इस साल की सितंबर तिमाही में करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले कम होकर GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद का 1.6% (8.2 अरब डॉलर) हो गया। पिछले साल की इसी तिमाही में CAD GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद का 2.2% (10.9 अरब डॉलर) था। रिजर्व बैंक ने इसकी जानकारी दी।
हालांकि, तिमाही आधार पर इसमें बढ़ोतरी हुई है। इस साल की जून तिमाही में ये GDP का 1.2% (6.2 अरब डॉलर) था।
जानकारों के मुताबिक, व्यापार घाटे में कमी से CAD पर काबू करने में मदद मिली। इस साल सितंबर
तिमाही में व्यापार घाटे पिछले साल की इसी तिमाही के 39.7 अरब डॉलर के मुकाबले 37.4 अरब डॉलर रही।
बात अगर इस साल की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर के CAD में भी कमी आई है। पिछले साल की
सितंबर छमाही में CAD18.4 अरब डॉलर (GDP का 1.8% ) था, जो कि इस साल की सितंबर छमाही
में घटकर 14.3 अरब डॉलर (GDP का 1.4% ) पर पहुंच गया।
((जून तिमाही में CAD@ GDP का 1.2%
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/09/cad.html
वर्ष 2015-16 की दूसरी तिमाही में भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख विशेषताएं:
भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) वर्ष 2014-15 की दूसरी तिमाही के 10.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 2.2 प्रतिशत) की तुलना में वर्ष 2015-16 की दूसरी तिमाही में 8.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.6 प्रतिशत) रहा किंतु पिछली तिमाही के 6.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.2 प्रतिशत) की तुलना में बढ़ गया (सारणी 1)।
सीएडी में कमी मुख्य रूप से पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही के 39.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के घाटे तुलना में कम व्यापार घाटे (37.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के कारण रही हालांकि यह पिछली तिमाही के स्तर से अधिक रहा (34.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर)।
यद्यपि मुख्यरूप से परिवहन, बीमा और पेंशन सेवाओं के निर्यात प्राप्तियों में गिरावट के कारण निवल सेवा प्राप्तियों में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर थोड़ी नरमी आई। पिछली तिमाही की तुलना में इसमें कुछ सुधार हुआ है।
निजी अंतरण प्राप्तियां, जो मुख्य रूप से विदेशों में नियोजित भारतीयों के विप्रेषण को दर्शाती हैं, 16.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई जो पिछली तिमाही और पिछले वर्ष की इस तिमाही के स्तर से थोड़ी गिरावट दर्शाती हैं।
पहली तिमाही में तेज वृद्धि के बाद निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वर्ष 2015-16 की दूसरी तिमाही में नरमी आई।
पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही के 9.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवल अंतर्वाह की तुलना में संविभाग निवेश का निवल बहिर्वाह 6.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। यह बहिर्वाह इक्विटी खंड में अधिक देखा गया।
तथापि, अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियां पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही के स्तर से वर्ष 2015-16 की दूसरी तिमाही में 4.0 प्रतिशत तक बढ़ गई।
विदेशी मुद्रा भंडारों (बीओपी आधार पर) में वर्ष 2015-16 की दूसरी तिमाही में 0.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक कमी आई।
अप्रैल-सितंबर 2015 के दौरान भुगतान संतुलन (2015-16 की पहली छमाही)
संचयी आधार पर चालू खाता घाटा वर्ष 2014-15 की पहली छमाही के 1.8 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2015-16 की पहली छमाही में जीडीपी का 1.4 प्रतिशत हो गया। इसका कारण व्यापार घाटे में कमी और निवल अदृश्य मदों में सुधार था।
भारत का व्यापार घाटा वर्ष 2014-15 की पहली छमाही के 74.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर वर्ष 2015-16 की पहली छमाही में 71.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
निवल सेवाओं के अर्जन में नरमी तथा प्राथमिक आय (लाभ ब्याज और लाभांश) के कम निवल बहिर्वाह के कारण निजी अंतरण प्राप्तियों में कमी होने से निवल अदृश्य प्राप्तियां थोड़ी बढ़ गई।
निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अंतर्वाह में पिछले वर्ष की इस अवधि के स्तर से वर्ष 2015-16 की पहली छमाही के दौरान 10 प्रतिशत से अधिक तक बढ़ गया।
तथापि, पोर्टफोलियो निवेश में पिछले वर्ष के 22.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवल अंतर्वाह की तुलना में पहली छमाही में 9.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल बहिर्वाह दर्ज किया गया।
विदेशी मुद्रा भंडार (बीओपी आधार पर) में वर्ष 2014-15 की पहली छमाही के 18.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में वर्ष 2015-16 की पहली छमाही में 10.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अभिवृद्धि हुई।
हालांकि, तिमाही आधार पर इसमें बढ़ोतरी हुई है। इस साल की जून तिमाही में ये GDP का 1.2% (6.2 अरब डॉलर) था।
जानकारों के मुताबिक, व्यापार घाटे में कमी से CAD पर काबू करने में मदद मिली। इस साल सितंबर
तिमाही में व्यापार घाटे पिछले साल की इसी तिमाही के 39.7 अरब डॉलर के मुकाबले 37.4 अरब डॉलर रही।
बात अगर इस साल की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर के CAD में भी कमी आई है। पिछले साल की
सितंबर छमाही में CAD18.4 अरब डॉलर (GDP का 1.8% ) था, जो कि इस साल की सितंबर छमाही
में घटकर 14.3 अरब डॉलर (GDP का 1.4% ) पर पहुंच गया।
((जून तिमाही में CAD@ GDP का 1.2%
