भारतीय रिज़र्व बैंक ने आईआईएफएल समस्त फाइनेंस लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 24 फरवरी 2025 के आदेश द्वारा आईआईएफएल समस्त फाइनेंस लिमिटेड (कंपनी) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमा स्वीकार न करने वाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016' और 'भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016' के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹33.10 लाख (तैंतीस लाख दस हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58 बी की उप-धारा (5) के खंड (एए) के साथ पठित धारा 58 जी की उप-धारा (1) के खंड (बी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
31 मार्च 2023 को कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर कंपनी के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों और इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि कंपनी के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:
कंपनी ने भारतीय रिज़र्व बैंक के ‘उचित व्यवहार संहिता’ संबंधी निदेशों के उल्लंघन में कतिपय उधारकर्ताओं को ऋण के वास्तविक संवितरण/ चेक जारी करने की तिथि से पहले की अवधि के लिए ऋण पर ब्याज लगाया;
कंपनी 90 दिनों या उससे अधिक समय से बकाया राशि वाले कतिपय ऋण खातों को अनर्जक आस्तियों (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत करने में विफल रही;
इसने कतिपय ऋण खातों को जो एनपीए थे, ब्याज और मूल राशि के संपूर्ण बकाया की वसूली किए बिना ‘मानक आस्तियों’ के रूप में वर्गीकृत किया; और
इसने प्रत्येक व्यक्तिगत ग्राहक को एक विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड (यूसीआईसी) देने के बजाय कतिपय व्यक्तिगत ग्राहकों को एकाधिक ग्राहक पहचान कोड आवंटित किए।
यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(साभार: www.rbi.org.in)
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