क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:
-फसल के नुकसान होने पर किसानों के कल्याण के लिए नई फसल बीमा योजना
-13 जनवरी 2016 को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी
-खरीफ सीजन 2016 से लागू
-किसानों के लिए पहले से कई बीमा योजना मौजूद, लेकिन अब तक कुल कवरेज महज 23%
-सभी योजनाओं की समीक्षा कर अच्छे फीचर शामिल कर किसान हित में और नए फीचर्स जोड़कर
फसल बीमा योजना बनाई गई है । इस प्रकार यह योजना पुरानी किसी भी योजना से किसान हित
में बेहतर है।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल के अनुसार किसान द्वारा देय प्रीमियम राशि
बहुत कम कर दी गई है
>प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल और उस पर लगने वाले प्रीमियम :
क्रमांक फसल किसान द्वारा देय अधिकतम बीमा प्रभार
(बीमित राशि का प्रतिशत)
-------------------------------------------------------------------------------------------
1- खरीफ 2%
------------------------------------------------------------------------------------------
2- रबी 1.5%
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3- वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलें 5%
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>प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की खासियत :
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(ब्लॉग एक, फायदे अनेक
-फसल के नुकसान होने पर किसानों के कल्याण के लिए नई फसल बीमा योजना
-13 जनवरी 2016 को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी
-खरीफ सीजन 2016 से लागू
-किसानों के लिए पहले से कई बीमा योजना मौजूद, लेकिन अब तक कुल कवरेज महज 23%
-सभी योजनाओं की समीक्षा कर अच्छे फीचर शामिल कर किसान हित में और नए फीचर्स जोड़कर
फसल बीमा योजना बनाई गई है । इस प्रकार यह योजना पुरानी किसी भी योजना से किसान हित
में बेहतर है।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल के अनुसार किसान द्वारा देय प्रीमियम राशि
बहुत कम कर दी गई है
>प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल और उस पर लगने वाले प्रीमियम :
क्रमांक फसल किसान द्वारा देय अधिकतम बीमा प्रभार
(बीमित राशि का प्रतिशत)
-------------------------------------------------------------------------------------------
1- खरीफ 2%
------------------------------------------------------------------------------------------
2- रबी 1.5%
------------------------------------------------------------------------------------------
3- वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलें 5%
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>प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की खासियत :
-बीमित किसान यदि प्राकृतिक आपदा के कारण बोनी नहीं कर पाता तो यह जोखिम भी शामिल है उसे दावा राशि मिल सकेगी।
-ओला,जलभराव और लैण्ड स्लाइड जैसी आपदाओं को स्थानीय आपदा माना जाएगा। पुरानी योजनाओं के अंतर्गत यदि किसान के खेत में जल भराव (पानी में डूब) हो जाता तो किसान को मिलने वाली दावा राशि इस पर निर्भर करती कि यूनिट आफ इंश्योरेंस (गांव या गांवों के समूह) में कुल नुक्सानी कितनी है। इस कारण कई बार नदी नाले के किनारे या निचले स्थल में स्थित खेतों में नुकसान के बावजूद किसानों को दावा राशि प्राप्त नहीं होती थी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में इसे स्थानीय हानि मानकर केवल प्रभावित किसानों का सर्वे कर उन्हें दावा राशि प्रदान की जाएगी।
-पोस्ट हार्वेस्ट नुकसान भी शामिल किया गया है। फसल कटने के 14 दिन तक यदि फसल ख्रेत में है और उस दौरान कोई आपदा आ जाती है तो किसानों को दावा राशि प्राप्त हो सकेगी ।
- योजना में टैक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा जिससे की फसल कटाई/नुकसान का आकलन शीघ्र और सही हो सके और किसानों को दावा राशि त्वरित रूप से मिल सके। रिमोट सेंसिंग के माध्यम से फसल कटाई प्रयोगों की संख्या कम की जाएगी।
