Results for "HOUSEHOLD SAVINGS"
RBI Household Savings Report: क्या आप भी पैसा नहीं बचा पा रहे हैं?
Household savings fall to 5-decade low. There is no distress, says finance ministry. देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की घरेलू बचत पर एक रिपोर्ट ने देश को हैरान कर दिया। लेकिन, इस रिपोर्ट पर सरकार की सफाई ने लोगों को और ज्यादा हैरान किया है।


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Rajanish Kant मंगलवार, 26 सितंबर 2023
Thank You ModiJi! 'महंगाई' लोगों के बचाए रुपए-पैसे चुरा रही है, मुश्किल दौर में आम जनता!


मोदी राज से आप खुश रहें, मोदी जी की वाहवाही करें, बात बात में थैक्यू मोदी जी कहें, अच्छी बात है, लेकिन कभी फुरसत में आराम से बैठकर गौर से सोचिएगा कि कुछ समय पहले तक आप अपनी कमाई में से जितना बचा पता थे, क्या आज बचा पा रहे हैं? आज की बचत कल के लिए खर्च करने में काम आता है और आपकी भविष्य की जिंदगी में आराम लाती है। बचत और निवेश आपके फाइनेंशियल सफर को सुहाना बनाते हैं। 

आम लोगों की बचत को लेकर एक हैरान करने वाली और डराने वाली खबर आ रही है। आप इस खबर से सचेत रहें तो ठीक है, वरना परेशानी बढ़ने ही वाली है। अंग्रेजी दैनिक अखबार बिजनस स्टेंडर्ड ने खबर छापी है। 

हाल के अनुमानों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष यानी FY 23  की पहली छमाही में भारत में परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत (Financial Savings) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग 4 प्रतिशत के तीन दशक के निचले स्तर तक गिर गई है, फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने इसकी जानकारी दी है। 

FY22 में, ये बचत जीडीपी का 7.3 प्रतिशत थी। बचत में यह गिरावट बताती है कि लोग अब अपनी बचत में से पैसे निकालकर अपना जरूरी खर्च कर रहे हैं यानी जीडीपी के मुकाबले बचत में आ रही गिरावट खपत में वृद्धि का संकेत देती है।

वित्त वर्ष 2022 में 17.2 ट्रिलियन रुपये की तुलना में 2023 की पहली छमाही में शुद्ध घरेलू वित्तीय बचत लगभग 5.2 ट्रिलियन रुपये होने का अनुमान है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि संभावना है कि प्रवृत्ति उलट सकती है, लेकिन अगर आने वाली तिमाहियों में बचत में तेजी नहीं आती है, तो खपत और निवेश दोनों को नुकसान होगा।

मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के अनुमान से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 20 प्रतिशत के स्तर की तुलना में परिवारों की कुल बचत वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में जीडीपी के 15.7 प्रतिशत पर आ गई होगी।

ब्रोकरेज के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च मुद्रास्फीति ने उपभोक्ताओं को अपनी बचत से खर्च करने के लिए प्रेरित किया होगा।

कम सकल वित्तीय बचत के बावजूद, घरेलू देनदारियां वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में जीडीपी के 5 प्रतिशत तक बढ़ गईं, गुप्ता ने ये भी कहा है। 

सकल घरेलू उत्पाद के लिए पहला अग्रिम अनुमान बताता है कि व्यक्तिगत वित्तीय उपभोग व्यय (पीएफसीई) कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही में मामूली रूप से कम होने का अनुमान है।

त्योहारी सीजन के बाद खपत मांग में कमी आई है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि हायरिंग में मंदी, दबी हुई मांग में कमी, उच्च मुद्रास्फीति और मोर्टगेज ईएमआई में वृद्धि सहित कई कारकों के संयोजन ने कुछ अपवादों को छोड़कर विवेकाधीन श्रेणियों में मांग को प्रभावित किया है।

उपभोक्ता डेटा के अनुसार, तेजी से आगे बढ़ने वाला उपभोक्ता सामान क्षेत्र (एफएमसीजी) Q2FY23 में 8.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा, जो पिछली तिमाही की तुलना में 2 प्रतिशत कम है। एफई रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण बाजारों में वॉल्यूम में गिरावट 3.6 प्रतिशत की तेज थी, जो दो अंकों की कीमत में बढ़ोतरी और कम यूनिट ग्रोथ दोनों के कारण हुई थी।

बिजोम के आंकड़ों के अनुसार, स्टेपल और डिस्क्रिशनरी उत्पादों दोनों की मांग दिसंबर में बिक्री के क्रमिक रूप से गिरने के बाद ठीक हो गई या इससे पहले कई महीनों तक फ्लैट रही, त्योहार-भारी अक्टूबर का महीना एकमात्र अपवाद रहा।

