गरीबों पर कहर बनकर टूटेगा जलवायु परिवर्तन: वर्ल्ड बैंक

प्रगति की राह का बड़ा रोड़ा साबित होगा जलवायु परिवर्तन: वर्ल्ड बैंक 
अंधाधुंध विकास और कुदरत पर लगातार इंसानी कहर का नतीजा है जलवायु परिवर्तन और अगर ये सिलसिला यूं ही बेरोकटोक जारी रहा, तो आने वाले दिनों में जलवायु परिवर्तन प्रगति की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर उभरेगा। साथ ही दुनिया भर के गरीबों पर भी ये कहर बनकर टूटेगा। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में जलवायु परविर्तन को लेकर आगाह किया गया है।

1991 में दुनिया की कुल आबादी का 36% लोग गरीबी में जी रहे थे। 2015 में ये आंकड़ा घटकर 10 % आ गया है। लेकिन, जलवायु परिवर्तन को रोका नहीं गया तो गरीबी उन्मुलन कोशिशों और विकास को तुरंत बड़ा झटका लगेगा।

अगर बढ़ते तापमान पर अंकुश लगाने के लिए तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो गरीबों पर सबसे ज्यादा असर कैसे पड़ेगा, आइए जानते हैं।

-कोई भी प्राकृतिक आपदा आती है तो सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों का उठाना पड़ता है। मसलन, 1998 में होंडुरास में आए हरिकेन (तूफान) से गरीब लोगों के मरने की संख्या जो गरीब नहीं थे, उनके मुकाबले तीन गुना ज्यादा थी। समुद्र तटीय इलाकों में अक्सर प्राकृतिक आपदा का खतरा बना रहता है।

-वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन से 2030 तक फसलों का नुकसान 5% तक जबकि 2080 तक 30% तक जा सकता है।

-फसल के नुकसान से खाने की चीज महंगी हो जाएगी, जिस पर गरीबों को ज्यादा खर्च करना होगा।

-अगर वैश्विक स्तर पर 2-3 डिग्री सेंटिग्रेड तापमान बढ़ता है तो 2030 तक मलेरिया प्रभावित लोगों का रिस्क 5%, जबकि डायरिया वाले लोगों का रिस्क 10% बढ़ सकता है।

जलवायु परिवर्तन के असर से गरीबों को कैसे बेअसर रखा जाए...
-सामाजिक सुरक्षा बढ़ाई जाए
-यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज को तरजीह दी जाए
- पूर्व चेतावनी व्यवस्था (Early Warning System) का विकास हो
-जलवायु से बेअसर रहने वाले पौधे विकसित किए जाएं (Climate-Resistant Crops)


कुल मिलाकर, जलवायु परिवर्तन से गरीबों और विकास को बेअसर रखने के लिए दुनियाभर की सरकारों को तेजी से उस पर काम करना होगा। 

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