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#Income Tax:जानें कहां कहां से हुई कमाई पर इनकम टैक्स नहीं देना होता है

#Income Tax:जानें कहां कहां से हुई कमाई पर इनकम टैक्स नहीं देना होता है

Rajanish Kant शुक्रवार, 15 मार्च 2019
125 करोड़ आबादी में से बस इतने ही करोड़ लोग आयकर रिटर्न भरते हैं...
सीबीडीटी ने प्रत्यक्ष कर के आंकड़े जारी किए 


पिछले तीन वर्षों से प्रत्यक्ष कर-जीडीपी अनुपात में निरंतर वृद्धि पिछले चार वित्त वर्षों के दौरान दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या में 80 प्रतिशत से भी अधिक की बढ़ोतरी आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों की संख्या भी 65 प्रतिशत बढ़कर 5.44 करोड़ के आंकड़े को छू गई

प्रत्यक्ष करों के संग्रह और प्रशासन से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़ों को सार्वजनिक तौर पर प्रस्तुत करने की परंपरा को जारी रखते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने टाइम-सीरीज डेटा जारी किया है जिसे वित्त वर्ष 2017-18 तक अद्यतन किया गया है। इसके साथ ही सीबीडीटी ने कर निर्धारण वर्ष 2016-17 और कर निर्धारण वर्ष 2017-18 के लिए आय-वितरण डेटा भी जारी किया है। इन आंकड़ों की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं-
  1. पिछले तीन वर्षों से प्रत्यक्ष कर- जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) अनुपात में निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है और वित्त वर्ष 2017-18 में आंका गया 5.98 प्रतिशत का प्रत्यक्ष कर- जीडीपी अनुपात पिछले 10 वर्षों में सर्वश्रेष्ठ रहा है।
  2. पिछले चार वित्त वर्षों के दौरान दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या में 80 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान दाखिल किए गए रिटर्न की संख्या वित्त वर्ष 2013-14 (आधार वर्ष) के 3.79 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2017-18 में 6.85 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई।
  3. इस अवधि के दौरान आयकर रिटर्न भरने वाले लोगों की संख्या भी लगभग 65 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2017-18 में 5.44 करोड़ के आंकड़े को छू गई। वित्त वर्ष 2013-14 में कुल मिलाकर 3.31 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किए थे।
पिछले तीन कर निर्धारण वर्षों के दौरान सभी श्रेणियों के करदाताओं द्वारा दाखिल किए गए आयकर रिटर्न में घोषित आमदनी की राशि में भी निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2013-14 (आधार वर्ष) से जुड़े कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के दौरान आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों ने कुल मिलाकर 26.92 लाख करोड़ रुपये की सकल आय घोषित की थी, जो कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 67 प्रतिशत बढ़कर 44.88 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई है। यह कर अनुपालन के बढ़ते स्तर को दर्शाता है जो सरकार द्वारा लागू किए गए विभिन्न विधायी एवं प्रशासनिक कदमों की बदौलत संभव हो पाया है। कर चोरी के खिलाफ कारगर ढंग से प्रवर्तन उपायों को लागू करना भी इन कदमों में शामिल है।
पिछले तीन वर्षों के दौरान 1 करोड़ रुपये से भी अधिक की आमदनी को दर्शाने वाले करदाताओं (कंपनियों, फर्मों, हिंदू अविभाजित परिवारों यानी एचयूएफ, इत्यादि सहित) की कुल संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के दौरान 88,649 करदाताओं ने 1 करोड़ रुपये से भी अधिक की आमदनी दर्शाई थी। यह आंकड़ा कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में लगभग 60 प्रतिशत बढ़कर 1,40,139 के स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह 1 करोड़ रुपये से भी अधिक की आमदनी घोषित करने वाले व्यक्तिगत आयकरदाताओं की संख्या भी इस दौरान 48,416 से 68 प्रतिशत बढ़कर 81,344 के आंकड़े को छू गई।
कॉरपोरेट करदाताओं द्वारा अदा किया गया औसत टैक्स भी कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 32.28 लाख रुपये से 55 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 49.95 लाख रुपये हो गया। इसी तरह व्यक्तिगत करदाताओं द्वारा अदा किया गया औसत टैक्स भी कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 46,377 लाख रुपये से 26 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 58,576 रुपये हो गया।
पिछले तीन वर्षों की इस अवधि के दौरान वेतनभोगी करदाताओं की संख्या कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 1.70 करोड़ से 37 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 2.33 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई। वेतनभोगी करदाताओं द्वारा घोषित की गई औसत आमदनी भी इस दौरान 5.76 लाख रुपये से 19 प्रतिशत बढ़कर 6.84 लाख रुपये हो गई।
इसी अवधि के दौरान गैर-वेतनभोगी व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या 1.95 करोड़ से 19 प्रतिशत बढ़कर 2.33 करोड़ के आंकड़े को छू गई। इसी तरह घोषित औसत गैर-वेतन आमदनी भी कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के 4.11 लाख रुपये से 27 प्रतिशत बढ़कर कर निर्धारण वर्ष 2017-18 में 5.23 लाख रुपये हो गई।
अन्य प्रकाशनों के साथ-साथ नई विज्ञप्तियां भी www.incometaxindia.gov.in पर उपलब्ध हैं।
(सौ.पीआईबी)

