भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि हांगकांग और शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 24 फरवरी 2025 के आदेश द्वारा दि हांगकांग और शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘अपने ग्राहक को जानिए’, ‘ऋण सूचना कंपनियों को उधारकर्ताओं के अरक्षित विदेशी मुद्रा एक्सपोज़र पर सूचना की रिपोर्टिंग’ और ‘जमाराशि पर ब्याज दरें’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹66.60 लाख (छियासठ लाख साठ हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) के साथ पठित धारा 47ए(1) (सी) और प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23 (4) के साथ पठित धारा 25 (1) (iii) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
31 मार्च 2023 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त आरबीआई निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिनके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:
बैंक ने एएमएल अलर्ट के निपटान/समापन का कार्य एक समूह कंपनी को आउटसोर्स किया था;
बैंक ने कतिपय उधारकर्ताओं के अरक्षित विदेशी मुद्रा एक्सपोज़र की सूचना सीआईसी को नहीं दी; तथा
बैंक ने कुछ अपात्र संस्थाओं के नाम पर बचत जमा खाते खोले थे।
यह कार्रवाई सांविधिक एवं विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(साभार: www.rbi.org.in)
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