दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन द्वारा अपनी करंसी का अवमूल्यन के बाद से ग्लोबल मार्केट में कोहराम मचा हुआ है। चीन में मंदी की आशंका जताई जा रही है, लेकिन इन सबके बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन भरोसे से लबालब हैं।
राजन ने एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारतीय इकोनॉमी को इस कोहराम से परेशान होने की जरूरत नहीं है। वित्त मंत्री अरुण जेटली भी राजन के साथ खड़े हैं।
आखिर क्या है इसकी वजह।
याद कीजिए, आज से दो साल पहले का समय। घरेलू इकोनॉमी आंतरिक समस्याओं के साथ-साथ ग्लोबल उथल-पुथल से भी जूझ रही थी।
उस समय की मनमोहन सिंह सरकार पॉलिसी पैरालिसिस का शिकार हो गई थी, महंगाई आसमान छू रही थी, रुपया डॉलर के मुकाबले अपनी चमक खोता जा रहा था, बढ़ता करंट अकाउंट डेफिसिट सरदर्ज बन गया था, ऊपर से सोने का बढ़ता इंपोर्ट भी कम परेशानी नहीं पैदा कर रहा था, इन सबके बीच रघुराम राजन को रिजर्व बैंक की कमान सौंपी गई थी। लेकिन, तब से लेकर अब तक हालात काफी बदल गए हैं।
ये बदलाव घरेलू मोर्चे पर भी और ग्लोबल स्तर पर भी साफ-साफ देखे जा सकते हैं। ग्लोबल स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आई बड़ी गिरावट से हिन्दुस्तान को काफी फायदा हुआ है। इसके अलावा, अमेरिकी इकोनॉमी
के पटरी पर लौटने की उम्मीद भी आशा की किरण बन कर आई है।
अगर घरेलू मोर्चे की बात करें तो सबसे पहले इस समय देश में निर्णय लेने वाली, ग्रोथ ओरिएंटेड और स्पष्ट बहुमत वाली नरेंद्र मोदी की अगुआई में मजबूत सरकार काम कर रही है। घरेलू मैक्रो इकोनॉमी की बात करें तो
महंगाई, करंट अकाउंट, फॉरेन रिजर्व और सरकारी खजाने की हालत सुधरी है।
भारत का करंट अकाउंट डेफिसिट वित्त वर्ष 2013 में GDP का 4.7% हो गया था जो कि अब तक का अधिकतम है। 2015 में यह 1.3 % रह गया। बात अगर रिटेल महंगाई की करें तब उस समय औसतन 9% था जो इस
साल जुलाई में 3.8% पर है। अभी फॉरेक्स रिजर्व भी रिकॉर्ड 354.4 अरब अमेरिकी डॉलर है, यानी भारत दो साल पहले के मुकाबले अभी काफी बेहतर स्थिति में है।
भारतीय इकोनॉमी को मजबूत बनाने वाली वजह:
1-वित्त वर्ष 2015-16 में GDP ग्रोथ 7.5-8% रहने का अनुमान। पिछले वित्त वर्ष में ये 7.3% दर्ज की गई थी। IMF के मुताबिक, भारत की GDP ग्रोथ 2015-16 में 7.5 % रहने का अनुमान है।
((अप्रैल-जून तिमाही के GDP आंकड़े 28 के बदले 31 अगस्त को
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/gdp-28-31.html ))
2-औद्योगिक उत्पादन में सुधार: IIP इस साल मई के 2.5% के मुकाबले जून में बढ़कर 3.8%
((ग्रोथ के मोर्चे पर अच्छी खबर, जून IIP नंबर में सुधार
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/iip.html))
3-सरकारी खजाने में बढ़ातरी: इस साल अप्रैल-जून के दौरान इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 37% से ज्यादा बढ़ा। ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल के सस्ता होने से सब्सिडी बिल में कमी, करीब एक लाख करोड़ रुपए की बचत होने का अनुमान
((जुलाई में इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 39% बढ़ा, सरकार खुश
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/39.html ))
4-खुदरा और थोक महंगाई दर में कमी: जुलाई में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.8% और थोक महंगाई दर घटकर के लगातार नौंवे महीने शून्य से नीचे (-4.05)%
((महंगाई के मोर्चे पर राहत, जुलाई में खुदरा महंगाई दर घटी
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/blog-post_77.html ))
((दूध और दाल महंगे हुए लेकिन जुलाई में थोक महंगाई घटी
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/blog-post_63.html))
5-उम्मीद से बेहतर मॉनसून, अभी तक औसत से करीब 10% कम बारिश, लेकिन, खरीफ फसल की बुआई 21 अगस्त तक पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 1% ज्यादा।
((खरीफ फसलों की बुआई 1% बढ़ी,तिलहन का रकबा घटा
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/1_22.html))
6-कच्चे तेल, सोने के इंपोर्ट बिल घटने से व्यापार घाटे में कमी
((जुलाई में लगातार 8वें महीने एक्सपोर्ट गिरा, सोने का इंपोर्ट 62% बढ़ा
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/8-62.html ))
7-करंट अकाउंट डेफिसिट आंकड़ों में सुधार: 2013-14 में GDP के 1.7% के मुकाबले 2014-15 में GDP का 1.3% रहा।
((काबू में CAD, कैसे मिली कामयाबी?
