बीपीसीएल के विनिवेश की योजना, पर संसद की मंजूरी लेनी होगी


सरकार पेट्रोलियम ईंधन का खुदरा कारोबार करने वाली देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी भारतीय पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) को निजी हाथों में देने के प्रस्ताव पर यदि आगे बढ़ना चाहती है तो उसे संसद की अनुमति लेनी होगी। 

अधिकारियों ने कहा कि सरकार बीपीसीएल को निजी क्षेत्र की देशी-विदेशी कंपनियों को बेचने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है पर इसके निजीकरण के लिए संसद की अनुमति लेने की जरूरत होगी। 

जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि सरकार पेट्रोलियम ईंधन के खुदरा बाजार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाना चाहती है ताकि बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़े। इसी के मद्देनजर सरकार बीपीसीएल में अपनी 53.3 प्रतिशत में का बड़ा हिस्सा किसी चुनिंदा भागीदार को बेचने का विचार कर रही है। 

माना जा रहा है कि बीपीसीएल के विनिवेश से ईंधन के खुदरा बाजार में न केवल बड़ी हलचल हो सकती है बल्कि इससे सरकार को चालू वित्त वर्ष में 1.05 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश का एक तिहाई लक्ष्य हासिल करने में भी मदद मिल सकती है।

अभी इस बाजार में सरकारी कंपनियों का दबदबा रहा है। 

बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण 27 सितंबर को बाजार बंद होने के समय 1.02 लाख करोड़ रुपये था। इस लिहाज से कंपनी में सिर्फ 26 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने पर सरकार को 26,500 रुपये के अलावा नियंत्रण एवं बाजार प्रवेश प्रीमियम के रूप में 5,000 से 10,000 करोड़ रुपये तक मिलेंगे। 

हालांकि, बीपीसीएल के निजीकरण के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत होगी। उच्चतम न्यायालय ने सितंबर, 2003 में व्यवस्था दी थी कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) का निजीकरण सरकार द्वारा कानून में संशोधन के बाद ही किया जा सकता है। संसद ने ही पूर्व में दोनों कंपनियों के राष्ट्रीयकरण के लिए कानून पारित किया था। 

उच्चतम न्यायालय के इस निर्देश से पहले अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने दोनों कंपनियों के निजीकरण की योजना बनाई थी। उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद एचपीसीएल में सरकार की अपनी 51.1 प्रतिशत हिस्सेदारी में से 34.1 प्रतिशत हिस्सा रणनीतिक भागीदार को प्रबंधकीय नियंत्रण के साथ बेचने की योजना रुक गई थी।

उस समय रिलायंस इंडस्ट्रीज, ब्रिटेन की बीपी पीएलसी, कुवैत पेट्रोलियम, मलेशिया की पेट्रोनास, शेल-सऊदी अरामको गठजोड़ तथा एस्सार आयल में एचपीसीएल की हिस्सेदारी लेने की इच्छा जताई थी। 

अधिकारियों का कहना है कि सऊदी अरब की सऊदी अरामको और फ्रांस की ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज टोटल एसए के लिए बीपीसीएल का अधिग्रहण एक आकर्षक सौदा हो सकता है क्योंकि दोनों ही कंपनियां दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते ईंधन के खुदरा कारोबार बाजार में उतरने की तैयारी में हैं। 


(साभार- पीटीआई भाषा)
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