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पहली सैलरी से खुशियों को डबल करने के लिए करें 9 काम

पहली सैलरी से खुशियों को डबल करने के लिए करें 9 काम

Rajanish Kant शनिवार, 15 दिसंबर 2018
महिलाओं के लिए मनी मैनेजमेंट के 5 स्मार्ट तरीके
https://youtu.be/SL04Wk0bGUo

महिलाओं के लिए मनी मैनेजमेंट के 5 स्मार्ट तरीके

Rajanish Kant सोमवार, 19 नवंबर 2018
Modi Money Mantra: प्रधानमंत्री मोदी अपना पैसा कहां निवेश करते हैं...

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Rajanish Kant गुरुवार, 20 सितंबर 2018
कम हो रही है भारतीयों की बचत दर, इकोनॉमी के लिए कठिन डगर...!
देश की कुल बचत दर (Overall Savings Rate)वित्त वर्ष 2016-17 के समाप्त हुए 5 साल के दौरान 34.6% से 
घटकर 30% पर आ गई। सबसे ज्यादा गिरावट पारिवारिक या घरेलू (Household Sector) में देखने को मिली। 
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने 'अर्थ संवाद' ( Arth Samvaad)शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है,जिसमें इसकी जानकारी दी गई है। पारिवारिक बचत दर पारिवारिक खर्च करने योग्य आय (Disposable Income-income (after taxes) that is available to you for saving or spending)और खर्च के बीच के अंतर को कहते हैं। 

रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू बचत दर वित्त वर्ष 2012 से 2017 के दौरान 23.6% से गिरकर 16.3% पर आ गयी है। यदि घरेलू बचत दर  में तेज गिरावट जारी रहती है तो यह देश की आर्थिक वृद्धि और वृहद आर्थिक स्थिरता के लिये गंभीर चुनौती खड़ी कर सकती है। इंडिया  रेटिग्स ने अपनी रिपोर्ट में यह चेतावनी दी है। रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी और माल एवं सेवा कर के कारण घरेलू (पारिवारिक) बचत दर में गिरावट रही। 

इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डी के पंत ने रिपोर्ट में कहा, "नोटबंदी और जीएसटी का अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा, घरेलू क्षेत्र में यह प्रभाव अधिक स्पष्ट रूप से दिखा। घरेलू बचत दर वित्त वर्ष 2016-17 में 153 आधार अंक यानी 1.53 % की गिरावट आई। सार्वजनिक क्षेत्र की बचत दर 0.37 % यानी 37 बीपीएस बढ़ गयी जबकि निजी क्षेत्र की बचत की दर 0.12 % गिर गयी। इस प्रकार बचत दर में 1.28 % की गिरावट रही।

घरेलू बचत में परिवारों, गैर-लाभकारी संस्थानों और अर्ध-निगमों द्वारा बचत शामिल है और यह बचत के लिहाज से सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2012 से 2017 के बीच घरेलू बचत की हिस्सेदारी अर्थव्यवस्था की कुल बचत में 60.93 % रही। इसके बाद निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 35 % और सार्वजनिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 4.07 % रही।

पंत ने कहा, "हालांकि, घरेलू बचत की वृद्धि दर इस दौरान 3.7 % रही। जबकि निजी क्षेत्र की वृद्धि दर 17.4 % और सार्वजनिक क्षेत्र की 12.9 % रही। परिणामस्वरूप घरेलू बचत दर 23.6 % से गिरकर 16.3 % रह गयी।

88% ग्रामीण परिवारों के पास है सेविंग्स अकाउंट, हर महीने करीब ₹ 1400 की बचत: NABARD
खर्च से बचे पैसे को घर में यूं ही मत रखें, उसे अच्छी जगहों पर निवेश करें, इसके कई फायदे हैं
((आपका कम से कम एक बैंक अकाउंट तो जरूर होना चाहिए, कैसे खुलेगा जानें
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S.B.I में "ये'' वाला अकाउंट खुलवाइये, मिनिमम बैलेंस का झंझट भी नहीं रहेगा और सारी सुविधायें भी मिलेंगी..
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म्युचुअल फंड के बदल गए नियम, बदलाव से निवेशकों को फायदा या नुकसान, जानें विस्तार से  
((फाइनेंशियल प्लानिंग (वित्तीय योजना) क्या है और क्यों जरूरी है?
((ये दिसंबर तिमाही को कुछ Q2, कुछ Q3 तो कुछ Q4 क्यों बताते हैं ?
((कैसे करें शेयर बाजार में एंट्री 
((सामान खरीदने जैसा आसान है शेयर बाजार में पैसे लगाना
((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें? 
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Rajanish Kant बुधवार, 22 अगस्त 2018
सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेशक परिवार अपनी कुल सालाना आमदनी में से कितना बचा लेते हैं?
सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015 में 36756 शहरी निवेशक परिवारों से ये पूछा गया कि आप सालाना आमदनी में से कितना बचा लेते हैं।  इसके लिए मासिक आमदनी के आधार पर चार अलग-अलग वर्ग बनाया गया था। एक वर्ग में 20 हजार रु. प्रति माह से कम, दूसरा 20 हजार-50 हजार मासिक आमदनी वाला, तीसरा 50 हजार से एक लाख मासिक आमदनी वाला और चौथा एक लाख रु. से अधिक मासिक आमदनी वाला। 

