निर्यातकों के लिये जून से जीएसटी रिफंड प्रक्रिया में आयेगी तेजी, स्वत: होगा रिफंड

वस्तु एवं सेवा निर्यातकों के साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र की इकाइयों के आपूर्तिकर्ताओं को जून से जीएसटी रिफंड स्वत: मिलने लगेगा। राजस्व विभाग करदाताओं के साथ आमना सामना किये बिना आनलाइन प्रणाली के जरिये रिफंड की जांच और दावों के त्वरित निपटान की योजना पर काम कर रहा है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। 

जीएसटी के तहत ‘शून्य कर वाली’ माल आपूर्ति करने वाली इकाइयों के लिये रिफंड का दावा करने के दो विकल्प हैं। या तो वह बांड / एलयूटी (लेटर आफ अंडरटेकिंग) के तहत बिना एकीकृत कर का भुगतान किये निर्यात कर सकते हैं और माल पर दिये गये पूरे इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के रिफंड दावा कर सकते हैं या फिर वह एकीकृत कर का भुगतान कर निर्यात कर सकता है और उसके बाद रिफंड का दावा कर सकता है।

फिलहाल स्वत: रिफंड की सुविधा केवल उन निर्यातकों को उपलब्ध है जिन्होंने वस्तुओं का निर्यात करते समय एकीकृत वस्तु और सेवा कर का भुगतान किया है। चूंकि जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) प्रणाली का सीमा शुल्क के साथ एकीकरण किया गया है, इसीलिए ऐसे निर्यातकों के रिफंड को एक पखवाड़े के भीतर आमतौर पर बैंक खातों में भेज दिया जाता है। 

हालांकि, विनिर्माण निर्यातकों और सेज को आपूर्ति करने वालों को सामान्य पोर्टल पर आवेदन फार्म जीएसटी आरएफडी-01ए भरना होता है और उसके बाद फार्म का प्रिंट आउट के साथ अन्य जरूरी दस्तावेज संबंधित अधिकारी को दिया जाता है।

एक बार इसके क्रियान्वयन के बाद ऐसे रिफंड में लगने वाला समय घटकर करीब एक पखवाड़ा रह जाएगा जिसमें अभी महीनों लग जाते हैं। 

अधिकारी ने पीटीआई- भाषा से कहा, ‘‘राजस्व विभाग और जीएसटीएन अगले महीने तक कर रिफंड लेने की प्रक्रिया को आनलाइन करने की दिशा में काम कर रहा है। यह रिफंड प्रक्रिया को तेज बनाएगा तथा फर्जी रिफंड को खत्म करेगा।’’ 

निर्यातकों का जीएसटी रिफंड करोड़ों रुपये में है और इन दावों के निपटान में किसी भी प्रकार की देरी से निर्यातकों की कार्यशील पूंजी फंस जाती है।

एएमआरजी एंड एसोसिएट्स भागीदार रजत मोहन ने कहा कि सेवाओं के निर्यात के मामले में पूर्ण कंप्यूटरीकृत कर रिफंड व्यापक रूप से एकीकृत जीएसटी प्रणाली पर आधारित होगी। यह प्रणाली आरबीआई सर्वर से जुड़ेगी। इससे भुगतान प्राप्ति पर नजर रखी जा सकेगी और उसे स्वत: चालान स्तर की सूचना के साथ जोड़ेगा।

(साभार: पीटीआई भाषा)
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