बैंकों का ऋण-जमा (Credit-Deposit) अनुपात दिसंबर 2018 तिमाही में बढ़कर 77.6%

भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की जमाराशि और 
ऋण संबंधी तिमाही सांख्यिकी: दिसंबर 2018’ जारी की

आज भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (अ.वा.बैं.) की जमाराशि और ऋण संबंधी तिमाही सांख्यिकी- दिसंबर 2018’ नामक वेब प्रकाशन अपने भारतीय अर्थव्यवस्था संबंधी डाटाबेस (डीबीआईई) नामक पोर्टल पर जारी किया। प्रकार और कुल ऋण के आधार पर अलग-अलग बांटे गए जमाराशियों से संबंधित डाटा राज्यों, जिलाओं, केंद्रों, जनसंख्या और बैंक समूहों द्वारा वर्गीकृत किया गया है, जिसे मूलभूत सांख्यिकी विवरणी- बीएसआर-7 के तहत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको (क्षे.ग्रा.बैं.), लघु वित्त बैंकों (ल.वि.बैं.) समेत सभी अ.वा.बैं. से प्राप्त किए गए हैं।
मुख्य बातें:
  • बैंक ऋण वृद्धि (वर्ष–दर–वर्ष) सभी जनसंख्या समूहों (ग्रामीण / अर्ध शहरी / शहरी / महानगरीय) में दो अंकों में दर्ज की गयी।
  • निजी क्षेत्र के बैंकों ने लगातार पांचवीं तिमाही में 20 प्रतिशत से अधिक ऋण वृद्धि (वर्ष–दर–वर्ष) दर्ज की; जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए यह दर 8.4 प्रतिशत दर्ज किया गया।
  • सकल जमा वृद्धि (वर्ष–दर–वर्ष) तेजी से बढ़ी; इस तिमाही में यह सभी जनसंख्या समूहों और सभी बैंक समूहों के लिए (क्षे.ग्रा.बैं. को छोड़कर) बढ़ी है।
  • निजी क्षेत्र के बैंक जमाराशियों की वृद्धि में अग्रणी रहें; सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए जमाराशियों की वृद्धि कम रही, हालांकि इसमें धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है।
  • कुल जमाराशियों में महानगरीय बैंक शाखाओं की आधे से अधिक (51.3 प्रतिशत) की हिस्सेदारी रही और इन शाखाओं की कुल बैंक ऋणों में सबसे बड़ी (63.9 प्रतिशत) भागीदारी रही है।
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको के चालू खाता और बचत खाता (कासा) जमाराशियों की हिस्सेदारी 41.3 प्रतिशत पर स्थिर रही।
  • बैंक जमाराशियों के साथ-साथ ऋणों में सात राज्यों (महाराष्ट्र, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल) की लगभग दो-तिहाई की हिस्सेदारी रही।
  • अखिल भारतीय स्तर पर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको का ऋण-जमा (सी-डी) अनुपात दिसंबर 2018 तिमाही में बढ़कर 77.6 प्रतिशत हो गया (जो पिछले तिमाही मे 76.4 प्रतिशत था); महानगरीय शाखाओं का सी-डी अनुपात 96.6 प्रतिशत रहा, जो उच्चतम है।
(स्रोत-www.rbi.org.in)
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