Rajanish Kant मंगलवार, 23 अक्तूबर 2018
Education Loan (शिक्षा ऋण) लेकर इनकम टैक्स बचाएं

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Rajanish Kant गुरुवार, 26 जुलाई 2018
कर अधिकारी से मिलकर यूजनरेम-पासवर्ड बदल सकते हैं करदाता: वित्त मंत्रालय

साभार-भाषा 
नयी दिल्ली , 14 जून (भाषा) वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में पंजीकृत इकाइयां जीएसटी पहचान संख्या (जीएसटीएन) में पंजीकृत ईमेल तथा मोबाइल नंबर बदलने के लिए वैध दस्तावेजों के साथ अपने न्यायाधिकार क्षेत्र के कर अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। 

राजस्व विभाग को कुछ पंजीकृत इकाइयों से शिकायतें मिली थीं कि पंजीयन के लिए उनकी ओर से पंजीकरण के आवेदन के लिए प्राधिकृत बिचौलियों ने उस दौरान अपने खुद के ईमेल पतों एवं मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया था। अब वे उन्हें उपयोक्ता (यूजर) संबंधी विवरण न हीं दे रहे हैं। 

मंत्रालय ने एक बयान में कहा , ‘‘ करदाताओं की इन दिक्कतों को दूर करने के लिए जीएसटी प्रणाली में प्राधिकृत अधोहस्ताक्षरी का ईमेल एवं मोबाइल नंबर अपडेट करने की सुविधा दी गयी है। ईमेल एवं मोबाइल नंबर को करदाता के संबंधित न्यायाधिकार क्षेत्र के कर अधिकारी के मार्फत अपडेट किया जा सकता है। ’’ 

मंत्रालय ने कहा कि करदाता अपने न्यायाधिकार क्षेत्र के कर अधिकारी से मिलकर अपने कारोबार को आवंटित जीएसटी पहचान संख्या के लिए पासवर्ड ले सकते हैं। करदाता जीएसटी पोर्टल पर उपलब्ध ‘ सर्च टैक्सपेयर ’ विकल्प के जरिये अपना न्यायाधिकार क्षेत्र जान सकते हैं। 

करदाताओं को जीएसटी पहचान संख्या से संबंधित कारोबारी जानकारियों को सत्यापित करने तथा अपनी पहचान के लिए कर अधिकारी को वैध दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। इसके बाद अधिकारी गतिविधियों को प्राधिकृत कर करदाता द्वारा मुहैया कराये गये ईमेल एवं मोबाइल नंबर अपडेट कर देंगे। 

दस्तावेज को अपलोड करने के बाद कर अधिकारी जीएसटी पहचान संख्या का पासवर्ड प्रणाली में बदल देंगे। इसके बाद कर अधिकारी ईमेल आईडी के जरिये करदाता को यूजरनेम तथा तात्कालिक पासवर्ड की जानकारी भेज देंगे। 

करदाता को इस यूजरनेम और तात्कालिक पासवर्ड के साथ पोर्टल पर लॉग इन करना होगा। कर दाता इसके बाद यूजनरेम और पासवर्ड बदल सकेंगे। 

Rajanish Kant गुरुवार, 14 जून 2018
आयकर चोरों का पता बताकर सरकार से लाखों पाएं
आयकर विभाग ने संशोधित आयकर मुखबिर पुरस्कार योजना, 2018 जारी किया 
काले धन का पता लगाने और कर चोरी में कमी लाने के आयकर विभाग के प्रयासों में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से आयकर विभाग ने संशोधित योजना के अंतर्गत भारत में आय और परिसंपत्तियों पर कर चोरी के बारे में आयकर विभाग में जांच निदेशालय के निर्दिष्ट अधिकारियों को तय प्रक्रिया के अंतर्गत विशेष सूचना देने वाले व्यक्ति 50 लाख रुपये की पुरस्कार राशि प्राप्त कर सकता है।
('करप्ट लोगों की सूचना दें करोड़पति बनें'


