स्टार्ट अप्स के अच्छे दिन आए, अब शेयर बाजार से जुटा सकेंगे पैसे

मार्केट रेगुलेटर सेबी यानी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया  ने देश में तेजी से उभर रहीं स्टार्ट अप कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने की राह आसान कर दी है। सेबी ने स्टार्ट अप कंपनियों के लिए ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की मंजूरी दे दी है। विदेश के बजाय देश में ही स्टार्ट अप्स की लिस्टिंग को बढ़ावा देने के लिए शर्तों में ढील भी दी गई है।


स्टार्टअप पर सेबी के फैसले:
-स्टार्टअप कंपनियों की लिस्टिंग के लिए प्रमोटर के कॉनसेप्ट
को हटा दिया है।
-लॉक-इन के रूल्स आसान किए हैं और फंड के इस्तेमाल
को लेकर भी छूट दी है।
-स्टार्ट अप 1 जनवरी 2016 से बाजार से पूंजी जुटा सकेंगे।
- सेबी ने स्टार्टअप के लिए लॉक-इन पीरियड 3 साल से
घटाकर 6 महीने कर दिया है।
-स्टार्टअप के लिए न्यूनतम निवेश की सीमा
10 लाख रुपए होगी।
-स्टार्टअप की सुविधा के लिए सेबी ने कंपनी के
डिसक्लोजर नियमों में ढील दी है।
- टेक्नोलॉजी स्टार्टअप कंपनियों के प्री-इश्यू कैपिटल का
25 % हिस्सा इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर
के पास होना चाहिए, जबकि नॉन-टेक्नोलॉजी
कंपनी के लिए यह सीमा 50% है।
-स्टार्टअप्स के लिए डिसक्लोजर और कॉरपोरेट गर्वनेंस के
नियम अलग से नोटिफाई किए जाएंगे।
-स्टार्टअप के निवेशकों को उसमें से बाहर निकलने के नियम
आसान बनाए गए

सेबी चेयरमैन यू के सिन्हा के मुताबिक,  भारत में अभी 3,100 स्टार्टअप्स  काम कर रही हैं। इस सेगमेंट में काफी  मर्जर एंड एक्विजिशंस हो रहे हैं  और इनवेस्टर्स इनमें अरबों डॉलर लगा रहे हैं।
विदेशी ब्रोकरेज कंपनियों का कहना है कि अगले पांच साल में भारतीय ई-कॉमर्स मार्केट 100 अरब  डॉलर से ज्यादा का हो जाएगा। इन कंपनियों में अधिक पैसा न्यूयॉर्क बेस्ड  हेज फंड टाइगर ग्लोबल और जापान के सॉफ्टबैंक का लगा है।

IPO पर सेबी के फैसले: 
-IPO प्रक्रिया को तेज बनाने के लिए IPO लिस्टिंग की
अवधि 12 दिन से घटाकर 6 दिन कर दी है।
-IPO एप्लीकेशन के लिए ASBA यानि एप्लिकेशन
सपोर्टेड बाए ब्लॉक्ड एमाउंट को अनिवार्य बना दिया गया है।
अगर कोई निवेशक ASBA रूट के जरिए एप्लिकेशन देता है
तो उसका पैसा तब तक नहीं निकलता है, जब तक कि शेयर
उसे अलॉट नहीं हो जाते।

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