डॉलर की दादागिरी की उलटी गिनती शुरू, चीन की करेंसी देगी टक्कर

5वीं सबसे ताकतवर करेंसी बनी चीन की करेंसी, क्या हैं इसके मायने 
चीन की करेंसी का रुतबा बढ़ा, दुनिया के लिए इसके मायने

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति चीन की करेंसी युआन या रेन्मिन्बी का भी रुतबा वैश्विक स्तर पर बढ़ा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने रेन्मिन्बी को भी अपने रिजर्व करेंसी बास्केट, जो कि  SDRs (स्पेशल ड्राइंग राइट्स) कहलाता है, में शामिल करने का फैसला किया है। अब तक इस बास्केट में अमेरिकी डॉलर, यूरो, ब्रिटिश पाउंड और जापानी करेंसी येन को ही जगह मिली हुई है। चीन की युआन या रेन्मिन्बी इस बास्केट में जगह पाने वाली 5 वीं करेंसी होगी। अक्तूबर 2016 में युआन को दुनिया की पांचवीं सबसे ताकतवर करेंसी बनाने की औपचारिकता पूरी हो जाएगी।

क्या है SDR: 
विदेशी मुद्रा संकट में फंसे देशों के लिए IMF की मदद अंतिम सहारा होती है जो कि हाल में ग्रीस या यूरोप के अन्य संकटग्रस्त देशों को और 1991 में भारत को मिली थी।

-IMF के तहत SDR यानी स्पेशल ड्राइंग राइट्स एक संकटकालीन व्यवस्था है। SDR एक तरह की करेंसी है जो IMF के सदस्य देशों के विदेशी मुद्रा भंडार के हिस्से के तौर पर गिनी जाती है। संकट के समय इसके बदले IMF से संसाधन मिलते हैं।

-SDR एक तकनीकी इंतजाम है जिसकी जरूरत दुर्भाग्य से ही पड़ती है लेकिन परोक्ष रूप से यह क्लब दरअसल दुनिया के विदेशी मुद्रा भंडारों के गठन का आधार है। दुनिया के लगभग सभी देशों के विदेशी मुद्रा भंडार डॉलर, येन, पाउंड और यूरो पर आधारित हैं, युआन अब इनमें पांचवीं करेंसी होगी।

SDR में शामिल होने की शर्त:
-पहली शर्त है कि इस मुद्रा को जारी करने वाला देश बड़ा निर्यातक होना चाहिए। विश्व निर्यात में 11% हिस्से के साथ चीन इस पैमाने पर बड़ी ताकत है। निर्यात के पैमाने पर युआन डॉलर और यूरो के बाद तीसरे नंबर पर है, येन और पाउंड काफी पीछे हैं।

-दूसरी शर्त है कि करेंसी का मुक्त रूप से इस्तेमाल हो सके। इस पैमाने पर चीन शायद खरा नहीं उतरता, क्योंकि युआन पर कुछ पाबंदियां हैं और इसकी कीमत भी बाजार नहीं बल्कि सरकार तय करती है, लेकिन ग्लोबल इकोनॉमी में चीन के बढ़ते रसूख ने IMF को मुक्त करेंसी के पैमाने पर युआन के लिए परिभाषा बदलने को विवश कर दिया।

IMF के इस फैसले से वैश्विक स्तर पर असर: कई बदलाव आने की उम्मीद
-SDR में 5वीं करेंसी आने के साथ अगले कुछ महीनों में दुनिया के देश अपने विदेशी मुद्रा भंडारों का पुनर्गठन करेंगे और युआन का हिस्सा बढाएंगे।

-माना जा रहा है कि करीब एक ट्रिलियन डॉलर के अंतरराष्ट्रीय विदेशी मुद्रा भंडार युआन में बदले जाएंगे यानी कि डॉलर की तर्ज पर युआन की मांग भी आने वाले दिनों में बढ़ेगी।
-वर्ल्ड बैंक का मानना है कि अगले पांच साल में दुनिया की कंपनियां बड़े पैमाने पर युआन केंद्रित बॉन्ड जारी करेंगी, जिन्हें वित्तीय बाजार 'पांडा बॉन्ड' कहता है।

-युआन ने खुद को ग्लोबल रिजर्व करेंसी बनाने की तरफ कदम बढ़ा दिया है। ग्लोबल बाजारों में ब्रिटिश पाउंड का असर सीमित है, जापानी येन एक ढहती हुई करेंसी है और यूरो का भविष्य अस्थिर है। इसलिए अमेरिकी डॉलर और युआन शायद दुनिया की दो सबसे प्रमुख करेंसी होंगी।

-दरअसल, यहां से दुनिया में डॉलर के एकाधिकार की उलटी गिनती पर बहस ज्यादा तथ्य और ठसक के साथ शुरू हो रही है, क्योंकि दुनिया के करीब 45 % अंतर्देशीय विनिमय  अमेरिकी डॉलर में होते हैं जिसके लिए अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम की जरूरत होती है, जल्द ही इसका एक बड़ा हिस्सा युआन को मिलेगा।

-अब चीन को बड़े बदलावों से गुजरना होगा। वहां आज भी लोकतंत्र नहीं है। ग्लोबल रिजर्व करेंसी की तरफ बढने के लिए विदेशी मुद्रा सुधार, बैंकिंग सुधार, वित्तीय सुधार जैसे कई कदम उठाने होंगे, जिनकी तैयारी शुरू हो गई है। (साभार: आजतक )

कोई टिप्पणी नहीं