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/09/cad.html
वर्ष 2015-16 की दूसरी तिमाही में भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख विशेषताएं:
भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) वर्ष 2014-15 की दूसरी तिमाही के 10.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 2.2 प्रतिशत) की तुलना में वर्ष 2015-16 की दूसरी तिमाही में 8.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.6 प्रतिशत) रहा किंतु पिछली तिमाही के 6.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.2 प्रतिशत) की तुलना में बढ़ गया (सारणी 1)।
सीएडी में कमी मुख्य रूप से पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही के 39.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के घाटे तुलना में कम व्यापार घाटे (37.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के कारण रही हालांकि यह पिछली तिमाही के स्तर से अधिक रहा (34.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर)।
यद्यपि मुख्यरूप से परिवहन, बीमा और पेंशन सेवाओं के निर्यात प्राप्तियों में गिरावट के कारण निवल सेवा प्राप्तियों में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर थोड़ी नरमी आई। पिछली तिमाही की तुलना में इसमें कुछ सुधार हुआ है।
निजी अंतरण प्राप्तियां, जो मुख्य रूप से विदेशों में नियोजित भारतीयों के विप्रेषण को दर्शाती हैं, 16.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई जो पिछली तिमाही और पिछले वर्ष की इस तिमाही के स्तर से थोड़ी गिरावट दर्शाती हैं।
पहली तिमाही में तेज वृद्धि के बाद निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वर्ष 2015-16 की दूसरी तिमाही में नरमी आई।
पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही के 9.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवल अंतर्वाह की तुलना में संविभाग निवेश का निवल बहिर्वाह 6.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। यह बहिर्वाह इक्विटी खंड में अधिक देखा गया।
तथापि, अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियां पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही के स्तर से वर्ष 2015-16 की दूसरी तिमाही में 4.0 प्रतिशत तक बढ़ गई।
विदेशी मुद्रा भंडारों (बीओपी आधार पर) में वर्ष 2015-16 की दूसरी तिमाही में 0.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक कमी आई।
अप्रैल-सितंबर 2015 के दौरान भुगतान संतुलन (2015-16 की पहली छमाही)
संचयी आधार पर चालू खाता घाटा वर्ष 2014-15 की पहली छमाही के 1.8 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2015-16 की पहली छमाही में जीडीपी का 1.4 प्रतिशत हो गया। इसका कारण व्यापार घाटे में कमी और निवल अदृश्य मदों में सुधार था।
भारत का व्यापार घाटा वर्ष 2014-15 की पहली छमाही के 74.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर वर्ष 2015-16 की पहली छमाही में 71.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
निवल सेवाओं के अर्जन में नरमी तथा प्राथमिक आय (लाभ ब्याज और लाभांश) के कम निवल बहिर्वाह के कारण निजी अंतरण प्राप्तियों में कमी होने से निवल अदृश्य प्राप्तियां थोड़ी बढ़ गई।
निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अंतर्वाह में पिछले वर्ष की इस अवधि के स्तर से वर्ष 2015-16 की पहली छमाही के दौरान 10 प्रतिशत से अधिक तक बढ़ गया।
तथापि, पोर्टफोलियो निवेश में पिछले वर्ष के 22.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवल अंतर्वाह की तुलना में पहली छमाही में 9.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल बहिर्वाह दर्ज किया गया।
विदेशी मुद्रा भंडार (बीओपी आधार पर) में वर्ष 2014-15 की पहली छमाही के 18.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में वर्ष 2015-16 की पहली छमाही में 10.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अभिवृद्धि हुई।
अप्रैल-सितंबर 2015 के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में परिवर्तन के स्रोत
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर जुलाई-सितंबर 2015 से संबंधित भुगतान संतुलन (बीओपी) के आंकड़े आज जारी किए। इन आंकड़ों के आधार पर अप्रैल-सितंबर 2015 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में परिवर्तन के स्रोतों का समेकन किया गया है।
विदेशी मुद्रा भंडार में परिवर्तन के स्रोत : अप्रैल-सितंबर 2015
अप्रैल-सितंबर 2015 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी दर्ज हुई। विदेशी मुद्रा भंडार में हुए परिवर्तन के स्रोत नीचे सारणी 1 में दर्शाए गए हैं :
भुगतान संतुलन (मूल्यांकन प्रभावों को छोड़कर) के आधार पर अप्रैल-सितंबर 2015 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 10.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी हुई, जबकि अप्रैल-सितंबर 2014 के दौरान उसमें 18.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी। अप्रैल-सितंबर 2015 में विदेशी मुद्रा भंडार में अवास्तविक संदर्भ (मूल्यांकन प्रभावों सहित) में 8.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई, वहीं पिछले वर्ष की इस अवधि में 9.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई थी (सारणी 2)।
अप्रैल-सितंबर 2015 के दौरान मूल्यांकन हानि, जिसके अंतर्गत मुख्य रूप से अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर में हुआ मूल्यह्रास दर्शाया गया है, 1.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर दर्ज हुई, जबकि पिछले वर्ष की इस अवधि में यह 8.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर दर्ज हुई थी।
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