भारत सरकार ने इससे पहले काला धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियां) तथा करारोपण अधिनियम 2015 लागू किया था ताकि भारत में कर योग्य लोगों द्वारा विदेशों में रखी गई आय और परिसंपत्तियों की जांच की जा सके।  इन पर करों की वसूली की जा सके तथा दंड और मुकदमे जैसे कदम उठाए जा सकें। काला धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियां) तथा करारोपण अधिनियम, 2015 के अंतर्गत कार्रवाई योग्य ऐसी आय और परिसंपत्तियों के बारे में सूचना देने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नई पुरस्कार योजना में 5 करोड़ रुपये तक का पुरस्कार शामिल किया गया है। पुरस्कार राशि अधिक रखी गई है ताकि विदेशों के संभावित स्रोत आकर्षित हो सकें। इस योजना के अंतर्गत काला धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियां) तथा करारोपण अधिनियम, 2015 के तहत कार्रवाई योग्य विदेशों में आय और परिसंपत्तियों पर कर चोरी के बारे में तय प्रक्रिया के अंतर्गत विशेष सूचना देने वाले व्यक्ति पुरस्कार राशि प्राप्त कर सकता है।
इस योजना के अंतर्गत सूचना निर्धारित प्रक्रिया में आयकर महानिदेशक (जांच) या अधिकृत अधिकारी को देनी होगी। इस योजना के लिए विदेशी भी पुरस्कार पाने के पात्र होंगे। सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान प्रकट नहीं की जाएगी और पूरी गोपनीयता बरती जाएगी।
संशोधित पुरस्कार योजना के ब्यौरे आयकर मुखबिर पुरस्कार योजना, 2018 में उपलब्ध है जिसकी कॉपी आयकर कार्यालयों में तथा आयकर विभाग की वेबसाइट www.incometaxindia.gov.in पर उपलब्ध है।

(स्रोत- पीआईबी)
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Rajanish Kant शुक्रवार, 1 जून 2018
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Rajanish Kant मंगलवार, 22 मई 2018
हर कामकाजी मां के लिए इनकम टैक्स बचाने की टिप्स

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Rajanish Kant सोमवार, 14 मई 2018
साल बदला, आयकर से जुड़े कुछ नियम बदलें

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Rajanish Kant शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017
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Rajanish Kant शुक्रवार, 3 मार्च 2017
फायदेमंद टैक्स बचत साधन कौन-लाइफ इंश्योरेंस प्लान, बैंक FD, PPF, NSCs, NPS, ELSS या सुकन्या समृद्धि योजना?
टैक्स बचाने के लिए इनकम टैक्स की धारा 80 सी के साथ-साथ उससे अलग हटकर भी कई साधन हैं। लेकिन उन साधनों में अगर सबसे फायदेमंद साधन का पता लगाना हो, तो कई पैमाने पर उनकी तुलना करनी होगी। लाइफ इंश्योरेंस प्लान, बैंक FD, PPF, NSCs, NPS, ELSS या सुकन्या समृद्धि योजना की तुलना उनके सालाना रिटर्न, टैक्स कटौती के प्रावधान और लिक्विडिटी के आधार पर करें तो सबकी अलग-अलग पैमाने पर अलग-अलग खासियत है। आप भी नीचे गए टेबल में देख सकते हैं....

टैक्स बचत साधन                सालाना रिटर्न (%)            टैक्स प्रावधन                   लिक्विडिटी
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लाइफ इंश्योरेंस प्लान                4.5-5                       टैक्स फ्री                   प्लान की अवधि
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बैंक एफडी                              7-7.25                       ब्याज पर टैक्स             5 साल
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एनएससी                                   8                             ब्याज पर टैक्स             5 साल
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पीपीएफ                                    8                               टैक्स फ्री                    15 साल, लेकिन 6ठवें साल से                                                                                                                        आंशिक निकासी की सुविधा
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सुकन्या समृद्धि योजना                8.5                               टैक्स फ्री                   बेटी जब 18 साल की हो जाए
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एनपीएस                           बाजार आधारित                   40% टैक्स फ्री               रिटायरमेंट तक
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ELSS            बाजार आधारित                    टैक्स फ्री                    3 साल
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तो, आप भी अगर टैक्स बचत के लिए बेहतर और फायदेमंद टैक्स बचत निवेश साधन की तलाश में हैं तो उन साधनों को अलग-अलग पैमाने पर तुलना करके ही अंतिम फैसला लीजिएगा, तो अच्छा रहेगा। 
((आम बजट 2017-18: इनकम टैक्स से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब यहां मिलेगा, जानें टैक्स बचाने के लिए आप कहां-कहां निवेश करें     
((आम बजट  2017-18: निवेश के लिए रियल एस्टेट लाभदायक या हानिकारक !
((आयकर (इनकम टैक्स) के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब
((इनकम टैक्स बचाने की तरकीब जानिए beyourmoneymanager से 
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((वॉरेन बफेट को इंडेक्स फंड पसंद है, कहा, दूसरे निवेश में निवेशक नहीं मैनेजर अमीर बनते हैं 
((शेयर बाजार: जब तक सीखेंगे नहीं, तबतक पैसे बनेंगे नहीं! 
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((निवेश: 5 गलतियों से बचें, मालामाल बनें Investment: Save from doing 5 mistakes 

Rajanish Kant मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017