(लेख साभार- Business Standard)

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Rajanish Kant गुरुवार, 12 जनवरी 2023
कम हो रही है भारतीयों की बचत दर, इकोनॉमी के लिए कठिन डगर...!
देश की कुल बचत दर (Overall Savings Rate)वित्त वर्ष 2016-17 के समाप्त हुए 5 साल के दौरान 34.6% से 
घटकर 30% पर आ गई। सबसे ज्यादा गिरावट पारिवारिक या घरेलू (Household Sector) में देखने को मिली। 
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने 'अर्थ संवाद' ( Arth Samvaad)शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है,जिसमें इसकी जानकारी दी गई है। पारिवारिक बचत दर पारिवारिक खर्च करने योग्य आय (Disposable Income-income (after taxes) that is available to you for saving or spending)और खर्च के बीच के अंतर को कहते हैं। 

रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू बचत दर वित्त वर्ष 2012 से 2017 के दौरान 23.6% से गिरकर 16.3% पर आ गयी है। यदि घरेलू बचत दर  में तेज गिरावट जारी रहती है तो यह देश की आर्थिक वृद्धि और वृहद आर्थिक स्थिरता के लिये गंभीर चुनौती खड़ी कर सकती है। इंडिया  रेटिग्स ने अपनी रिपोर्ट में यह चेतावनी दी है। रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी और माल एवं सेवा कर के कारण घरेलू (पारिवारिक) बचत दर में गिरावट रही। 

इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डी के पंत ने रिपोर्ट में कहा, "नोटबंदी और जीएसटी का अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा, घरेलू क्षेत्र में यह प्रभाव अधिक स्पष्ट रूप से दिखा। घरेलू बचत दर वित्त वर्ष 2016-17 में 153 आधार अंक यानी 1.53 % की गिरावट आई। सार्वजनिक क्षेत्र की बचत दर 0.37 % यानी 37 बीपीएस बढ़ गयी जबकि निजी क्षेत्र की बचत की दर 0.12 % गिर गयी। इस प्रकार बचत दर में 1.28 % की गिरावट रही।

घरेलू बचत में परिवारों, गैर-लाभकारी संस्थानों और अर्ध-निगमों द्वारा बचत शामिल है और यह बचत के लिहाज से सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2012 से 2017 के बीच घरेलू बचत की हिस्सेदारी अर्थव्यवस्था की कुल बचत में 60.93 % रही। इसके बाद निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 35 % और सार्वजनिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 4.07 % रही।

पंत ने कहा, "हालांकि, घरेलू बचत की वृद्धि दर इस दौरान 3.7 % रही। जबकि निजी क्षेत्र की वृद्धि दर 17.4 % और सार्वजनिक क्षेत्र की 12.9 % रही। परिणामस्वरूप घरेलू बचत दर 23.6 % से गिरकर 16.3 % रह गयी।

88% ग्रामीण परिवारों के पास है सेविंग्स अकाउंट, हर महीने करीब ₹ 1400 की बचत: NABARD
खर्च से बचे पैसे को घर में यूं ही मत रखें, उसे अच्छी जगहों पर निवेश करें, इसके कई फायदे हैं
((आपका कम से कम एक बैंक अकाउंट तो जरूर होना चाहिए, कैसे खुलेगा जानें
((बच्चे के बैंक अकाउंट के फायदे
((बच्चों का भी बैंक अकाउंट होना चाहिए 
S.B.I में "ये'' वाला अकाउंट खुलवाइये, मिनिमम बैलेंस का झंझट भी नहीं रहेगा और सारी सुविधायें भी मिलेंगी..
((घर बैठे ही खुल जाएगा आपका बैंक खाता, वो भी Zero Balance पर;  Kotak Mahindra Bank 811
((बढ़ती है दौलत, दौलत बढ़ाने वाली 'ट्रिक' चाहिए, चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest) का पावर
((अब बैंक से भी खरीदें छोटी बचत योजनाएं, डाकघर को भूल जाएं
((सनी लियोनी कहां लगाती हैं पैसे-सोना, शेयर, रियल इस्टेट या फिर म्युचुअल फंड में !

(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
((जानें वो आंकड़े-सूचना-सरकारी फैसले और खबर, जो शेयर मार्केट पर डालते हैं असर
म्युचुअल फंड के बदल गए नियम, बदलाव से निवेशकों को फायदा या नुकसान, जानें विस्तार से  
((फाइनेंशियल प्लानिंग (वित्तीय योजना) क्या है और क्यों जरूरी है?
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 
(बच्चों को फाइनेंशियल एजुकेशन क्यों देना चाहिए पर हिन्दी किताब- बेटा हमारा दौलतमंद बनेगा)
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(ब्लॉग एक, फायदे अनेक

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Rajanish Kant बुधवार, 22 अगस्त 2018