LLP पर MNCs मांगे मोर !

सरकार ने इस महीने की 10 तारीख को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों को आसान बनाने के दौरान एलएलपी ( Limited Liabilities Partnerships) यानी सीमित देयता भागीदारी को लेकर भी फैसले किए गए। देश में ज्यादा से ज्यादा एफडीआई आकर्षिक करने के इरादे से सरकार ने एलएलपी में ऑटोमैटिक रूट (स्वत:) से एफडीआई की मंजूरी दे दी है।

लेकिन, अब भारत में पंजीकृत MNCs यानी बहुराष्ट्रीय कंपनियां एलएलपी में बदलाव करने के दौरान टैक्स में छूट की मांग कर रही हैं। मौजूदा नियम के मुताबिक, किसी भी कंपनी को एलएलपी में परिवर्तन करते समय कैपिटल गेंस टैक्स देना पड़ता है। इसके अलावा भी कई जटिलताएं हैं, जिसे दूर करने की मांग MNCs कर रहीं हैं।

आइए जानते हैं आखिर ये एलएलपी क्या है...

-LLP क्या है?
बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन का एक मॉडल है एलएलपी। इसमें कम से कम दो भागीदार होते हैं। एक ही कंपनी के दो सब्सिडियरी भी भागीदार हो सकते हैं। कोई भी कंपनी जिसका भारत में सालाना टर्नओवर 60 लाख रुपए से अधिक है, खुद को एलएलपी में बदल सकती है, हालांकि इस प्रक्रिया के दौरान कई तरह की जटिलताओं और टैक्स देनदारी से जुझना पड़ता है।

-LLP के फायदे
कई बिजनेस संगठन कंपनी के मुकाबले एलएलपी के तौर पर काम करने के दौरान कई फायदे देखते हैं। मसलन, डीडीटी यानी डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स और  MAT यानी मिनिमम अल्टरनेट टैक्स उस पर लागू नहीं होता है।
 
- किसी कंपनी को LLP में बदलने में दिक्कत क्या है
मौजूदा नियम के मुताबिक, किसी कंपनी को LLP में बदलते समय टैक्स के मसले उठते हैं और FIPB (Foreign Investment Promotion Board) की अनुमति लेनी होती है।

-कौन चाहता है किसी कंपनी को LLP में बदलना
भारत में रजिस्टर्ड बहुराष्ट्रीय कंपनियां, जो पब्लिक में नहीं जाना चाहती हैं।

-क्या चाहती हैं बहुराष्ट्रीय कंपनियां
बहुराष्ट्रीय कंपनियां चाहती हैं कि सरकार उनको बरोकटोक एलएलपी में बदलने की मंजूरी दे और साथ ही ऐसा करते समय किसी तरह की टैक्स देनदारी भी ना हो।

-सीमित देयता भागीदारी (Limited liability partnership / एलएलपी) की खास बातें: 
-हरेक भागीदार की देयता कानूनी रूप से सीमित होती है।
-इसके सदस्यों को आपसी सहमति के करार के आधार पर अपनी
आंतरिक प्रबंधन व्यवस्था के आयोजन का लचीलापन प्रदान
करता है, चाहे भागीदारी फर्म में जैसा भी मामला हो।
-एक कॉर्पोरेट व्यापार माध्यम है, जो पेशेवर विशेषज्ञता और उद्यमशीलता
की पहल को लचीले, अभिनव और कुशल तरीके से संचालित करने के लिए
सक्षम बनाता है।
-तेजी से छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए व्यापार के पसंदीदा माध्यम बन
रहे हैं, विशेष रूप से सेवा उद्योग और संगठन में पेशेवरों को शामिल
करने के लिए इसे अपनाया जाता है।
-यह एक पृथक कानूनी इकाई होती है, जो अपनी परिसंपत्तियों की पूरी
सीमा तक देयता रखती है और भागीदारों की देयता उनके योगदान की
सहमति तक सीमित होती है।
-किसी भागीदार पर अन्य भागीदारों की स्वतंत्र या अनधिकृत गतिविधियों
या दुराचार की देयता नहीं होगी।
-एलएलपी में भागीदारों के आपसी अधिकार और कर्तव्य का नियंत्रण भागीदारों के बीच
किए गए करार या एलएलपी तथा भागीदारों के बीच किए गए करार द्वारा नियंत्रित
होगा।
-पेशेवर/तकनीकी विशेषज्ञता को जागृत और अभिनव व कुशल तरीके से वित्तीय जोखिम
उठाने की क्षमता को जोड़ने की पहल करती है।

कोई टिप्पणी नहीं