सार्वजनिक क्षेत्र की एनबीसीसी ने ऋण शोधन प्रक्रिया से गुजर रही जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण को लेकर समाधान पेशेवर से उसकी संशोधित बोली पर पुनर्विचार का आग्रह किया है।
एनबीसीसी ने उसकी संशोधित बोली में रखी शर्तों के लिये सरकारी विभागों से मंजूरी मिल जाने के बाद बुधवार को समाधान पेशेवर से यह अनुरोध किया। कंपनी ने कहा कि वह विभिन्न पक्षों के हितों की रक्षा के लिये जरूरी कदम उठाएगी।
इससे पहले कर्जदाताओं की समिति ने 26 अप्रैल को हुई बैठक में जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण को लेकर एनबीसीसी की संशोधित बोली को खारिज कर दिया था। इसका कारण यह था कि सरकारी क्षेत्र की कंपनी ने अपनी संशोधित बोली में कह रखा था कि वह विभिन्न सरकारी प्राधिकरणों से मंजूरी के बाद ही अपने प्रस्ताव पर आगे काम कर सकेगी। उसके बाद कर्जदाताओं ने सन फार्मा समूह के सुधीर वालिया समर्थित मुंबई की सुरक्षा रीयल्टी की दूसरी बोली पर मतदान कराने को मंजूरी दे दी।
गुजरात के अडाणी समूह ने भी जेपी इंफ्राटेक में बोली लगाने में रूचि दिखायी। जेपी इंफ्राटेक कर्ज लौटाने में चूक के बाद वित्तीय समस्याओं से जूझ रही है लेकिन उसके पास राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपये की कई आवासीय परियोजनाएं और भूखंड हैं।
एनबीसीसी ने बंबई शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय तथा अन्य संबंधित विभागों ने जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण को लेकर उसकी संशोधित पेशकश में रखी गई शर्तों को मंजूरी दे दी है।
अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) अनुज जैन को कल रात लिखे पत्र में एनबीसीसी ने कहा, ‘‘सभी जरूरी प्रशासनिक मंजूरी मिल गयी है ... हम आपसे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने और हमारी योजना को मतदान के लिये कर्जदाताओं के समक्ष रखने का आग्रह करते हैं।’’
कंपनी ने कहा, ‘‘...हम वे सभी कदम उठाएंगे जो जेपी इंफ्राटेक के कर्जदाताओं तथा मकान खरीदारों के हितों के लिये जरूरी होगा।’’
एनबीसीसी ने पत्र में कहा कि कंपनी की जेपी समूह की इकाई के अधिग्रहण में रूचि है। कंपनी ने मांग की कि संशोधित पेशकश को उसके गुण के आधार पर विचार किया जाना चाहिए।
इस बीच, वित्तीय कर्जदाता तथा घर खरीदार सुरक्षा रीयल्टी की बोली पर फिलहाल मतदान कर रहे हैं। वोट प्रक्रिया मंगलवार 30 अप्रैल को शुरू हुई और तीन मई को पूरी होगी।
कर्जदाताओं की समिति ने 26 अप्रैल को हुई बैठक में एनबीसीसी की जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण को लेकर प्राप्त संशोधित बोली पर विचार नहीं करने का फैसला किया था। सरकारी क्षेत्र की कंपनी ने कहा था कि वह विभिन्न सरकारी प्राधिकरणों से मंजूरी के बाद ही अपने प्रस्ताव पर काम कर सकेगी।
एनबीसीसी ने बैठक में सभी जरूरी मंजूरी हासिल करने को लेकर कुछ समय की मांग की थी। हालांकि, कर्जदाताओं ने केवल सुरक्षा रीयल्टी की अगुवाई वाले समूह की पेशकश पर ही मतदान कराने का फैसला किया।
(साभार: पीटीआई भाषा)
(('बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग के शेयर बाजार जरूर जुआ है'
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