-फसल कटाई प्रयोग के आंकड़े तत्कल स्मार्टफोन के माध्यम से अप-लोड कराए जाएंगे।
-क्रॉप इंश्योरेंस ( Crop Insurance) नामक मोबाइल एप से किसान अपने इलाके में मौजूद इंश्योरेंस कवर और अधिसूचित फसलों पर लगने वाली प्रीमियम की गणना कर सकते हैं।
-बीमा दायरे में फसली रकबा 194.40 मीलियन हेक्टेयर रखा गया है और इसके लिए सरकार को हर वर्ष 8800 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।
-विशेषज्ञों का भी मानना है कि फसल प्रीमियम के लिए उच्च सब्सिडी दर अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है। उदाहरण के लिए संयुक्त राष्ट्र में इस तरह के बीमा के दायरे में 120 हेक्टेयर मीलियन क्षेत्र को रखा गया है, जिसके लिए लगभग 70 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। चीन में भी किसानों को बुआई संबंधी 75 मिलियन हेक्टेयर तक के दायरे में बीमा दिया जाता है, जिसके लिए प्रीमियम पर लगभग 80 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जाती है। इस परिप्रेक्ष्य में भारत में अगले 5 वर्षों के दौरान योजना के दायरे में फसली क्षेत्र का 50 प्रतिशत हिस्सा आ जाएगा।
-इस योजना में खेतों में खड़ी फसल को होने वाले नुकसान से बचाने का प्रावधान भी किया गया है। इस तरह खड़ी फसलों को न रोके जा सकने वाले नुकसानों से बचाया जा सकता है। इसमें स्वाभाविक आगजनी, बिजली गिरने, तूफान-आंधी, ओलावृष्टि, बवंडर, बाढ़, जल-भराई, भू-स्खलन,सूखा, किटाणु, फसल के रोग आदि जैसे जोखिम शामिल हैं।
-इसी तरह अन्य मामलो में जहां अधिसूचित क्षेत्रों के बीमित किसानों की बहुतायत को विपरीत मौसमी परिस्थितियों के चलते बुआई करने से रोका जाता है और ऐसी बुआई करने पर उन्हें अधिक खर्च करना पड़ता है, तो इसके लिए उनको यह अधिकार दिया गया है कि वे बीमित राशि का अधिकतम 25 प्रतिशत हर्जाने का दावा कर सकें।
-कटाई के बाद होने वाले नुकसान को भी बीमा के दायरे में रखा गया है। इसके लिए फसलों को कटाई के बाद सूखने के लिए मैदान में रखने के संबंध में अधिकतम 14 दिनों की अवधि के लिए यह बीमा उपलब्ध किया जाएगा। बीमा योजना के दायरे में उन अधिसूचित स्थानों की फसलों को भी रखा गया है, जिन स्थानों पर आंधी-तूफान, भू-स्खलन आदि जैसे जोखिम स्थानीय स्तर पर होते रहते हैं।
-इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया है कि सरकार की सब्सिडी में कोई उच्च सीमा नहीं होगी। यदि बकाया प्रीमियत 90 प्रतिशत भी होगा तो उसे सरकार वहन करेगी। इसके पहले प्रीमियम दरों पर अधिकतम सीमा का प्रावधान था जिसके कारण किसानों को कम भुगतान हो पाता था। यह अधिकतम सीमा सरकार की प्रीमियम सब्सिडी की सीमा के मद्देनजर निर्धारित की गई थी। अब इस अधिकतम सीमा को समाप्त कर दिया गया है और किसानों को बीमित रकम का पूरा हिस्सा बिना किसी कटौती के प्राप्त होगा।
-नई योजना में प्रौद्योगिकी का भी उपयोग किया जाएगा। अधिक प्रौद्योगिकी और विज्ञान को प्रोत्साहित किया जाएगा। स्मार्ट फोनों के जरिए फसल कटाई का आंकड़ा अपलोड किया जाएगा ताकि किसानों को दावे का भुगतान करने में कम विलंब हो। स्रोतों ने बताया कि फसल कटाई प्रयोगों को कम करने के लिए दूर संवेदी प्रणाली का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
-प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल अनिवार्य बनाने से संचालन कुशलता में सुधार होगा और किसानों, बीमा एजेंसियों, विशेषज्ञों और बीमा क्षेत्र से संबंधित हितधारकों को लाभ होगा। इसके अलावा किसानों का प्रीमियम कम करने से नीतियों को अधिक कुशलता से लागू किया जा सकेगा। राज्यों के लिए नई फसल बीमा अनिवार्य करने का अर्थ है कि बीमा लेने वालों की सूची बढ़ेगी। इसके अलावा आंधी जैसी घटनाओं से फसल के नुकसान और तबाही से किसानों को बचाने के लिए उपाय किए गए हैं, जिनसे सभी हितधारकों को फायदा पहुंचेगा।
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((खुद का खर्च कैसे मैनेज करें?
(शेयर बाजार में उतरने से पहले डमी रूप में रफ कॉपी पर शेयर खरीदता-बेचता रहा: प्रशांत कुमार बशिष्ठ, रीटेल इन्वेस्टर
(ब्लॉग एक, फायदे अनेक
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