ट्रंप ने व्यापार में शुल्क-छूट बंद की, भारत ने कहा बातचीत से हल होते हैं मुद्दें


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्यापार में वरीयता की सामान्य व्यवस्था (जीएसपी) के तहत भारत को विकासशील देश के रूप में प्रशुल्क में छूट का लाभ समाप्त कर दिया है। इस फैसले से भारत के कुछ उत्पाद अमेरिका में प्रशुल्क लगने से महंगे हो जाएंगे और उनकी प्रतिस्पर्धा क्षमता प्रभावित हो सकती है। 

सामान्य तरजीही व्यवस्था (जीएसपी) अमेरिका का सबसे बड़ा और पुराना व्यापार तरजीही कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम चुनिंदा लाभार्थी देशों के हजारों उत्पादों को शुल्क से छूट देकर आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था। 

ट्रंप ने अपने देश के कई सांसदों के आग्रह को नजरंदाज करते हुए शुक्रवार को घोषणा की, ‘‘भारत ने अमेरिकी माल के लिए अपना बाजार पर्याप्त ढंग से खोलने के बारे में कोई आश्वासन नहीं दिया है। इसलिए मैंने तय किया है कि पांच जून, 2019 से (जीएसपी कार्यक्रम के तहत)भारत का लाभार्थी विकासशील देश का दर्जा खत्म करना ठीक होगा।’’ 

ट्रंप ने इस साल चार मार्च को ही इसका नोटिस दे दिया था। 60 दिन के नोटिस की अवधि तीन मई को समाप्त हो चुकी थी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के लिए बृहस्पतिवार को शपथ ग्रहण करने के बाद अमेरिका के विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि ट्रंप सरकार ने अमेरिकी कंपनियों को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार के साथ प्राथमिकता से काम करने का निर्णय किया है।

इसी बीच ट्रंप के फैसले पर भारत ने शनिवार को कहा है कि वह अमेरिका के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए उसके साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा। 

भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा कि किसी भी संबंध में, खास तौर पर आर्थिक संबंधों में कई मुद्दे समय के साथ चलते रहते हैं और उन्हें परस्पर सहयोग से हल कर लिया जाता है। 

विभाग ने कहा कि अमेरिका जैसे विकसित देशों की ओर से भारत जैसे विकासशील देशों को जीएसटी के तहत शुल्क में छूट का लाभ " खुद अपनी ओर से, बिनी किसी जवाबी लाभ की अपेक्षा के और बिना किसी भेदभाव के दिया जाता है।" 

वाणिज्य सचिव अनूप वधावन ने मार्च में कहा था कि अमेरिकी जीएसपी के तहत भारत के माल का निर्यात सालाना 5.6 अरब डॉलर के बराबर है और इस पर शुल्क लाभ सिर्फ 19 करोड़ डॉलर है। 

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि सरकार को उन उत्पादों को कुछ सहायता देने की जरूरत हैं, जिनकों जीएसपी खत्म होने से ज्यादा नुकसान होगा ताकि बाजार पर ज्यादा प्रभाव नहीं हो। 

गुप्ता ने अमेरिका को निर्यात होने वाले इस प्रकार के उत्पादों के लिए केंद्र राज्य एवं केंद्रीय कर लेवी योजना (आरओएससीटीएल) के तहत छूट में विस्तार की वकालत की। 

अमेरिका के जीएसपी कार्यक्रम के तहत कोई विकासशील देश अगर अमेरिकी कांग्रेस द्वारा तय अर्हता शर्तों को पूरा करता है तो वह वाहन कल-पुर्जों एवं कपड़ों से जुड़ी सामग्रियों सहित करीब 2,000 उत्पादों का अमेरिका को बिना किसी शुल्क के निर्यात कर सकता है।

कांग्रेस की जनवरी में प्रकाशित एक रपट के मुताबिक वर्ष 2017 में भारत इस कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा था। उसने आलोच्य वर्ष में अमेरिका को बिना किसी शुल्क के 5.7 अरब के सामान का निर्यात किया। वहीं तुर्की 1.7 अरब डॉलर के निर्यात के साथ इस मामले में पांचवें स्थान पर रहा था।

अमेरिका के एक व्यापार संगठन कोएलेशन फॉर जीएसपी के कार्यकारी निदेशक डान एंथनी ने कहा कि ट्रंप के इस फैसले से अमेरिकी कारोबारियों को हर साल 30 करोड़ डॉलर से अधिक के अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा।

एंथनी ने कहा, 'जीएसपी के फायदे खत्म करने से अमेरिका के छोटे कारोबारियों को नया कर देना होगा। इससे नौकरियां जाएंगी, निवेश रद्द होगा और उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ेगा। सीनेट और हाउस द्वारा करीब सर्वसम्मति से देश को जीएसपी के तहत मिल रहे लाभ को तीन साल तक के लिए बढ़ाने के महज एक वर्ष बाद ट्रंप सरकार ने ऐसे देश का जीएसपी दर्जा समाप्त कर दिया है, जो अमेरिकी कंपनियों का सबसे अधिक धन बचाता है।' 

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और सैकड़ों अमेरिकी कारोबारियों भारत के जीएसपी दर्जे को जारी रखने के पक्ष में थे लेकिन इसके बावजूद उसे रद्द कर दिया गया।

ट्रंप सरकार की दलील है कि भारत कई क्षेत्रों में अपने बाजार तक अमेरिका को समान और यथोचित पहुंच दिलाने में विफल रहा है।


(साभार:पीटीआई भाषा )
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