केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार का देश के निर्यात कारोबार में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों (एमएसएमई) का योगदान बढ़ाकर 60 प्रतिशत और आर्थिक वृद्धि में इसकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। एमएसएमई और सड़क परिवहन मंत्री ने सरकार की इस मंशा को व्यक्त करते हुये उद्योगों से कहा कि वह उत्पादों कि गुणवत्ता और लागत पर ध्यान दें।
गडकरी ने यहां प्रगति मैदान में 39वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले का विधिवत उद्घाटन करते हुये कहा कि एमएसएमई क्षेत्र की देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जीडीपी और निर्यात क्षेत्र में एमएसएमई की भूमिका बढ़ रही है। इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनायें भी तेजी से बढ़ रही हैं।
निर्यात बढ़ाने की दिशा में उन्होंने कहा, ‘‘हमें उत्पादन लागत को कम करना होगा। उत्पादों की प्रतिस्पर्धा के लिये बिजली और दूसरी लागतों को भी कम करना होगा।’’
नये प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण केंद्रों पर जोर देते हुये उन्होंने कहा कि बिना प्रशिक्षण के बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार करना मुश्किल काम है। उन्होंने इसके लिये बेहतर प्रदर्शनी स्थलों की जरूरत को भी रेखांकित किया।
मंत्री ने कहा, ‘‘सरकार निर्यात क्षेत्र में एमएसएमई का योगदान मौजूदा 45 प्रतिशत से बढाकर 60 प्रतिशत और जीडीपी में हिस्सेदारी 29 प्रतिशत से 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। सरकार एमएसएमई के लिये तय कारोबार सीमा को भी बढ़ा रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर और तेजी से बढ़ें। हम चाहते हैं कि पूर्वोत्तर राज्य, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड में एमएसएमई क्षेत्र का तेजी से विकास हो।’’
इस अवसर पर मौजूदा वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कहा कि मेला स्थल का आकार कम होने के बावजूद कई देशों की भागीदारी इसमें हो रही है। देश विदेश की 800 से अधिक कंपनियां अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर रही हैं।
मेले में आस्ट्रेलिया, बहरीन, बांग्लादेश, भूटान, चीन, हांग कांग, इंडोनेशिया सहित कई देश हर वर्ष की तरह मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। अफगानिस्तान को इस वर्ष के आईआईटीएफ में भागीदार देश तथा दक्षिण कोरिया को फोकस देश बनाया गया है। वहीं बिहार और झारखंड को ‘फोकस’ राज्य का दर्जा दिया गया है।
इसी बीच, चमड़ा उद्योग से जुड़े एक अलग कार्यक्रम में गडकरी ने कहा, ‘‘ चमड़ा उद्योग को पिछड़े इलाकों में संकुल विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। इन इलाकों में उन्हें कम लागत पर भूमि और मानव संसाधन मिल सकता है। सरकार ऐसे संकुलों को कुछ रियायत देने पर विचार कर सकती है जो प्रयोगशाला और डिजाइनिंग केंद्र जैसी सुविधाओं से पूर्ण हों।’’
वह यहां चर्म निर्यात परिषद (सीएलई) के राष्ट्रीय निर्यात उत्कृष्टता पुरस्कार समारोह के अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि दिल्ली और कानपुर के पास भूमि महंगी है। इसलिए चमड़ा उद्योग को नए क्षेत्रों में विस्तार करना चाहिए। उन्हें देश में नए सिरे से बन रहे 22 एक्सप्रेसवे के आसपास जमीन खरीदकर संकुल बनाने पर विचार करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर दिल्ली-मुंबई राजमार्ग मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और हरियाणा के कई पिछड़े या जनजातीय इलाकों से गुजरता है। इन इलाकों में उद्योगों को सस्ती भूमि और श्रम उपलब्ध हो सकता है।
(साभार-पीटीआई भाषा)
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