सरकार प्रस्तावित नयी औद्योगिक नीति पर कार्यसमूह का गठन करेगी। इस नयी औद्योगिक नीति का मकसद उभरते क्षेत्रों को प्रोत्साहन देना, नियामकीय अड़चनों को कम करना और देश को विनिर्माण हब के रूप में विकसित करना है।
इससे पहले उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईआईटी) ने एक नीति तैयार कर उसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास मंजूरी के लिए भेजा था। लेकिन अब इस नीति को लेकर कुछ नए सुझाव दिए गए हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि कार्यसमूह इस पर काम करेगा और उसे डीपीआईआईटी को सौंपेगा।
समूह में केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के अलावा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) तथा अन्य उद्योग मंडलों के प्रतिनिधि शामिल रहेंगे।
यह 1956 और 1991 के बाद तीसरी औद्योगिक नीति होगी। यह 1991 की औद्योगिकी नीति का स्थान लेगी जिसे भुगतान संकट की पृष्ठभूमि में बनाया गया था।
डीपीआईआईटी ने नयी औद्योगिकी नीति बनाने की प्रक्रिया मई, 2017 में शुरू की थी। नयी नीति के बाद राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (एनएमपी) समाप्त हो जाएगी।
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