Savings
Monthly Income
                 Below `20000
`20000 -`50000
`50000 - `1 Lakh
Above `1 Lakh

< 40% of annual income
10569
8833
2920
5513
40%–60% of annual income
1506
3660
624
843
> 60% of annual income
341
771
143
569
Total
12416
13264
3687
6925

(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: किन वजहों से निवेशकों ने निवेश किया?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: किस निवेश साधन से कितने लोग परिचित हैं?
(सेबी इन्वेस्टर सर्वे 2015: निवेश को लेकर महासर्वे, जानिए किन निवेश साधनों को लेकर सर्वे किया गया
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((निवेश: 5 गलतियों से बचें, मालामाल बनें Investment: Save from doing 5 mistakes 

Rajanish Kant रविवार, 9 अप्रैल 2017
किसी अनिश्चितता के लिए मनी मैनेजमेंट कैसे करें
आपकी जिंदगी आराम से कट रही है, आपने जो वित्तीय योजना बनाई है, वो एकदम से पटरी पर है, कि अचानक नोटबंदी जैसे फैसले ले लिये जाते हैं या फिर कोई हादसा आपके साथ हो जाता है, जाहिर आपके सामने एक उलझन की सी स्थिति पैदा हो जाएगी। ऐसे में मनी मैनेजमेंट कैसे करें, ये एक बड़ा सवाल है। इसका जवाब तलाशना जरूरी है ताकि आर्थिक सफर में कोई बाधा नहीं पहुंचे।  चलिए जानते हैं आखिर इसका उपाय क्या है? 

संकट या अनिश्चतता की इस घड़ी के लिए हमें अपने सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों का ध्यान रखने के साथ  पैसे बचाने का भी  विकल्प ढूंढना होगा। दूसरे शब्दों  में, वित्तीय लक्ष्य को हासिल करने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाना फायदेमंद होगा। आपके इस काम में म्युचुअल फंड में निवेश भी आपकी मदद कर सकता है। 

-जीवन को आसान बनाने के लिए तकनीक के साथ खुद को बदलिये। मसलन, नेट और मोबाइल बैंकिंग के इस्तेमाल को तरजीह दीजिए। आज आपके बैंक या निवेश कंपनियां, मोबाइल ऐप कंपनियां खुद ही ग्राहकों को फायदेमंद तकनीक, उनको आसानी से समझने वाले प्रोडक्ट और ट्रैकिंग विकल्प मुहैया करा रही हैं। 

-एक बजट बनाइये और उस पर दृढ़ता के साथ अमल कीजिए। खर्च की प्राथमिकता तय करना सबसे जरूरी है। हाथ में सीमित कैश ही रखिये। आमदनी की परवाह किए बगैर बचत को जरूर तरजीह दीजिए। इससे आपको अपना बजट बनाने और अपने वित्तीय लक्ष्य तक पहुंचने में आसानी होगी। 

-बचत अच्छी बात है, लेकिन जमाखोरी नहीं। नोटबंदी ने जमाखोरी को हतोत्साहित किया है। पैसों को गद्दे के नीचे छुपाकर और बैंकों में बेकार पड़े रहने देना सुहाना वित्तीय सफर के लिए बड़ा दुश्मन है। घर और बैंक में पर्याप्त आपातकालीन फंड नहीं होना लंबे समय के लिए  हानिकारक साबित होता है।

-नकदी जमा करने के बजाय निवेश कीजिए। इससे लंबी अवधि में ज्यादा रिटर्न मिलेगा। टैक्स बचत करने का विकल्प म्युचुअल फंड में मिलता है।  जिन लोगों के पास पर्याप्त पैसे बेकार पड़े हैं उनके लिए नोटबंदी जैसे अचानक के झटकों और भविष्य में अनिश्चितताओं से उन पैसों को बचाने के लिए म्युचुअल फंड में निवेश करना बेहतर विकल्प है। 

याद रखें अपने वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर ही म्युचुअल फंडों में निवेश करें-चाहे कार खरीदनी हो, या फिर घर खरीदना हो या भविष्य के लिए बचत करना हो।

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(("बस एक क्लिक और सीखें कॉमर्स की बेसिक्स, वो भी फ्री में और आसानी से"
C.A. PRIYA BANGARD,Co- founder,www.AforAccounts.com
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((How to Stay Safe on Public Wi-Fi Networks? s
सावधान, पब्लिक फ्री Wi-Fi से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन खतरनाक है, कैसे बचेंगे? 

