएगा, जानिए क्यों ...IT Return bharne mein galati ...


इस बार IT रिटर्नमें गलत जानकारी मत दीजिएगा, जानिए क्यों ...IT Return bharne mein galati ...

Rajanish Kant गुरुवार, 19 अप्रैल 2018
गलत IT रिटर्न भरने वाले नौकरीपेशा लोगों को इनकम टैक्स विभाग की चेतावनी...
क्या आप नौकरीपेशा हैं? क्या आपको आकलन वर्ष (एसेसमेंट ईयर) 2018-19 यानी वित्त वर्ष (फाइनेंशियल ईयर ) 2017-18 के लिए आईटी रिटर्न फाइल करना है? क्या आप आईटी रिटर्न फाइल करते समय इनकम कम बताते हैं या फिर ज्यादा टैक्स छूट का दावा करते हैं? अगर ऐसा करते हैं तो इस बार मतलब वित्त वर्ष (फाइनेंशियल ईयर ) 2017-18 के लिए आईटी रिटर्न फाइल करते समय ऐसी गलती मत दोहराइएगा, वरना लेने के देने पड़ सकते हैं। 

दरअसल, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने चेतावनी दी है कि कोई नौकरीपेशा अगर आईटी रिटर्न में अपनी इनकम को कम करते दिखाता है या फिर ज्यादा इनकम टैक्स छूट का दावा करते हुए पकड़ा जाता है या फिर इनकम टैक्‍स नियमों का उल्‍लंघन करता है तो उसके खिलाफ ना केवल मुकदमा दर्ज किया जाएगा, बल्कि उसके एम्‍पलॉयर को भी उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा जाएगा। आईटीआर की जांच-पड़ताल करने वाले बेंगलुरु स्थित इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के केंद्रीय  प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) ने टैक्सपेयर्स को टैक्स सलाहकारों और चार्टर्ड अकाउंटेंट आदि की गलत सलाह में नहीं पड़ने की भी नसीहत दी है। डिपार्टमेंट का कहना है कि अक्सर ऐसे टैक्स सलाहकार गलत दावों के जरिये करदाताओं को टैक्स में छूट का लालच देते हैं। 

डिपार्टमेंट ने तो यहां तक कहा कि ऐसी कई शिकायतें सामने आई हैं, जिनमें सलाहकारों के कहने पर आईटीआर में गड़बड़ियां की गईं।

अगर आप ऐसी गड़बड़ियां करते हुए पकड़े जाते हैं तो इनकम टैक्स कानून के तहत ऐसा करने पर जुर्माना और सजा हो सकती है। इससे रिकॉर्ड खराब होने पर रिफंड में भी समस्या आ सकती है। आयकर विभाग ने जनवरी में ऐसे ही एक रैकेट का भंडाफोड़ किया था, जिसमें कर सलाहकारों और आईटी कंपनियों के कर्मियों का गलत रिटर्न भरकर टैक्स रिफंड लिया जाता था। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। विभाग ने 50 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले कर्मियों के लिए आईटीआर-1 यानी सहज फॉर्म ई रिटर्न फाइलिंग पोर्टल पर 17 अप्रैल से उपलब्ध करा दिया है। आईटीआर की आखिरी तिथि 31 जुलाई, 2018 है।

Rajanish Kant बुधवार, 18 अप्रैल 2018
'आयकर सेतु'(Aaykar Setu) डाउनलोड करें, स्मार्टफोन से ही पैन-आधार लिंक करें, आईटी रिटर्न भरें, पैन के लिए अर्जी दें
वित्‍त मंत्री ने एक नवीन करदाता सेवा मॉड्यूल ‘आयकर सेतु’ लांच किया, जो आयकर विभाग के अंतर्गत निहित विभिन्‍न टैक्‍स टूल, लाइव चैट फैसिलिटी,  गतिशील अपडेट और विभिन्‍न प्रक्रियाओं से संबंधित महत्‍वपूर्ण लिंक को एकल मॉड्यूल में संकलित करता है

केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली ने यहां एक नवीन करदाता सेवा मॉड्यूल ‘आयकर सेतु’ लांच किया। मोबाइल पर उपयोग संबंधी अनुभव को बेहतर करने के लिए एक मोबाइल अनुकूल एंड्रॉइड वर्जन को भी डेस्‍कटॉप वर्जन के साथ जारी किया गया। श्री जेटली ने करदाता सेवाओं को निरंतर बेहतर करने की दिशा में सरकारी प्रतिबद्धता पर विशेष जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि इस ई-पहल से करदाताओं और कर निर्धारण अधिकारियों के बीच आमने-सामने बैठकर होने वाले संपर्क की जरूरत बहुत कम हो जाएगी और ऐसे में कर संबंधी उत्पीड़न की संभावना भी कम हो जाएगी।

 यह मॉड्यूल आयकर विभाग के अंतर्गत निहित विभिन्‍न टैक्‍स टूल, लाइव चैट फैसिलिटी, गतिशील अपडेट और विभिन्‍न प्रक्रियाओं से संबंधित महत्‍वपूर्ण लिंक को एकल मॉड्यूल में संकलित करता है। करदाता महत्‍वपूर्ण टैक्‍स अपडेट, फॉर्म और अधिसूचनाओं के बारे में नियमित रूप से अपडेट को अपने उस मोबाइल नम्‍बर पर प्राप्‍त कर सकते हैं, जिसे आयकर विभाग में पंजीकृत कराया गया है।

 ऐसे सभी करदाता जो इस तरह के एसएमएस अलर्ट प्राप्‍त करना चाहते हैं, उन्‍हें यह सलाह दी जाती है कि वे अपने मोबाइल नम्‍बर को आयकर सेतु मॉड्यूल पर पंजीकृत करा लें।

((जब वैज्ञानिक न्यूटन शेयर बाजार को समझने में गच्चा खा गए !
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((निवेश: 5 गलतियों से बचें, मालामाल बनें Investment: Save from doing 5 mistakes 

Rajanish Kant मंगलवार, 11 जुलाई 2017