सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्र से जैव-ईंधन निर्यात की अनुमति दी

 सरकार ने कुछ शर्तों के साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) और निर्यात उन्मुख इकाइयों (ईओयू) से जैव-ईंधन के निर्यात की अनुमति दे दी है। विदेश व्यापार महानिदेशालय के एक नोटिस में यह कहा गया है।

सरकार ने अगस्त 2018 में गैर-ईंधन उद्देश्य के लिये जैव-ईंधन के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी।

इस पाबंदी के बाद सेज और ईओयू से काम करने वाले निर्यातकों ने इसे हटाने को लेकर सरकार के समक्ष अपनी बातें रखी थी। उनका कहना था कि वे अंतिम उत्पाद के निर्यात के लिये केवल आयातित सामग्री का उपयोग करते हैं। 

उन्होंने सरकारी अधिकारियों को यह भी सूचना दी थी कि सेज इकाइयों को जैव-ईंधन के निर्यात के लिये मंजूरी पत्र मिला हुआ है। साथ ही निर्यात उन्मुख इकाइयों को निर्यात संवर्द्धन योजना के तहत इसे पूरा करने की बाध्यता है।

डीजीएफटी के नोटिस के अनुसार, ‘‘व्यापार समुदाय की मुश्किलों तथा ईओयू एवं सेज में आयातित कच्चे माल से जैव ईंधन के उत्पादन को देखते हुए यह विचार किया गया कि इससे घरेलू उत्पादन / खपत पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसीलिए घरेलू शुल्क क्षेत्र (डीटीए) में लागू पाबंदी को ईओयू /सेज में नहीं लगाया जा सकता।’’ 

सेज और ईओयू निर्यात उन्मुख इकाइयां हैं जो घरेलू सीमा शुल्क कानून के दायरे से बाहर हैं।

नोटिस में कहा गया है, ‘‘व्यापार एवं उद्योग सदस्यों को सूचित किया जाता है कि ईओयू / सेज से गैर-ईंधन उद्देश्य से जैव-ईंधन के निर्यात का सेज नियमों और विदेश व्यापार नीति के तहत नियमन किया जाएगा।’’ 

इसके अनुसार निर्यात मकसद से जैव-ईंधन के उत्पादन के लिये कच्चा माल आयातित स्रोत से ही होना चाहिए।


(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant बुधवार, 6 फ़रवरी 2019
एफडीआई नीतियों में बदलाव के बाद भी भारतीय बाजार को लेकर सकारात्मक: वालमार्ट

खुदरा क्षेत्र की अमेरिकी कंपनी वालमार्ट ने बुधवार को कहा कि वह भारतीय बाजार के लिये प्रतिबद्ध है और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीतियों में बदलाव के बाद भी वह सकारात्मक है।

कंपनी ने कुछ ही समय पहले घरेलू ई-वाणिज्य कंपनी फ्लिपकार्ट में 16 अरब डॉलर निवेश किया है।

वालमार्ट का यह बयान वैश्विक परामर्श कंपनी मॉर्गन स्टेनली की एक हालिया रिपोर्ट के बाद आयी है। रिपोर्ट में कहा गया था कि नयी एफडीआई नीति के मद्देनजर वालमार्ट फ्लिपकार्ट से पीछे हट सकती है।

वालमार्ट एशिया एवं कनाडा के क्षेत्रीय मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं कार्यकारी उपाध्यक्ष डिर्क वान डीन बर्गी ने कहा, ‘‘भारत के लिये वालमार्ट और फ्लिपकार्ट की प्रतिबद्धता मजबूत और लंबे समय के लिये है। नियमनों में हालिया बदलाव के बाद भी हम भारतीय बाजार के लिये सकारात्मक हैं।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘हम रोजगार का सृजन करने, छोटे कारोबारियों एवं किसानों को समर्थन देने तथा वालमार्ट के वैश्विक बाजारों में भारतीय निर्यात बढ़ाने समेत उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा देने, टिकाऊ आर्थिक वृद्धि करने तथा देश के लिये लाभ पर ध्यान देना जारी रखेंगे।’’ 


(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant
रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक 18 फरवरी तक टली, सरकार को अंतरिम लाभांश पर होना है विचार

रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक 18 फरवरी के लिये टल गयी है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है।

इस बैठक में सरकार को दिये जाने वाले अंतरिम लाभांश के बारे में निर्णय होना है। पहले यह बैठक नौ फरवरी को होने वाली थी।

यह 2019-20 का अंतरिम बजट पेश होने के बाद रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की पहली बैठक है। इसे वित्त मंत्री भी संबोधित करने वाले हैं।

