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आधार कार्ड को अपडेट करें बिना लाइन में लगे, बिना डॉक्युमेंट्स के

आधार कार्ड को अपडेट करें बिना लाइन में लगे, बिना डॉक्युमेंट्स के

Rajanish Kant गुरुवार, 26 सितंबर 2019
करदाताओं का पैन से आधार जोड़ना अनिवार्य, अंतिम तिथि 31 मार्च

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने जोर देकर कहा है कि जो लोग आयकर रिटर्न दाखिल कर रहे हैं उनके लिए पैन कार्ड को आधार से जोड़ना ‘अनिवार्य’ है। इस काम को 31 मार्च तक पूरा किया जाना है।
सीबीडीटी ने बृहस्पतिवार को जारी एक परामर्श पत्र में कहा कि पिछले साल सितंबर में उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में आधार की संवैधानिक मान्यता को बरकरार रखा था। इसी क्रम में आयकर कानून-1961 की धारा-139एए के तहत सीबीडीटी द्वारा 30 जून, 2018 को जारी आदेश मान्य हो जाता है। इसके अनुसार आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों को 31 मार्च, 2019 से पहले पैन कार्ड को आधार से जोड़ना अनिवार्य है।
उच्चतम न्यायालय ने छह फरवरी को अपने आदेश में पुष्टि की कि आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों के लिए पैन कार्ड को आधार से जोड़ना अनिवार्य है।
उच्चतम न्यायालय ने दोबारा यह निर्णय दिल्ली उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ केंद्र की याचिका पर दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में दो लोगों को उनका 2018-19 का आयकर रिटर्न पैन से आधार को जोड़े बिना दाखिल करने की अनुमति दे दी थी।
इस पर न्यायामूर्ति एक. के. सीकरी और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत इस मामले में पहले ही फैसला दे चुकी है और उसने आयकर की धारा 139एए को बरकरार रखा है।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल सितंबर में केंद्र की आधार योजना को मान्य करार दिया था, लेकिन बैंक खातों, मोबाइल फोनों और स्कूलों में प्रवेश जैसे कुछ काम अनिवार्य बनाने वाले प्रावधानों को रद्द कर दिया था।

(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019
आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिये पैन के साथ आधार जोड़ना जरूरी: न्यायालय

च्चतम न्यायालय ने कहा है कि आय कर रिटर्न दाखिल करने के लिये पैन को आधार के साथ जोड़ना अनिवार्य है।

न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत पहले ही इस मामले में फैसला सुनाते हुये आय कर कानून की धारा 139एए को सही ठहरा चुकी है।

शीर्ष अदालत ने श्रेया सेन ओर जयश्री सतपुड़े को वर्ष 2018-19 का आय कर रिटर्न पैन नंबर को आधार से जोड़े बगैर ही दाखिल करने की अनुमति देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केन्द्र की अपील पर यह निर्देश दिया। 

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने इस तथ्य के मद्देनजर यह आदेश दिया था कि मामला शीर्ष अदालत में विचारार्थ लंबित है। इसके बाद, चूंकि शीर्ष अदालत ने इस मामले में पिछले साल 26 सितंबर को फैसला सुना दिया और आय कर कानून की धारा 139एए को बरकरार रखा है, इसलिए पैन नंबर को आधार से जोड़ना अनिवार्य है। 

पीठ ने केन्द्र की अपील का निबटारा करते हुये स्पष्ट किया कि कर आकलन वर्ष 2019-20 के लिये आय कर रिटर्न शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप दाखिल करना होगा।

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 26 सितंबर, 2018 को अपने फैसले में केन्द्र की आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध करार देते हुये कहा था कि आयकर रिटर्न दाखिल करने और पैन नंबर के आबंटन के लिये आधार अनिवार्य होगा परंतु बैंक खातों के लिये आधार आवश्यक नहीं है। इसी तरह मोबाइल कनेक्शन के लिये दूरसंचार सेवा प्रदाता भी आधार नहीं मांग सकते हैं।



(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant बुधवार, 6 फ़रवरी 2019
Aadhaar पर अपडेट: अब इन कामों के लिए नहीं देना होगा आधार

Aadhaar पर अपडेट: अब इन कामों के लिए नहीं देना होगा आधार

Rajanish Kant गुरुवार, 27 सितंबर 2018
न्यायालय ने आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया
साभार-  पीटीआई-भाषा


उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अपने फैसले में केन्द्र की महत्वाकांक्षी योजना आधार को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि आधार का लक्ष्य कल्याणकारी योजनाओं को समाज के वंचित तबके तक पहुंचाना है और वह ना सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि समुदाय के दृष्टिकोण से भी लोगों के सम्मान का ख्याल रखती है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि आधार जनहित में बड़ा काम कर रहा है और आधार का मतलब है अनोखा और सर्वश्रेष्ठ होने के मुकाबले अनोखा होना बेहतर है।

संविधान पीठ ने आधार योजना संबंधी कानून और इसे वित्त विधेयक के रूप में पारित कराने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की थी। इस मामले में तीन अलग अलग फैसले सुनाये गये।