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/06/cad.html )
8-रिकॉर्ड स्तर पर फॉरेक्स रिजर्व-विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल 354.4 अरब अमेरिकी डॉलर
9-सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में बढ़ोतरी के शुरुआती संकेत
((युआन के अवमूल्यन से दुनिया में खलबली, भारत के लिए इसके मायने
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/blog-post_98.html
राजन ने एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारतीय इकोनॉमी को इस कोहराम से परेशान होने की जरूरत नहीं है। वित्त मंत्री अरुण जेटली भी राजन के साथ खड़े हैं।
आखिर क्या है इसकी वजह।
याद कीजिए, आज से दो साल पहले का समय। घरेलू इकोनॉमी आंतरिक समस्याओं के साथ-साथ ग्लोबल उथल-पुथल से भी जूझ रही थी।
उस समय की मनमोहन सिंह सरकार पॉलिसी पैरालिसिस का शिकार हो गई थी, महंगाई आसमान छू रही थी, रुपया डॉलर के मुकाबले अपनी चमक खोता जा रहा था, बढ़ता करंट अकाउंट डेफिसिट सरदर्ज बन गया था, ऊपर से सोने का बढ़ता इंपोर्ट भी कम परेशानी नहीं पैदा कर रहा था, इन सबके बीच रघुराम राजन को रिजर्व बैंक की कमान सौंपी गई थी। लेकिन, तब से लेकर अब तक हालात काफी बदल गए हैं।
ये बदलाव घरेलू मोर्चे पर भी और ग्लोबल स्तर पर भी साफ-साफ देखे जा सकते हैं। ग्लोबल स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आई बड़ी गिरावट से हिन्दुस्तान को काफी फायदा हुआ है। इसके अलावा, अमेरिकी इकोनॉमी
के पटरी पर लौटने की उम्मीद भी आशा की किरण बन कर आई है।
अगर घरेलू मोर्चे की बात करें तो सबसे पहले इस समय देश में निर्णय लेने वाली, ग्रोथ ओरिएंटेड और स्पष्ट बहुमत वाली नरेंद्र मोदी की अगुआई में मजबूत सरकार काम कर रही है। घरेलू मैक्रो इकोनॉमी की बात करें तो
महंगाई, करंट अकाउंट, फॉरेन रिजर्व और सरकारी खजाने की हालत सुधरी है।
भारत का करंट अकाउंट डेफिसिट वित्त वर्ष 2013 में GDP का 4.7% हो गया था जो कि अब तक का अधिकतम है। 2015 में यह 1.3 % रह गया। बात अगर रिटेल महंगाई की करें तब उस समय औसतन 9% था जो इस
साल जुलाई में 3.8% पर है। अभी फॉरेक्स रिजर्व भी रिकॉर्ड 354.4 अरब अमेरिकी डॉलर है, यानी भारत दो साल पहले के मुकाबले अभी काफी बेहतर स्थिति में है।
भारतीय इकोनॉमी को मजबूत बनाने वाली वजह:
1-वित्त वर्ष 2015-16 में GDP ग्रोथ 7.5-8% रहने का अनुमान। पिछले वित्त वर्ष में ये 7.3% दर्ज की गई थी। IMF के मुताबिक, भारत की GDP ग्रोथ 2015-16 में 7.5 % रहने का अनुमान है।
((अप्रैल-जून तिमाही के GDP आंकड़े 28 के बदले 31 अगस्त को
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/gdp-28-31.html ))
2-औद्योगिक उत्पादन में सुधार: IIP इस साल मई के 2.5% के मुकाबले जून में बढ़कर 3.8%
((ग्रोथ के मोर्चे पर अच्छी खबर, जून IIP नंबर में सुधार
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/iip.html))
3-सरकारी खजाने में बढ़ातरी: इस साल अप्रैल-जून के दौरान इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 37% से ज्यादा बढ़ा। ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल के सस्ता होने से सब्सिडी बिल में कमी, करीब एक लाख करोड़ रुपए की बचत होने का अनुमान
((जुलाई में इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 39% बढ़ा, सरकार खुश
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/39.html ))
4-खुदरा और थोक महंगाई दर में कमी: जुलाई में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.8% और थोक महंगाई दर घटकर के लगातार नौंवे महीने शून्य से नीचे (-4.05)%
((महंगाई के मोर्चे पर राहत, जुलाई में खुदरा महंगाई दर घटी
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/blog-post_77.html ))
((दूध और दाल महंगे हुए लेकिन जुलाई में थोक महंगाई घटी
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/blog-post_63.html))
5-उम्मीद से बेहतर मॉनसून, अभी तक औसत से करीब 10% कम बारिश, लेकिन, खरीफ फसल की बुआई 21 अगस्त तक पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 1% ज्यादा।
((खरीफ फसलों की बुआई 1% बढ़ी,तिलहन का रकबा घटा
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/1_22.html))
6-कच्चे तेल, सोने के इंपोर्ट बिल घटने से व्यापार घाटे में कमी
((जुलाई में लगातार 8वें महीने एक्सपोर्ट गिरा, सोने का इंपोर्ट 62% बढ़ा
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/8-62.html ))
((काबू में CAD, कैसे मिली कामयाबी?
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/06/cad.html )
9-सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में बढ़ोतरी के शुरुआती संकेत
((युआन के अवमूल्यन से दुनिया में खलबली, भारत के लिए इसके मायने
http://beyourmoneymanager.blogspot.in/2015/08/blog-post_98.html
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