भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि बटलागुंडु को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 21 जुलाई 2025 के आदेश द्वारा दि बटलागुंडु को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)' संबंधी कतिपय निदेशों और 'पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे (एसएएफ)' के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विशिष्ट निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1 लाख (एक लाख रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:
बैंक ने:
अपने सीआरएआर के विनियामक न्यूनतम से कम होने के बावजूद, उधारी मानदंड से जुड़े शेयर का अनुपालन किए बिना कतिपय ऋण स्वीकृत किए; और
100% से अधिक जोखिम भार वाले नए ऋण और अग्रिम स्वीकृत किए और एसएएफ के अंतर्गत जारी निदेशों का अननुपालन करते हुए, कतिपय मामलों में नए ऋणों और अग्रिमों के लिए लागू एकल उधारकर्ता एक्सपोज़र सीमा का भी उल्लंघन किया।
यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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