P-नोट्स की पाठशाला; क्यों बरपा है हंगामा ?

मार्केट रेगुलेटर सेबी को पता लगाने के लिए कहा गया है कि क्या P-नोट्स (पार्टिसिपेटरी नोट्स) भारतीय कालेधन कुबेरों का घरेलू शेयर बाजार पैसा लगाने का जरिया है, जिसको लेकर सारा हंगामा बरपा है।

ये किसी और ने नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कालेधन पर रोक लगाने का उपाय बताने के लिए गठित की गई स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (SIT) ने।

क्या है पी-नोट्स: 
-विदेशियों द्वारा भारतीय सिक्योरिटीज मार्केट में निवेश का
 डेरिवेटिव जरिया (Instrument) है
-जो विदेशी निवेशक भारतीय कैपिटल मार्केट सेबी से रजिस्टर्ड
होने की इच्छा नहीं रखते हैं, उनको पी-नोट्स जारी किया
जाता है
-ऐसे निवेशकों को पी-नोट्स या तो सेबी से रजिस्टर्ड विदेशी
ब्रोकरेज हाउस जारी करते हैं या फिर सेबी से रजिस्टर्ड
घरेलू ब्रोकरेज हाउस की वदेशी शाखा
-इसके तहत ब्रोकरेज हाउस भारतीय सिक्योरिटीज मसलन,
शेयर्स, डेट या डेरिवेटिव्ज खरीदकर अपने ग्राहकों से फीस
लेकर पी-नोट्स जारी करते हैं

पी-नोट्स इन दिनों क्यों है सुर्खियों में-
-कालेधन पर रोक लगाने के उपाय बताने के लिए
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT)
ने अपनी सिफारिश सौंप दी है
-टीम ने अपनी सिफारिश में मार्केट रेगुलेटर सेबी से पी-नोट्स के असली खरीदार की पहचान और उससे होने वाले लेन-देन को सीमित करने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है
-हालांकि सेबी को पी-नोट्स के असली खरीदार के बारे में जानकारी लेने का अधिकार पहले से ही है, लेकिन कई मामलों में पी-नोट्स का शुरू का खरीदार कोई और होता है और आखिरी का खरीदार कोई और। ऐसा खासकर उन मामलों में होता है जब पी-नोट्स का लेन-देन कई स्तरों में होता है।
-SIT को ऐसी आशंका है कि भारतीय टैक्स चोरों के लिए पी-नोट्स काफी मददगार साबित हो रहा है। टीम के मुताबिक, ऐसे लोग टैक्स चोरी करते हैं और फिर उसे पी-नोट्स के जरिये भारतीय कैपिटल मार्केट में पैसा लगाकर उसे ब्लैक से व्हाइट करते हैं।

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