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((इनकम टैक्स में छूट 80 C के अलावा कहां-कहां मिलती है; Income Tax Rebate beyond 80 C  
((इनकम टैक्स का नोटिस मिले, तो क्या करें; If you get Income Tax Notice, what to do 
((निवेश: 5 गलतियों से बचें, मालामाल बनें Investment: Save from doing 5 mistakes 

Rajanish Kant सोमवार, 6 मार्च 2017
पहली सैलरी मिल गई, तो क्या सिर्फ खर्च की ही योजना बनाएंगे, कई दूसरे जरूरी काम भी हैं...
पहली नौकरी लगी है, तो क्या सारी सैलरी आप खर्च देंगे या फिर बचत, निवेश भी करेंगे  

भला, पहली नौकरी मिल जाए, तो किसे खुशी नहीं होती है। महीने भर काम करने के बाद लीजिए, अब सैलरी भी आ गई। तो, सैलरी के बारे में क्या सोचा आपने। हाथ खोलकर खर्च करेंगे, पार्टी करेंगे, जमकर खरीदारी करेंगे, दोस्तों के साथ कहीं पिकनिक पर जाएंगे...क्यों...यही ना। जी हां, हममें से ज्यादातर लोगों के मन में पहली सैलरी मिलने के बाद शायद इसी तरह के विचार चलते रहते हैं, लेकिन हम भूल जाते हैं कि हमें आने वाले कल के लिए कुछ बचत भी करनी है, उन पैसों का कहीं ना कहीं अच्छे निवेश साधनों में निवेश भी करना है, आपातकालीन और रिटायरमेंट फंड भी बनाना है। 

अगर हम अपनी पहली सैलरी के मिलते ही जिस तरह से खर्च के बारे में सोच लेते हैं उसी तरह अगर बचत, निवेश, इंश्योरेंस, रिटायरमेंट फंड बगैरह के बारे में भी सोच लें, तो कितना अच्छा रहेगा। यानी कल के लिए भी हम आज से ही सोचना शुरू कर दें। तो, चलिए बताते हैं इसके लिए क्या-क्या करना जरूरी है...

1) सबसे पहला काम अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा किसी अच्छी रिटायरमेंट या पेंशन स्कीम में लगाएं। जैसे अगर आपकी कंपनी आपकी सैलरी में से कुछ पैसे काटकर ईपीएफ (Employee Provident Fund-कर्मचारी भविष्य निधि, अक्सर पीएफ के  नाम से पुकारा जाता है) में निवेश करती है तब तो ठीक है। अगर आपकी कंपनी में इसकी व्यवस्था नहीं है, तो पीपीएफ (Public Provident Fund-सार्वजनिक भविष्य निधि ) में जरूर निवेश करें। शुरू में सैलरी कम हो तो सैलरी का 3-4% हिस्सा इसमें निवेश कर दें। जैसे-जैसे सैलरी बढ़ती जाए, पीपीएफ में अपना हिस्सा बढ़ाते जाएं। मसलन, पहले साल अगर कुल सैलरी का 3-4% निवेश किया तो उसके अगले साल उसे बढ़ाकर सैलरी का 5-6% कर सकते हैं। जानकारों के मुताबिक, ज्यादा से ज्यादा कुल सैलरी का 10 % हिस्सा ईपीएफ या पीपीएफ में निवेशित होना चाहिए। ये फंड आपके  रिटायरमेंट के बाद काम आएंगे। 


2)दूसरा काम कीजिए कि अपनी आमदनी और अपने खर्चों पर नजर रखें यानी कैश प्लो पर ध्यान रखें। आपका फाइनेंशियल सफर तभी सुहाना होगा,जब आपकी आमदनी ज्यादा और आपके खर्च कम होंगे। मतलब हर हाल में आपके हाथ में पैसे ज्यादा होने चाहिए। आमदनी और खर्च पर नजर रखने का सबसे बढ़िया उपाय है कि आप अपने घर का बजट बनाएं। अपनी आमदनी और अपने खर्च को एक डायरी पर नोट करें। इससे आपको अपने कैश प्लो का अंदाज रहेगा। फाइनेंशियल प्लानिंग भी साथ-साथ लिखते चलें। याद रखें अगर खर्च आमदनी से ज्यादा है तो या तो खर्च में कटौती करें या फिर ज्यादा कमाई के लिए कोई दूसरा काम करें। 

