वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के जोखिम के बीच वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ी: RBI Financial Stability Report


भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट, दिसंबर 2022 जारी की

भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) का 26वां अंक जारी किया हैा। यह वित्तीय स्थिरता के जोखिमों और वित्तीय प्रणाली की आघात सहनीयता पर वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन को दर्शाता है।

मुख्य बातें:

  • वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के जोखिम के साथ विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रही है। कई आघातों के परस्पर प्रभाव के परिणामस्वरूप वित्तीय स्थितियां सख्त हो गई हैं और वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई है।

  • भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रही है। तथापि, मजबूत समष्टि अर्थव्यवस्था के मूल तत्व तथा वित्तीय और गैर-वित्तीय क्षेत्र के स्वस्थ तुलन-पत्र, शक्ति और आघात-सहनीयता प्रदान कर रहे हैं और वित्तीय प्रणाली में स्थिरता उत्पन्न कर रहे हैं।

  • बैंक ऋण की बढ़ती मांग और निवेश चक्र में बहाली के शुरुआती संकेतों से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की आस्तियों की गुणवत्ता में सुधार, लाभप्रदता में वापसी और मजबूत पूंजी तथा चलनिधि के बफर से लाभ हो रहा है।

  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का सकल अनर्जक आस्ति (जीएनपीए) अनुपात सितंबर 2022 में कम होकर सात वर्ष के निचले स्तर 5.0 प्रतिशत पर आ गया और निवल अनर्जक आस्तियां (एनएनपीए) दस वर्ष के निचले स्तर 1.3 प्रतिशत पर आ गई हैं।

  • ऋण जोखिम की समष्टि दबाव जांच से पता चलता है कि एससीबी गंभीर दबाव परिदृश्यों में भी न्यूनतम पूंजी अपेक्षाओं का पालन करने में सक्षम होंगी। सितंबर 2023 में बेसलाइन, मध्यम और गंभीर दबाव परिदृश्यों के अंतर्गत प्रणाली-स्तरीय जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर) क्रमशः 14.9 प्रतिशत, 14.0 प्रतिशत और 13.1 प्रतिशत होने का अनुमान है।

  • निरंतर स्वरूप वाले कर्ज़ म्यूचुअल फंड के लिए दबाव जांच में, ब्याज दर, ऋण और चलनिधि जोखिम से संबंधित सीमाओं में कोई उल्लंघन नहीं पाया गया। जीवन और गैर-जीवन बीमा कंपनियों दोनों का समेकित ऋण-शोधन क्षमता अनुपात भी निर्धारित न्यूनतम स्तर से ऊपर रहा।

(साभार- www.rbi.org.in)

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