पहला निर्णय संविधान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने न्यायमूर्ति सीकरी ने प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और अपनी ओर से फैसला पढ़ा।

न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि जितनी जल्दी संभव हो आंकड़ों/सूचनाओं की सुरक्षा के लिए मजबूत रक्षा प्रणाली विकसित की जाए।

उन्होंने कहा कि आधार के खिलाफ याचिकाकर्ताओं के आरोप संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन पर आधारित हैं, जिनके कारण राष्ट्र शासकीय निगरानी वाले राज्य में बदल जायेगा।

न्यायालय ने कहा कि आधार के लिए यूआईडीएआई ने न्यूनतम जनांकीकीय और बायोमिट्रिक आंकड़े एकत्र किये हैं। साथ ही आधार योजना के सत्यापन के लिए पर्याप्त रक्षा प्रणाली है।

पीठ ने कहा कि आधार समाज के वंचित तबके को सशक्त बनाता है और उन्हें पहचान देता है।

पीठ ने निजी कंपनियों को आधार के आंकड़े एकत्र करने की अनुमति देने वाले आधार कानून के प्रावधान 57 को रद्द कर दिया है।

न्यायालय ने कहा कि सीबीएसई, नीट, यूजीसी आधार को अनिवार्य नहीं कर सकते हैं और स्कूलों में दाखिले के लिए भी यह अनिवार्य नहीं है।

पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह अवैध आव्रजकों को आधार नंबर नहीं दे।

न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा, किसी भी बच्चे को आधार नंबर नहीं होने के कारण लाभ/सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकता है।

न्यायालय ने लोकसभा में आधार विधेयक को धन वियेयक के रूप में पारित करने को बरकरार रखा और कहा कि आधार कानून में ऐसा कुछ भी नहीं है जो किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन करता हो।

इस निर्णय के अनुसार आधार कार्ड/नंबर को बैंक खाते से लिंक/जोड़ना अनिवार्य नहीं है। इसी तरह टेलीकॉम सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं को अपने फोन से आधार नंबर को लिंक कराने के लिये नहीं कह सकते।

पीठ ने कहा कि आयकर रिटर्न भरने और पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार अनिवार्य है।

संविधान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति धनन्जय चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी शामिल थे और इस दोनों न्यायाधीशों ने अपने फैसले अलग-अलग लिखे हैं।

Rajanish Kant बुधवार, 26 सितंबर 2018
आधार फैसला: अलग अलग लोगों पर अलग अलग असर
 साभार-  पीटीआई-भाषा 

 कार्यकर्ताओं तथा अन्य लोगों का मानना है कि आधार पर उच्चतम न्यायालय का बुधवार का फैसला अलग अलग लोगों पर अलग अलग प्रकार से असर डालेगा। यह फैसला उन लोगों के लिए राहत भरा है जिन्हें अब बैंक अकाउंट और मोबाइल को आधार से जोड़ना नहीं पड़ेगा वहीं सरकारी योजनाओं में छूट पाने वालों के लिए आधार हर हाल में जरूरी हो गया है।

बिपाशा मुखर्जी (21) ऐसी ही एक उपभोक्ता हैं जिनका सिम और आधार जुड़ा नहीं होने से पिछले महीने मोबाइल ने 72घंटे के लिए काम करना बंद कर दिया था। उन्होंने इस फैसले का स्वागत किया है।

वहीं एक अन्य महिला गौरी देवी घरेलू कामगार हैं और उन्हें कल्याणकारी योजनाओं और सरकारी छूट का लाभ पाने के लिए आधार की जरूरत हैं।

उन्होंने पीटीआई भाषा से बताया कि उन्होंने और उनके दो बेटों ने आधार के लिए आवेदन दिया था लेकिन केवल उनके छोटे बेटे को आधार मिला।

गौरी कहती हैं, ‘‘ आधार के बिना कुछ नहीं होता। भोजन से ले कर स्वास्थ्य सुविधाए,सभी में छूट के लिए आधार चाहिए।’’ 

वहीं मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंडिया ने कहा, ‘‘जरूरी सेवाएं और लाभ पाने के लिए आधार होने की पूर्व शर्त अनेक संवैधानिक अधिकार जैसे कि भोजन का अधिकार, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा का अधिकार और सामजिक सुरक्षा का अधिकार पाने की राह में बाधा है।’’ 

वहीं ‘भोजन का अधिकार’ कार्यकर्ता दीपा सिन्हा ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने के नियम को हटाया जाएगा।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘ तो एक प्रकार से यह निराश करने वाला फैसला है।’’ 

इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों ने ट्विटर पर अपने अपने विचार व्यक्त किए। 

वहीं दिव्यांग अधिकार संगठनों ने इस फैसले पर निराशा जताई है। उनका दावा है कि हजारों की संख्या में दिव्यांग पेंशन तथा अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से वंचित हो जाएंगे। 

‘नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसएबिल्ड’(एनपीआरडी) ने कहा कि यह फैसला दिव्यांग लोगों को प्रभावित करेगा। 

Rajanish Kant
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Rajanish Kant शुक्रवार, 20 जुलाई 2018