भारतीय उद्योग जगत ने भारतीय रिजर्व बैंक की नीतिगत दर में बुधवार को 0.35 प्रतिशत की कटौती का स्वागत किया है और अपील की है कि वाणिज्यिक बैंक नीतिगत ब्याज दर में कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को दें ताकि निवेश और उपभोग को बढावा मिल सके।
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा कि बुधवार की दर कटौती और बैंकिंग प्रणाली में तरलता (नकद धन) की जरूरत से ज्यादा उपलब्धता के बाद यह महत्वपूर्ण है कि व्यावसायिक बैंक अपनी ऋण ब्याज दरों में कटौती कर नीतिगत दर में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है तो हमें उपभोग और निवेश में कोई बदलाव देखने को नहीं मिलेगा।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष राजीव तलवार ने कहा कि रेपो दरों में कटौती से उपभोग को फिर से बढ़ाने में मदद मिलेगी। पूंजी की लागत कम होने से उत्पादकों की प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
तलवार ने कहा कि दरों में कटौती का लाभ जमीन तक पहुंचाने के लिए बैंकिंग क्षेत्र को अपनी ऋण ब्याज दरों में प्रभावी कटौती करनी होगी।
उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आने वाली तिमाहियों में रेपो दर पांच प्रतिशत से नीचे आएगी। इससे तरलता बढ़ेगी और उद्योग को कर्ज उपलब्ध होगा विशेषकर लघु उद्योग क्षेत्र को क्योंकि उनकी पूंजी की लागत में कमी आएगी।
रेपो दर पर रिजर्व बैंक बैंकों को कर्ज उपलब्ध कराता है।
इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के अनुसार रेपो दरों में कमी का प्रभाव ऋण को सस्ते होने से होगा। इससे बड़े स्तर पर अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
रिजर्व बैंक ने वर्ष 2019 में लगातार चौथी बार नीतिगत ब्याज दर घटाई है। इस समय रेपो दर 5.40 प्रतिशत पर नौ वर्ष के सबसे निचले स्तर पर है।
इस समय अर्थव्यवस्था में निवेश और उपभोक्ता मांग में नरमी के चलते केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रहने का ताजा अनुमान लगाया है। यह उसके जून के सात प्रतिशत के अनुमान से कम है।
(साभार- पीटीआई भाषा)
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