चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा से पहले भारत में चीन के राजदूत सन वीदोंग ने मंगलवार को उम्मीद जताई कि उनकी कंपनियों को यहां ‘निष्पक्ष, मित्रवत और सुविधाजनक’ कारोबारी माहौल मिलेगा। उन्होंने कहा कि एशिया की दोनों ताकतों को व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिए आपसी सहयोग को और मजबूत करना चाहिए।
वीदोंग ने पीटीआई-भाषा के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि चीन और भारत के पास अपने कारोबारी और व्यापारिक संबंधों को विस्तार देने की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अपना मुक्त व्यापार आगे बढ़ाना चाहिए। इसके अलावा व्यापार के ‘बाहरी माहौल’ में बढ़ती अनिश्चिता की मौजूदा स्थिति में संरक्षणवाद और एकतरफा कार्रवाई के खिलाफ मिलकर आवाज उठानी चाहिए।
चीन के राजदूत का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने दुनिया के प्रमुख देशों से कहा है कि वे चीन की दूरसंचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनी हुवावेई को अपने 5जी मोबाइल नेटवर्क के लिए अनुमति नहीं दें। भारत 5जी मोबाइल नेटवर्क के लिए परीक्षण शुरू करने वाला है। भारत ने अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है कि वह हुवावेई को 5जी परीक्षण में शामिल होने की अनुमति देगा या नहीं।
चीन पिछले कुछ महीनों से अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध में उलझा हुआ है। राजदूत ने कहा, ‘‘चीन अपनी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। चीन को उम्मीद है कि भारत उसकी कंपनियों को अपने यहां परिचालन के लिए अधिक निष्पक्ष, मित्रवत और सुविधाजनक कारोबारी माहौल उपलब्ध कराएगा।’’
अमेरिका पहले ही सुरक्षा चिंताओं को लेकर हुवावेई पर प्रतिबंध लगा चुका है। हुवावेई दुनिया की सबसे बड़ी दूरसंचार उपकरण कंपनी है। साथ ही यह दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी स्मार्टफोन विनिर्माता कंपनी है।
चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग तमिलनाडु के प्राचीन तटीय शहर मामल्लापुरम में दूसरे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को चेन्नई पहुंचेंगे।
सन ने कहा कि भारत में एक हजार से अधिक चीन की कंपनियां परिचालन कर रही हैं। चीनी कंपनियों ने भारत में औद्योगिक पार्कों, ई-कॉमर्स और अन्य क्षेत्रों में अपना निवेश बढ़ाकर करीब आठ अरब डॉलर कर लिया है। बिना कोई समयसीमा बताए राजदूत ने कहा कि चीन की कंपनियों ने यहां स्थानीय लोगों के लिए दो लाख स्थानीय रोजगार अवसरों का सृजन किया है।
सन ने कहा कि भारत और चीन को मिलकर क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को आगे बढ़ाना चाहिए और क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी करार (आरसीईपी) पर वार्ताओं को तेज करना चाहिए।
भारत की बढ़ते व्यापार घाटे को लेकर चिंता के सवाल पर चीन के राजदूत ने कहा कि हमारे देश ने कभी भी व्यापार अधिशेष की नीति को आगे नहीं बढ़ाया है। दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन की प्रमुख वजह दोनों के औद्योगिक ढांचे में अंतर है।
उन्होंने कहा कि चीन ने भारत से आयात बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। कुछ भारतीय आयात पर शुल्कों को कम किया गया है।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल के दौरान भारत से चीन का आयात करीब 15 प्रतिशत बढ़ा है। चालू साल की पहली छमाही में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा सालाना आधार पर 13.5 प्रतिशत कम हुआ है। वहीं चीन को भारत का कृषि निर्यात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में दोगुना हो गया है।
सन ने कहा कि चीन के मोबाइल फोन ब्रांड...शाओमी, वीवो और ओप्पो भारतीय बाजार में अच्छी तरह स्थापित हो चुके हैं और भारत की कंपनियां भी चीनी बाजार में विस्तार कर रही है। चीन में भारतीय कंपनियों का निवेश एक अरब डॉलर के करीब है।
(साभार- पीटीआई भाषा)
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