सूत्रों ने कहा कि बोर्ड इस बैठक में चालू वित्त वर्ष के अंतरिम लाभांश के केंद्र सरकार के अनुरोध पर विचार करेगा। बोर्ड रिजर्व बैंक के पहले छह महीने की कमाई पर गौर करने के बाद अंतरिम लाभांश का हस्तांतरण तय करेगा।

रिजर्व बैंक का वित्त वर्ष जुलाई से जून होता है।

पिछले वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक ने 10 हजार करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश दिया था। इस वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक पहले ही सरकार को 40 हजार करोड़ रुपये दे चुका है।


(सौ. पीटीआई भाषा)
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Rajanish Kant
बैंकों को कर्ज वृद्धि में उछाल के लिये 20 लाख करोड़ जमा जुटाने की जरूरत: रिपोर्ट

घरेलू बैंकों को कर्ज कारोबार तेज करने के लिए जमा खातों में मार्च 2020 तक 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाने की आवश्यकता होगी। इसके लिए उन्हें जमाकर्ताओं को और ऊंचे ब्याज की पेशकश करनी पड़ सकती है।

घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में कहा कि जमा जुटाने में निजी क्षेत्र के मजबूत बैंकों की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत तक होगी। 

पिछले कुछ साल में जमा वृद्ध दर घटी है जिसका कारण अन्य निवेश विकल्पों के मुकाबले मियादी जमा पर ब्याज दर का कम होना है। बैंक पिछले कुछ साल से औसतन 7 लाख करोड़ रुपये सालाना प्राप्त कर रहे हैं।

एजेंसी ने कहा कि अतिरिक्त जमा जरूरतों से बैंकों के लिये जमा पर अधिक ब्याज दर देने का दबाव बढ़ेगा।

शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव, अन्य निवेश विकल्पों में प्रवाह में नरमी तथा हाल में बैंक जमा दरों में वृद्धि से घरेलू वित्तीय बचत बैंक के पास जमा के रूप में फिर से आ सकता है।

क्रिसिल की निदेशक रमा पटेल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में जमा दरों में औसतन 0.40 से 0.60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इससे कोष की लागत बढ़ेगी।

जैसा कि पूर्व में देखा गया, बैंक कर्ज मांग को गति देने के लिये सांवधिक तरलता अनुपात के अलावा अतिरिक्त निवेश के लिये सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश पर भरोसा करेंगे। लेकिन साथ में अपना जमा भी बढ़ाना होगा। 

एजेंसी के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 में कर्ज में 13 से 14 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है। वहीं 2017-18 में यह 8 प्रतिशत रहा था।

इसके परिणामस्वरूप जमा में 10 प्रतिशत की दर से वृद्धि का अनुमान है जो 2017-18 में 6 प्रतिशत था। हालांकि इस वृद्धि के बावजूद यह 2006-07 के 25 प्रतिशत के ऐतिहासिक स्तर से काफी नीचे रहेगा।


(सौ. पीटीआई भाषा)
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आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिये पैन के साथ आधार जोड़ना जरूरी: न्यायालय

च्चतम न्यायालय ने कहा है कि आय कर रिटर्न दाखिल करने के लिये पैन को आधार के साथ जोड़ना अनिवार्य है।

न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत पहले ही इस मामले में फैसला सुनाते हुये आय कर कानून की धारा 139एए को सही ठहरा चुकी है।

शीर्ष अदालत ने श्रेया सेन ओर जयश्री सतपुड़े को वर्ष 2018-19 का आय कर रिटर्न पैन नंबर को आधार से जोड़े बगैर ही दाखिल करने की अनुमति देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केन्द्र की अपील पर यह निर्देश दिया। 

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने इस तथ्य के मद्देनजर यह आदेश दिया था कि मामला शीर्ष अदालत में विचारार्थ लंबित है। इसके बाद, चूंकि शीर्ष अदालत ने इस मामले में पिछले साल 26 सितंबर को फैसला सुना दिया और आय कर कानून की धारा 139एए को बरकरार रखा है, इसलिए पैन नंबर को आधार से जोड़ना अनिवार्य है। 

पीठ ने केन्द्र की अपील का निबटारा करते हुये स्पष्ट किया कि कर आकलन वर्ष 2019-20 के लिये आय कर रिटर्न शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप दाखिल करना होगा।

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 26 सितंबर, 2018 को अपने फैसले में केन्द्र की आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध करार देते हुये कहा था कि आयकर रिटर्न दाखिल करने और पैन नंबर के आबंटन के लिये आधार अनिवार्य होगा परंतु बैंक खातों के लिये आधार आवश्यक नहीं है। इसी तरह मोबाइल कनेक्शन के लिये दूरसंचार सेवा प्रदाता भी आधार नहीं मांग सकते हैं।



(सौ. पीटीआई भाषा)
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