वैसे बाजार में कई एप्स भी मौजूद हैं जो आपके खर्चों पर नजर रखने काम कर सकते हैं। अगर आप ज्यादा खर्च करने लगेंगे तो ये एप्स आपको आगाह करेंगे। इस तरह से आप अपने खर्च को काबू में रख सकते हैं। कुछ एप हैं-AndroMoney, Monefy, Money Lover, Mvelopes, Money View,Officetime,Good Budget,Wally, Mint, HomeBudgetआदि


3) कर्ज कम करें: हो सकता है पढ़ाई करते समय आपने स्टूडेंट लोन या विद्यार्थी ऋण लिया हो, या फिर आपके ऊपर क्रेडिट कार्ड का कर्ज या फिर मेडिकल बिल का बकाया हो, इनको भी खत्म करने या कम करने के लिए प्लान तैयार करें। जानकार एक बार में ही कर्ज या बकाया चुकाने की सलाह नहीं देते हैं। इसके बदले उन बकायों या कर्ज की प्राथमिकता तय कर उसे धीरे-धीरे खत्म करने की बात कहते हैं। प्राथमिकता तय करने के लिए जानकार दो उपायों का सुझाव  देते हैं....पहला, ज्यादा ब्याज दर वाले  कर्ज या बकाए को पहले स्थान पर रखते हुए उनकी लिस्ट बनाना  (मतलब सबसे ज्यादा ब्याज दर वाला सबसे ऊपर,उससे कम वाला उसके नीचे और उससे भी कम ब्याज वाला उससे नीचे) और दूसरा सबसे कम लोन या बकाए को सबसे पहले रखकर लिस्ट बनाएं (मतलब,  सबसे पहले सबसे कम कर्ज या बकाए को रखें उसके बाद उससे कम वाले बकाए या कर्ज को रखें और फिर उससे भी कम वाले कर्ज या बकाए को रखें) कर्ज या बकाया चुकाएं।  इसमें से जो तरीका आपको बेहतर लगे उसे अमल में लाएं। 

4)अब भविष्य की खरीदारी के लिए बचत करने का लक्ष्य तय करें:  आप अपने पैसे आज ही खर्च कर डालेंगे, तो कल की जरूरत कैसे पूरी होगी। इसलिए आने वाले दिनों के लिए भी फाइनेंशियल प्लान आज ही तैयार कर लें और उसके लिए निवेश करना शुरू कर दीजिए। जैसे, घर खरीदने के लिए डाउन  पेमेंट का इंतजाम करना, अपनी शादी करना, कार खरीदना, विदेश घूमने जाना बगैरह-बगैरह। अपने फाइनेंशियल प्लान तीन अवधि छोटी, मध्यम और दीर्ध अवधि में बांटकर तैयार कर सकते हैं। 


5)आपातकालीन फंड (Emergency Fund)बनाइए: जिंदगी में सबकुछ हमारी योजना के मुताबिक नहीं होता है। कई बार अचानक दूसरा काम पड़ जाता है और उसके लिए अतिरिक्त पैसों की जरूरत पड़ती है। मसलन, कोई हादसा होना, कोई गंभीर बीमारी होना बगैरह। ऐसे कामों के लिए आपातकालीन फंड बनाना जरूरी है। ध्यान रहे इस फंड को आपात स्थिति में इस्तेमाल करना चाहिए। 
6) जरूरत के मुताबिक इंश्योरेंस पॉलिसी लें:  अपनी सैलरी में से कुछ पैसे इंश्योरेंस के लिए भी बचाकर रखें। इसमें लाइफ इंश्योरेंस के साथ-साथ मेडिकल इंश्योरेंस भी जरूरी है। इंसान की जिंदगी में एक तरफ अनिश्चतता बढ़ गई है तो दूसरी ओर इलाज करवाना लगातार महंगा होता जा रहा है। 
7) अपने फाइनेंशियल प्लान, बचत, निवेश की समय-समय पर समीक्षा करें। आपने जो रिटायरमेंट फंड बनाया है, आपातकालीन फंड बनाया है, भविष्य के लिए फाइनेंशियल प्लान तैयार किया है, उसकी समय-समय पर समीक्षा करें। अगर उसमें कोई फेर-बदल करने की जरूरत आप महसूस कर रहे हैं तो फेर-बदल करना अच्छा रहेगा। 
((आपका 'Money Time' क्या है ?
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Rajanish Kant मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017