जून तिमाही में CAD घटा, क्या हैं इसके फायदे

इस साल की जून तिमाही में करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले कम होकर GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद का 1.2% (6.2 अरब डॉलर) हो गया। पिछले साल की इसी तिमाही में CAD GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद का 1.6% (7.8 अरब डॉलर) था। रिजर्व बैंक ने इसकी जानकारी दी।


जानकारों के मुताबिक, सर्विस एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी और कच्चे तेल की इंपोर्टेड कीमत में कमी की वजह से CAD में ये गिरावट आई है। CAD में गिरावट के बाद माना जा रहा है कि डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती आएगी और अमेरिका में ब्याज दर की संभावित बढ़ोतरी से लगने वाले झटके से संभलने में मदद मिलेगी।
2015-16 की पहली तिमाही के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति के प्रमुख अंश:
  • भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) एक वर्ष पहले के 7.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.6 प्रतिशत) के स्‍तर से गिरावट दर्ज करते हुए वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही में 6.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.2 प्रतिशत) पर पहुंच गया।
  • यह सुधार प्रमुख रूप से व्‍यापारिक निर्यातों की तुलना में व्‍यापारिक आयातों में अत्‍यधिक पूर्ण गिरावट आने की वजह से व्‍यापारिक ट्रेड घाटे (2015-16 की पहली तिमाही में 34.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर) में वर्ष-दर-वर्ष (वाई-ओ-वाई) के आधार पर आई कमी की वजह से हुआ।
  • प्राथमिक आय (लाभ, लाभांश और ब्‍याज) की वजह से सेवाओं के माध्‍यम से उच्‍चतर निवल अर्जनों और निम्‍नतर नकदी बहिर्वाह के कारण से सीएडी में गिरावट दर्ज हुई।
  • निजी अंतरण रसीदों, जो कि विदेशों में नौकरी करने वाले भारतीयों द्वारा किए जाने वाले धन प्रेषणों को दर्शाती हैं, की राशि 16.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर दर्ज हुई। इसमें पिछले वर्ष के स्‍तर की तुलना में मामूली कमी हुई।
  • जहां तक वित्‍तीय खाते का मामला है प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश की निवल अंतर्वाह राशि वर्ष-दर-वर्ष के आधार पर उच्‍चतर स्‍तर पर रही। तथापि, कर्ज के खंड में लगभग समग्र रूप से पोर्टफोलियो निवेश में भारी गिरावट दर्ज हुई।
  • इस तिमाही के दौरान वाणिज्यिक बैंकों को अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) से प्राप्‍त 5.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जमाराशियां पिछले वर्ष की पहली तिमाही में दर्ज निवल अंतर्वाह की राशि से दुगुना से भी अधिक रहीं।
  • प्रमुख रूप से बैंकों द्वारा विदेशों में धारित विदेशी मुद्रा आस्तियों में आई गिरावट की वजह से बैंकों द्वारा लिए गए ऋणों की राशि के संदर्भ में 5.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अंतर्वाह हुआ।
  • अप्रैल-जून 2015 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बीओपी के आधार पर 11.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की निवल वृद्धि दर्ज हुई; जो कि पिछले वर्ष की समान तिमाही 


((मार्च तिमाही के CAD के बारे में जानकारी 
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/06/cad.html

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