125 करोड़ आबादी में से बस इतने ही करोड़ लोग आयकर रिटर्न भरते हैं...

सीबीडीटी ने प्रत्यक्ष कर के आंकड़े जारी किए 


पिछले तीन वर्षों से प्रत्यक्ष कर-जीडीपी अनुपात में निरंतर वृद्धि पिछले चार वित्त वर्षों के दौरान दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या में 80 प्रतिशत से भी अधिक की बढ़ोतरी आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों की संख्या भी 65 प्रतिशत बढ़कर 5.44 करोड़ के आंकड़े को छू गई

प्रत्यक्ष करों के संग्रह और प्रशासन से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़ों को सार्वजनिक तौर पर प्रस्तुत करने की परंपरा को जारी रखते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने टाइम-सीरीज डेटा जारी किया है जिसे वित्त वर्ष 2017-18 तक अद्यतन किया गया है। इसके साथ ही सीबीडीटी ने कर निर्धारण वर्ष 2016-17 और कर निर्धारण वर्ष 2017-18 के लिए आय-वितरण डेटा भी जारी किया है। इन आंकड़ों की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं-
  1. पिछले तीन वर्षों से प्रत्यक्ष कर- जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) अनुपात में निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है और वित्त वर्ष 2017-18 में आंका गया 5.98 प्रतिशत का प्रत्यक्ष कर- जीडीपी अनुपात पिछले 10 वर्षों में सर्वश्रेष्ठ रहा है।
  2. पिछले चार वित्त वर्षों के दौरान दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या में 80 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान दाखिल किए गए रिटर्न की संख्या वित्त वर्ष 2013-14 (आधार वर्ष) के 3.79 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2017-18 में 6.85 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई।
  3. इस अवधि के दौरान आयकर रिटर्न भरने वाले लोगों की संख्या भी लगभग 65 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2017-18 में 5.44 करोड़ के आंकड़े को छू गई। वित्त वर्ष 2013-14 में कुल मिलाकर 3.31 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किए थे।
पिछले तीन कर निर्धारण वर्षों के दौरान सभी श्रेणियों के करदाताओं द्वारा दाखिल किए गए आयकर रिटर्न में घोषित आमदनी की राशि में भी निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2013-14 (आधार वर्ष) से जुड़े कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के दौरान आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों ने कुल मिलाकर 26.92 लाख करोड़ रुपये की सकल आय घोषित की थी, जो कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 67 प्रतिशत बढ़कर 44.88 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई है। यह कर अनुपालन के बढ़ते स्तर को दर्शाता है जो सरकार द्वारा लागू किए गए विभिन्न विधायी एवं प्रशासनिक कदमों की बदौलत संभव हो पाया है। कर चोरी के खिलाफ कारगर ढंग से प्रवर्तन उपायों को लागू करना भी इन कदमों में शामिल है।
पिछले तीन वर्षों के दौरान 1 करोड़ रुपये से भी अधिक की आमदनी को दर्शाने वाले करदाताओं (कंपनियों, फर्मों, हिंदू अविभाजित परिवारों यानी एचयूएफ, इत्यादि सहित) की कुल संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के दौरान 88,649 करदाताओं ने 1 करोड़ रुपये से भी अधिक की आमदनी दर्शाई थी। यह आंकड़ा कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में लगभग 60 प्रतिशत बढ़कर 1,40,139 के स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह 1 करोड़ रुपये से भी अधिक की आमदनी घोषित करने वाले व्यक्तिगत आयकरदाताओं की संख्या भी इस दौरान 48,416 से 68 प्रतिशत बढ़कर 81,344 के आंकड़े को छू गई।
कॉरपोरेट करदाताओं द्वारा अदा किया गया औसत टैक्स भी कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 32.28 लाख रुपये से 55 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 49.95 लाख रुपये हो गया। इसी तरह व्यक्तिगत करदाताओं द्वारा अदा किया गया औसत टैक्स भी कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 46,377 लाख रुपये से 26 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 58,576 रुपये हो गया।
पिछले तीन वर्षों की इस अवधि के दौरान वेतनभोगी करदाताओं की संख्या कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 1.70 करोड़ से 37 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 2.33 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई। वेतनभोगी करदाताओं द्वारा घोषित की गई औसत आमदनी भी इस दौरान 5.76 लाख रुपये से 19 प्रतिशत बढ़कर 6.84 लाख रुपये हो गई।
इसी अवधि के दौरान गैर-वेतनभोगी व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या 1.95 करोड़ से 19 प्रतिशत बढ़कर 2.33 करोड़ के आंकड़े को छू गई। इसी तरह घोषित औसत गैर-वेतन आमदनी भी कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 4.11 लाख रुपये से 27 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 5.23 लाख रुपये हो गई।
अन्य प्रकाशनों के साथ-साथ नई विज्ञप्तियां भी www.incometaxindia.gov.in पर उपलब्ध हैं।
(सौ.पीआईबी)

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