बैंकों के बकाए ऋण में कमी: RBI

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जारी किया तिमाही बीएसआर-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों
का बकाया ऋण, जून तिमाही 2015

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जारी किया तिमाही बीएसआर-1:
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का बकाया ऋण, जून 2015

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज वेब प्रकाशन तिमाही बीएसआर-1: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का बकाया ऋण, जून 2015 जारी किया। बीएसआर-1 में उधारकर्ता के व्यवसाय/कार्यकलाप और सांगठनिक क्षेत्र, खाते के प्रकार, ब्याज दर, ऋण सीमा तथा बकाया राशि से संबंधित सूचना प्रत्येक ऋण खाते के लिए प्राप्त की जाती है। ऐसी सूचना बैंक समूह, जनसंख्या समूह और रिपोर्टिंग बैंक कार्यालयों के अवस्थितिपरक मानदंडों का उपयोग करते हुए राज्य स्तर पर समग्र रूप से प्राप्त की जाती है।

इस वेब प्रकाशन में 31 दिसंबर 2014 और 30 जून 2015 की स्थिति के अनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) के सकल बैंक ऋण पर विस्तृत आंकड़े निहित हैं और साथ ही इसमें 31 मार्च 2014 के तुलनात्मक आंकड़े भी हैं। इन आंकड़ों को भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस (डीबीआईई) (http://dbie.rbi.org.in) की वेबसाइट के माध्यम से http://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=publications#!12 पर एक्सेस किया जा सकता है।

रिज़र्व बैंक बीएसआर-1 सर्वेक्षणों के माध्यम से वार्षिक आधार पर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से ऋण के ब्यौरेवार आंकड़े प्राप्त कर रहा है। इन सर्वेक्षणों के परिणाम वार्षिक प्रकाशन ‘भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की मूल सांख्यिकीय विवरणी’ में प्रकाशित किया जाता है। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए सर्वेक्षण की बारंबारता को वार्षिक से तिमाही में परिवर्तित कर दिया गया है। दिसंबर 2014 से शुरू करते हुए तिमाही बीएसआर-1 आंकड़ों को अलग श्रृंखला के रूप में जारी किया जा रहा है।

मुख्य अंश:
जून 2015 के अंत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) का सकल बकाया ऋण वर्ष 2015-16 के पहले तीन महीनों के दौरान 1.0 प्रतिशत की कमी दर्ज करते हुए ₹ 66,281 बिलियन हो गया।

उधार खातों की संख्या मार्च 2015 के 122 मिलियन में 0.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ जून 2015 में 123 मिलियन हो गई। वित्तीय वर्ष 2015-16 के पहले तीन महीनों के दौरान महानगरीय केंद्रों में ऋण में 1.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इस अवधि के दौरान ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी केंद्रों में ऋण में क्रमशः 1.0 प्रतिशत, 0.4 प्रतिशत और 0.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

महानगरीय और ग्रामीण केंद्रों में ऋण खातों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में जून 2015 में क्रमशः 2.2 प्रतिशत और 0.9 प्रतिशत की गिरावट हुई। दूसरी तरफ, अर्ध-शहरी और शहरी केंद्रों में इस अवधि के दौरान खातों की संख्या में 2.4 प्रतिशत और 5.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

बड़ी ऋण सीमा वाले खातों (₹ 250 मिलियन और इससे ऊपर) में पिछली तिमाही की तुलना में जून 2015 में 4.6 प्रतिशत तक गिरावट आई। ऐसे खातों की कुल बकाया राशि में इस तिमाही के दौरान 2.3 प्रतिशत तक कमी आई।

‘कृषि’ क्षेत्र और ‘उद्योग’ क्षेत्र के ऋण में मार्च 2015 की तुलना में जून 2015 में क्रमशः 0.3 प्रतिशत और 1.7 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। वैयक्तिक ऋण में मार्च 2015 की तुलना में 1.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वैयक्तिक ऋण के ‘आवास’, ‘उपभोक्ता वस्तुओं’ और ‘व्यक्तिगत क्रेडिट कार्ड’ खंडों में इस अवधि के दौरान क्रमशः 3.3 प्रतिशत, 3.4 प्रतिशत और 7.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वित्तीय क्षेत्र के ऋण में मार्च 2015 की तुलना में जून 2015 में 8.2 प्रतिशत तक की गिरावट आई।

(साभार: www.rbi.org.in)

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